पटना: बिहार में कानून व्यवस्था (law and order in bihar) काे लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार बैठक कर कानून का राज बनाये रखने का निर्देश दे रहे हैं. अपराधियों को उनके कुकृत्यों की सजा दिलाने की नीति (Punishment of criminals in Bihar) के तहत बिहार पुलिस काम कर ही है. बिहार पुलिस ने एक आंकड़ा पेश कर दावा किया कि पिछले दाे वर्षों की तुलना में इस साल अबतक अधिक अपराधियाें काे सजा दिलवायी गयी. पुलिस का मानना है कि सजा मिलने से आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगायी जा सकेगी.
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सजा मिलने से घटेगा अपराधः बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के मुताबिक साल 2020 में कुल 1557 अपराधियों को फांसी से लेकर 10 वर्ष और उससे कम की सजा हुई है. वहीं साल 2021 में यह संख्या बढ़ी. 8358 अपराधियों को सजा सुनाई गई. जबकि इस साल जुलाई तक ही 25304 अपराधियों को सजा सुनाई जा चुकी है. बिहार पुलिस मुख्यालय का मानना है कि अपराधियों को ज्यादा से ज्यादा सजा दिलवाने का मुख्य मकसद अपराध पर लगाम लगाना है.
दोषसिद्ध की संख्या बढ़ीः बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार के मुताबिक बिहार पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में वर्ष 2022 में न केवल अपराधियों की गिरफ्तारी बढ़ी है बल्कि माननीय न्यायालय द्वारा किए गए दोषसिद्ध की संख्या में भी भारी वृद्धि अंकित की गई है. आंकड़ों को देखें तो जहां वर्ष 2020 में 1557 अपराधियों को दोषसिद्ध हुए थे वहीं वर्ष 2021 में 8336 दोषसिद्ध हुए. वर्ष 2022 में जुलाई तक 25307 कार्रवाई की जा चुकी है जिसमें उत्पाद अधिनियम के अंतर्गत 19348 दोषसिद्ध मामले हैं.
"अपराधियों को उनके कुकृत्यों की सजा दिलाने की नीति के तहत बिहार पुलिस काम कर ही है. पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में वर्ष 2022 में न केवल अपराधियों की गिरफ्तारी बढ़ी है बल्कि माननीय न्यायालय द्वारा किए गए दोषसिद्ध की संख्या में भी वृद्धि हुई है. अपराधियों को ज्यादा से ज्यादा सजा दिलवाने का मुख्य मकसद अपराध पर लगाम लगाना है".-जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी
जुलाई तक छह काे फांसीः साल 2020 में कुल तीन अपराधियों को फांसी दिलाई गई थी और 405 अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा हुई थी. साल 2021 में 27 अपराधियों को फांसी दिलाई गई थी और 705 आजीवन कारावास हुआ था. 2022 में जुलाई माह तक छह अपराधियों की फांसी की सजा हुई, और 550 अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. बता दें कि जुलाई तक NDA गठबंधन की बिहार में सरकार थी. जबकि महागठबंधन की सरकार बने हुए 1 महीने पूरे हो चुके हैं.