पटना: बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच दूरियां इस कदर बढ़ गई हैं कि उनका असर साफ दिखने लगा है. राजधानी के गांधी मैदान में मंगलवार को रावण वध कार्यक्रम के दौरान बीजेपी का कोई भी नेता या मंत्री नजर नहीं आया. वहीं दशहरा कमेटी के अध्यक्ष कमल नोपानी ने कहा कि कार्यक्रम में सबको निमंत्रण दिया गया था. यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था फिर भी कोई नहीं आए.
'सभी को दिया गया था निमंत्रण'
कमल नोपानी ने कहा कि हर साल ये कार्यक्रम आयोजित होता है,यह सामाजिक कार्यक्रम है. दशहरा कमेटी किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं है. सिलसिलेवार सभी को पार्टी फोरम से इतर बुलाया गया था. अब इसके बाद भी कोई क्यों नहीं पहुंचा इसकी जानकारी नहीं है. हां ये जरुर है कि महामहिम राज्यपाल के ओएसडी ने यह जानकारी दी थी के महामहिम अस्वस्थ हैं जिसकी वजह से वो नहीं आ पाएंगे.
'अगले साल के इस आयोजन के लिए भगवान राम से प्रार्थना'
बता दें कि इस आयोजन में हर साल पटना के चारों विधायक भी शामिल होते हैं. लेकिन, इस बार कुम्हरार, बांकीपुर, पटना सिटी और दीघा से बीजेपी के विधायक भी इस आयोजन में शामिल नहीं हुए. आयोजक कमल नोपानी के मुताबिक उन्हें इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि बीजेपी का कोई नेता इस कार्यक्रम में हाजिर नहीं होंगे. नोपानी ने कहा कि भले ही इस बार कोई ना पहुंचा हो, लेकिन वे भगवान राम से प्रार्थना करेंगे कि अगले साल के इस आयोजन में सभी माननीय नेता, मंत्री, विधायक, सांसद मौजूद हों.
रावण दहन के दौरान सियासत
गौरतलब है कि राजधानी के गांधी मैदान में रावण दहन के दौरान सियासत देखने को मिली. इस कार्यक्रम में बीजेपी का कोई बड़ा नेता में शामिल नहीं हुआ. सीएम नीतीश कुमार के साथ बीजेपी का कोई चेहरा यहां नजर नहीं आया. यहां तक कि डिप्टी सीएम सुशील मोदी की कुर्सी पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा बैठे नजर आए. सुमो भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. अधिकतर बीजेपी नेताओं के लिए लगाई गयी कुर्सियां खाली रहीं
पटना में जलजमाव की स्थिति पर बढ़ी NDA में तल्खी
बता दें कि राजधानी पटना में जलजमाव की स्थिति के मद्देनजर सहयोगी बीजेपी और जेडीयू के बीच तल्खियां बढ़ती जा रहीं हैं. दोनों पार्टियों के नेता पिछले कई दिनों से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं. इसी बीच रावण दहन कार्यक्रम में किसी भी बीजेपी नेता का ना पहुंचना एक सियासी संदेह पैदा कर रहा है.