पटना: बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) है. इसके बाद भी राज्य में लगातार जहरीली शराब (Poisonous Liquor Case) के मामले सामने आ रहे हैं. जहरीली शराब से मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते तीन से चार दिनों में राज्य में 40 से ज्यादा लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. इन मौतों के बाद पूर्ण शराबबंदी कानून और बिहार पुलिस पर लगातार सवालिया निशान लग रहे हैं. पूर्ण शराबबंदी कानून के बाद से अब तक करीब 125 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो चुकी है. साल 2021 में लगभग 90 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है. हालांकि, शराब के जुड़े मामलों की पुष्टि नहीं हो पा रही है.
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जहरीली शराब से मौत के मामलों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहा था कि जब हमने शराबबंदी की थी तो कुछ लोग विरोध में बोलने लगे थे. शराबबंदी के खिलाफ कुछ ही लोग विरोध में हैं, ज्यादातर लोग इसके समर्थन में ही हैं. जहां तक पुलिस प्रशासन की बात है तो ऐसे लोगों पर लगातार कार्रवाई हो रही है. ऐसे लोग जेल जा रहे हैं, सजा भी मिल रही है. लेकिन, हर जगह गड़बड़ी करने वाले लोग हैं. लोगों को समझना होगा कि शराबबंदी उनके हित में है. इधर, हम लोगों का ध्यान कोरोना पर भी था, लेकिन जल्द ही फिर हम इसकी समीक्षा करेंगे.
'जहरीली शराब से लगातार हो रही मौतों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को भी समझना होगा कि शराब से उन्हें नुकसान ही होने वाला है. गड़बड़ करने वाले लोग गलत चीज भी पिला देंगे, तो उससे मौत हो जाएगी.''- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री
दरअसल, बीते कुछ दिनों में शराब पीने से मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और बेतिया में करीब 40 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब से होने की बात कही जा रही है. हाल के इन मामलों में हो हंगामे के बीच पुलिस ने आपराधिक मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू भी कर दी है. स्थानीय थानाध्यक्ष और चौकीदार को निलंबित करते हुए कई लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है.
नीतीश कुमार ने राजगीर में पुलिस के इधर-उधर करने की बात कही तो 28 अक्टूबर 2021 को मुजफ्फरपुर जिले में 8 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो गई. 28 अक्टूबर 2021 तक बिहार में शराब के कुल 13 मामले सामने आए, जो जहरीली शराब के थे. जिसमें कुल 66 लोगों की जान चली गई थी. 28 अक्टूबर 2021 तक कुल 66 लोगों की मौत हो गई थी. जिस बेतिया में पिछले दिनों 8 लोगों की मौत हुई. जुलाई 2021 में लोरिया के देवला गांव में 16 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन, बेतिया में यह मामला अभी ठंडे बस्ते में गया ही नहीं था कि फिर 8 लोगों की मौत हो गयी.
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पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में 2016 से अब तक शराबबंदी रोकने में विफल पाये पाए गए करीबन 700 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई है. तीन लाख से ज्यादा लोगों को शराबबंदी कानून के तहत जेल भी भेजा जा चुका है. राज्य के बाहर के बड़े शराब तस्करों की अन्य राज्यों से गिरफ्तारी भी की गई है. इसके बावजूद बिहार में अवैध शराब का व्यवसाय फल-फूल रहा है.
''शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अब तक 187 लाख से अधिक के मूल्य का शराब बरामद किया है. तीन लाख से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की गई है. इसके अलावा शराब के कारोबार के आरोप में लगभग 60 हजार वाहनों को जब्त किया गया है. वहीं दूसरे राज्यों से 6000 लोगों को शराब तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.''- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी मुख्यालय
बिहार में जहरीली शराब से हुई मौत मामले में सीएम नीतीश कुमार ने प्रतिक्रिया दी है. उनके बयान के बाद राजद और कांग्रेस ने पलटवार किया है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला करते हुए एक वीडिये शेयर किया और लिखा कि ''इन चीखों का गड़बड़ DNA वाली NDA सरकार और तीन नंबरिया पार्टी के मुखिया पर कुछ फ़र्क नहीं पड़ता. जहरीली शराब से बिहार में दिवाली के दिन सरकार द्वारा 35 से अधिक लोग मारे गए. हाँ! किसी की सनक से बिहार में कागजों पर शराबबंदी है अन्यथा खुली छूट है क्योंकि ब्लैक में मौज और लूट है.
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हाँ! किसी की सनक से बिहार में कागजों पर शराबबंदी है अन्यथा खुली छूट है क्योंकि ब्लैक में मौज और लूट है। pic.twitter.com/9Wz0WNuq81
वहीं, राजद विधायक ने कह दिया कि उन्हें नीयत की समीक्षा करनी चाहिए. वहीं कांग्रेस के विधान पार्षद ने कहा कि सरकार और विभाग शराब के अवैध कारोबार को रोकने में विफल है.
''मुख्यमंत्री महिलाओं की मांग को लेकर पीठ थपथपाते नजर आते हैं. अपने आप को कहते हैं कि हमने पूर्ण शराबबंदी कर दी है. बिहार की स्थिति ठीक हो गई है. ऐसा कुछ बिहार में नहीं है. शराब की होम डिलीवरी हो रही है. बड़े पैमाने पर बिहार में शराब भी बनाए जा रहे हैं. यही कारण है कि जहरीली शराब से लोगों की मौत भी हो रही है. जब बिहार में शराबबंदी नहीं थी तो इस तरह की मौत नहीं होती थी. जो आज देखने को मिल रही है.''- रामानुज प्रसाद, राजद विधायक
''सरकार शराब के अवैध कारोबार और उसकी तस्करी रोकने में विफल साबित हो रही है. विभागीय मंत्री ने कहा है कि 3 लाख लोगों की शराबबंदी कानून में गिरफ्तारी हुई है. जबकि बिहार की जेलों में 50 हजार कैदियों को रखने की क्षमता है.अन्य लोगों को कहां रखा गया है. अपनी विफलताओं को छुपाने और लोगों को भ्रमित करने के लिए मंत्री को गलत बयानबाजी से बचना चाहिए. ऐसे ठोस कदम उठाने चाहिए कि अवैध कारोबार और शराब की तस्करी पर रोक लगे.' -प्रेमचंद मिश्रा, कांग्रेस विधान पार्षद
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नवंबर 2021 तक बिहार में जहरीली शराब के 14 मामले आ चुके हैं. अगर इनमें मरने वालों की बात करें तो 66 लोग पहले मरे थे, गोपालगंज और बेतिया में जिन 20 लोगों की मौत हुई है, अगर उसे जोड़ दिया जाए तो मौत का आंकड़ा करीब 85 हो जाता है.
कहने के लिए तो बिहार में 2016 से ही शराब बंदी है. नीतीश कुमार ने 2016 में पूर्ण शराबबंदी कर दी थी, लेकिन शराब बंद कहां है ये कहा नहीं जा सकता है. क्योंकि जहां भी आपको शराब की जरूरत है, बिहार में एक संगठित अपराध गिरोह इस पर काम कर रहा है. इसका व्यापार लगभग 5000 करोड़ से ऊपर का है. ऐसे में सरकार के तमाम लोग इतने पैसे में तो अपना इमान बेचने को तैयार ही रहते हैं. नीतीश और उनकी सरकार पर आरोप इसलिए भी लग रहा है कि जिन 20 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. वह इसी प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है. अगर प्रशासन पूरे तौर पर सजग होता तो बिहार के लिए रोशनी का पर्व काली दिवाली नहीं बनती.
बता दें कि बिहार में अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया गया था. महिलाओं के अनुरोध पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी करने का फैसला लिया था. शराबबंदी से हर साल 5000 करोड़ से अधिक राजस्व का नुकसान बिहार सरकार को हो रहा है. लेकिन, सीएम नीतीश कुमार शराबबंदी कानून को जारी रखना चाहते हैं. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने पूर्ण शराबबंदी कानून को सराहा है. विधानसभा चुनाव में भी इस बात पर मुहर लगी है. विधानसभा चुनाव में जहां 54.38 प्रतिशत पुरुषों ने वहीं 59.58% महिलाओं ने मतदान किया था.
नोट: अगर आपको शराब की अवैध खरीद-बिक्री, उपभोग की जानकारी मिलती है तो मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के टॉल फ्री नंबर 15545 एवं 18003456268 पर शिकायत करें.