पटना: बिहार में भी अब किडनी संबंधी रोग (kidney releted disease ) युवाओं पर शिकंजा कस रहा है. 14 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के बीपी और शुगर लेवल (BP and sugar level) जांचते रहने की आवश्यकता बढ़ गई है. उम्र के साथ किडनी की कार्य क्षमता घटने की बात अब पुरानी हो गई है और युवा वर्ग काफी तेजी से किडनी संबंधी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. आलम यह है कि प्रदेश के आईजीआईएमएस में अब तक 80 किडनी प्रत्यारोपण हुए हैं और इनमें से 56 प्रत्यारोपण 21 से 40 आयु वर्ग के मरीजों में किए गए हैं.
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डायलिसिस के लिए आने वाले 10% मरीज युवाः युवाओं में किडनी रोग बढ़ने के कारण पर बात करते हुए चिकित्सक बताते हैं कि युवाओं में कोई भी स्वास्थ्य समस्याएं होने पर बीपी और शुगर की जांच नहीं की जाती. ऐसे में नतीजा होता है कि समय पर किडनी रोग की पहचान नहीं हो पाती है और इसके साथ ही आधुनिक जीवन शैली भी बड़ा अहम कारण है. पटना के इनकम टैक्स चौराहा स्थित न्यू गार्डिनर रूट अस्पताल में डायलिसिस का सेंटर है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा बताते हैं कि यहां डायलिसिस के लिए आने वाले मरीजों में लगभग 10% 21 से 40 आयु वर्ग के होते हैं.
कम उम्र मे डायबिटीज है बड़ी वजहः युवाओं में किडनी से संबंधित जो बीमारियां हो रही है, उस बारे में डॉ. मनोज कुमार बताते हैं कि इसके दो कारण हैं. एक एक्यूट फेज होता है जो कोई इंफेक्शन अन्य बीमारियां होने की वजह से होता है जिसमें किडनी की समस्याएं बढ़ जाती हैं. दूसरा क्रॉनिकल फेज होता है, जिसमें डायबिटीज एक कारण है. आधुनिक जीवन शैली में कम उम्र के युवाओं में ही डायबिटीज निकल जा रहा है. कई बार होता यह है कि जांच नहीं कराने की वजह से समय पर डायबिटीज का पता नहीं चल पाता और यह किडनी को काफी डैमेज कर देता है. इसके अलावा बीपी भी एक प्रमुख कारण है. हाई ब्लड प्रेशर की वजह से भी किडनी की बीमारियां बढ़ जाती है.
खानपान में बदलाव सबसे बड़ा कारणः युवाओं में किडनी संबंधित मामले बढ़ने के बारे में डॉ. मनोज कुमार सिन्हा कहते हैं कि खानपान में कीटनाशक और रासायनिक पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करना प्रमुख कारण हैं. ये किडनी की समस्याओं को काफी बढ़ा देता है. इसके अलावा जो फास्ट फूड हैं, मैदा से बने हुए और अन्य प्रकार के जंक फूड किडनी को काफी डैमेज कर रहे हैं. इसके अलावा जो लाइफ स्टाइल चेंज हुआ है. लोग पानी कम पी रहे हैं और पानी की जगह कोल्ड ड्रिंक का प्रयोग अधिक कर रहे हैं. यही सब किडनी संबंधी बीमारियों का कारण बन रहा है.
स्कूल के कैंप में बच्चों की हो जांचः डॉ मनोज कुमार सिन्हा बताया कि स्कूलों में यदि मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं तो 14 वर्ष से ऊपर के सभी बच्चों का ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर चेक किया जाए. 14 साल से अधिक उम्र के बच्चों का साल में कम से कम एक बार बीपी और शुगर का जांच हो जानी चाहिए. शुगर कई लोगों को जेनेटिक प्रॉब्लम की वजह से भी हो जाता है. ऐसे में यदि शुगर का समय पर पता ना चले तो यह धीरे-धीरे किडनी को काफी डैमेज कर देता है. डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का पाराडाइम शिफ्ट हो रहा है और यंग एज में यह बीमारियां बढ़नी शुरू हो गई है ऐसे में जितना पहले इन बीमारियों का डिटेक्शन होगा, किडनी को उतना सुरक्षित रखा जा सकेगा.
पेन किलर से भी डैमेज होती है किडनीः किडनी डैमेज होने के कारणों पर बात करते हुए डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि पेन किलर भी किडनी को काफी डैमेज करता हैं. बाजार में मिलने वाले जितने भी पेन किलर हैं. वह किडनी को काफी क्षति पहुंचाते हैं. लोगों को जरा सी दर्द होती है तो बाजार में मिलने वाले पेन किलर ले कर खा लेते हैं और धीरे-धीरे वह पेन किलर खाना आदत बना लेते हैं. नेफ्रोटॉक्सिक मेडिसिन बिना चिकित्सीय परामर्श के ना सेवन करें. लोगों को बात-बात पर दवाई खाने की आदत बंद करनी होगी और बिना चिकित्सीय परामर्श के दवाई ना खाएं और अधिक दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो समय-समय पर किडनी का जांच भी कराते रहें ताकि किडनी संबंधी बीमारियों से बच सकें.
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