पटना: लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के आने से पहले बिहार में राजद परिवार का विवाद चरम पर था. जब से वे पटना लौटे हैं, उसके बाद पल-पल परिस्थितियां बदल रही हैं. यह हम नहीं कह रहे हैं. नेताओं के बदले बोल परिस्थितियों की हकीकत बयां कर रहे हैं. पहले जगदानंद सिंह का बयान और उसके बाद तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) का कांग्रेस की तरफ से कुशेश्वरस्थान (Kusheshwarsthan) नहीं जाने की बात, कहीं न कहीं लालू के पटना लौटने के बाद विवाद कम होने की और इशारा कर रहा है.
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राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने तेजप्रताप की तारीफ करते हुए कहा है कि तेज प्रताप यादव उभरते हुए युवा राजनीतिज्ञ हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए कुशेश्वरस्थान में प्रचार करने की बात करने वाले तेज प्रताप यादव अब कांग्रेस की जमकर खिलाफत कर रहे हैं.
लेकिन कुछ दिन पहले स्थितियां कुछ और थी. जगदानंद सिंह और तेज प्रताप यादव एक दूसरे को देखना नहीं चाहते थे. जब लालू यादव पटना पहुंचे, उस वक्त भी तेज प्रताप यादव ने जगदानंद सिंह पर बड़ा हमला बोला था. उन पर परिवार को तोड़ने की साजिश का आरोप लगा दिया था.
कुछ वक्त और पहले जाएं तो जगदानंद सिंह ने तो तेज प्रताप यादव को पहचानने से भी इंकार कर दिया था. लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. लालू यादव के पटना लौटने के बाद ना सिर्फ तेज प्रताप यादव के तेवर नरम पड़ गए हैं, बल्कि जगदानंद सिंह भी तेज प्रताप यादव की जमकर तारीफ कर रहे हैं.
'हमारे नेता लालू यादव हैं और उनके आदेश पर ही हम लोग आगे काम करेंगे. तेज प्रताप यादव कुशेश्वरस्थान कांग्रेस के लिए प्रचार करने नहीं जाएंगे.' -प्रशांत यादव, प्रदेश अध्यक्ष, छात्र जनशक्ति परिषद
राजद नेता भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि लालू यादव के आने के बाद से परिस्थितियां बदली हैं. तेजप्रताप यादव के तेवर नरम पड़े हैं. हालांकि वह यह भी कह रहे हैं कि कोई ऐसा विवाद नहीं था जिसे मुद्दा बनाना चाहिए.
इधर, एनडीए नेता कह रहे हैं कि विवाद खत्म नहीं हुआ है बल्कि पूरी तरह बरकरार है. अभी तो असल विस्फोट होना बाकी है. जदयू के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि आगे देखिए, अभी तो पूरी पिक्चर बाकी है.
कुल मिलाकर देखें तो लालू यादव के आने के बाद तेज प्रताप के रुख में नरमी जरूर आई है. जगदानंद सिंह ने भी तेज प्रताप की तारीफ करके विवाद को सुलझाने की कोशिश की है. लेकिन अब तक तेजस्वी और तेजप्रताप एक साथ नजर नहीं आए हैं. तेज प्रताप जब भी लालू-राबड़ी से मिलते हैं, उस वक्त तेजस्वी वहां नहीं होते. यही वजह है कि एनडीए नेता ये दावा कर रहे हैं कि विवाद सुलझा नहीं है, बल्कि अभी बड़ा विस्फोट होना बाकी है.
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