ETV Bharat / city

...तो बिना होमवर्क के लाया गया शराबबंदी कानून! जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ - पटना हाईकोर्ट में शराबबंदी कानून के केस

जब से राज्य में शराबबंदी लागू (Liquor Ban in Bihar) की गई है. शराबबंदी से जुड़े मामले कई गुना बढ़ गए हैं. हाईकोर्ट में शराबबंदी कानून के केस की इस वजह से सामान्य जमानत मांगने वालों को एक साल से ज्यादा का समय लग जाता है. इसके कारण अदालतों में काफी ज्यादा केस पेंडिंग चल रहे हैं. कानूनी विशेषज्ञ कहते हैं कि इसके लिए विशेष तैयारी करनी चाहिए थी. उसके बाद कानून लाना था.

पटना हाईकोर्ट में शराबबंदी कानून के केस
पटना हाईकोर्ट में शराबबंदी कानून के केस
author img

By

Published : Dec 28, 2021, 10:14 PM IST

पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून और न्याय व्यवस्था के समक्ष बड़ी चुनौती बन गई है. बिहार सरकार ने बगैर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किए हुए कानून को लागू कर दिया. जिसका नतीजा है कि लोगों को न्याय पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. दूसरी तरफ राजस्व की कमी के चलते विकास की रफ्तार में ब्रेक लग गई है. हाईकोर्ट में शराबबंदी कानून के केस की संख्या काफी बढ़ गई (Liquor Prohibition Law Cases increased in High Court) है.

यह भी पढ़ें- खगड़िया की साहसी बेटी नविता के डर से कांपे शराब कारोबारी, जानें क्या है मामला..

साल 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू है. 5 साल बीत जाने के बाद भी नीतीश कुमार शराबबंदी कानून को पूरी तरह लागू करने में नाकामयाब साबित हुए हैं. पूर्ण शराबबंदी कानून को लेकर बराबर सवाल भी उठते रहे हैं. बिहार में शराबबंदी कानून बगैर किसी तैयारियों के लाया गया था. उसके साइड इफेक्ट आज भी देखने को मिल रहे हैं. न्यायिक व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा है. लोगों को न्याय के लिए सालों इंतजार करना पड़ रहा है.

पटना हाईकोर्ट में शराबबंदी कानून के केस

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने बिहार की शराबबंदी कानून पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून के केसों की बाढ़ आ गयी है. पटना हाईकोर्ट में जमानत की याचिका एक साल पर सुनवाई के लिए आती है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी दिखी. ऐसा लगता है कि विधायक काफी लोगों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए संसद की स्थाई समिति प्रणाली का उचित उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं.

बता दें कि पटना उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी है. उच्च न्यायालय में 55 न्यायाधीश होने चाहिए, जबकि आज की तारीख में आधे से अधिक न्यायाधीशों के पद खाली पड़े हैं. शराबबंदी कानून के तहत बिहार में 2 लाख 25 हजार के आसपास मामले लंबित हैं. सिर्फ शराबबंदी के मामलों को निपटाने में न्यायालय को वर्षों लग जाएंगे.

'शराबबंदी कानून का सोशल और ज्यूडीशियल इंप्लीकेशन सही नहीं रहा. कम शराब के साथ दूसरी बार पकड़े जाने पर उनकी जमानत निचले न्यायालय से नहीं हो पाती है. लोगों को उच्च न्यायालय में आना पड़ता है. उच्च न्यायालय पर अनावश्यक दबाव बढ़ गया है. हालात यह हैं कि आरोपी जमानत से पहले इतने दिन जेल में रह जाते हैं, जितना कि उन्हें उस मामले में सजा सुनाया जाता है.' -राजेश कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट

'सरकार ने बिहार में शराबबंदी कानून बिना किसी तैयारियों के लाने का काम किया. कानून लाने से पहले सरकार ने होमवर्क नहीं किया, जिसका नतीजा है कि न्यायिक व्यवस्था पूरे तौर पर चरमरा गई है.' -अरविंद कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता

'शराबबंदी कानून की वजह से लोगों को अनावश्यक तौर पर न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. एंटीसेपेटरी बैल में लोगों को एक साल इंतजार करना पड़ता है. इसका दूसरा पक्ष यह है कि लोग शराब पीने के बाद बोतलें नालों में डाल देते हैं, जिससे हमारा ड्रेनेज व्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर है.' -वंदना सिन्हा, अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट

यह भी पढ़ें- खगड़िया में नशे में चौकीदार से भिड़ गया शराबी, पुलिस ने किया गिरफ्तार

विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून और न्याय व्यवस्था के समक्ष बड़ी चुनौती बन गई है. बिहार सरकार ने बगैर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किए हुए कानून को लागू कर दिया. जिसका नतीजा है कि लोगों को न्याय पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. दूसरी तरफ राजस्व की कमी के चलते विकास की रफ्तार में ब्रेक लग गई है. हाईकोर्ट में शराबबंदी कानून के केस की संख्या काफी बढ़ गई (Liquor Prohibition Law Cases increased in High Court) है.

यह भी पढ़ें- खगड़िया की साहसी बेटी नविता के डर से कांपे शराब कारोबारी, जानें क्या है मामला..

साल 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू है. 5 साल बीत जाने के बाद भी नीतीश कुमार शराबबंदी कानून को पूरी तरह लागू करने में नाकामयाब साबित हुए हैं. पूर्ण शराबबंदी कानून को लेकर बराबर सवाल भी उठते रहे हैं. बिहार में शराबबंदी कानून बगैर किसी तैयारियों के लाया गया था. उसके साइड इफेक्ट आज भी देखने को मिल रहे हैं. न्यायिक व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा है. लोगों को न्याय के लिए सालों इंतजार करना पड़ रहा है.

पटना हाईकोर्ट में शराबबंदी कानून के केस

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने बिहार की शराबबंदी कानून पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून के केसों की बाढ़ आ गयी है. पटना हाईकोर्ट में जमानत की याचिका एक साल पर सुनवाई के लिए आती है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी दिखी. ऐसा लगता है कि विधायक काफी लोगों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए संसद की स्थाई समिति प्रणाली का उचित उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं.

बता दें कि पटना उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी है. उच्च न्यायालय में 55 न्यायाधीश होने चाहिए, जबकि आज की तारीख में आधे से अधिक न्यायाधीशों के पद खाली पड़े हैं. शराबबंदी कानून के तहत बिहार में 2 लाख 25 हजार के आसपास मामले लंबित हैं. सिर्फ शराबबंदी के मामलों को निपटाने में न्यायालय को वर्षों लग जाएंगे.

'शराबबंदी कानून का सोशल और ज्यूडीशियल इंप्लीकेशन सही नहीं रहा. कम शराब के साथ दूसरी बार पकड़े जाने पर उनकी जमानत निचले न्यायालय से नहीं हो पाती है. लोगों को उच्च न्यायालय में आना पड़ता है. उच्च न्यायालय पर अनावश्यक दबाव बढ़ गया है. हालात यह हैं कि आरोपी जमानत से पहले इतने दिन जेल में रह जाते हैं, जितना कि उन्हें उस मामले में सजा सुनाया जाता है.' -राजेश कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट

'सरकार ने बिहार में शराबबंदी कानून बिना किसी तैयारियों के लाने का काम किया. कानून लाने से पहले सरकार ने होमवर्क नहीं किया, जिसका नतीजा है कि न्यायिक व्यवस्था पूरे तौर पर चरमरा गई है.' -अरविंद कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता

'शराबबंदी कानून की वजह से लोगों को अनावश्यक तौर पर न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. एंटीसेपेटरी बैल में लोगों को एक साल इंतजार करना पड़ता है. इसका दूसरा पक्ष यह है कि लोग शराब पीने के बाद बोतलें नालों में डाल देते हैं, जिससे हमारा ड्रेनेज व्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर है.' -वंदना सिन्हा, अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट

यह भी पढ़ें- खगड़िया में नशे में चौकीदार से भिड़ गया शराबी, पुलिस ने किया गिरफ्तार

विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.