पटनाः एनआईए कोर्ट (NIA Court) ने 8 साल बाद एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. पटना के गांधी मैदान ब्लास्ट (Patna Gandhi Maidan Blast Case) मामले में 9 दोषियों को सजा सुना दी गई है. इनमें से 4 को फांसी की सजा सुनाई गयी है. 2 को आजीवन कारावास, दो को 10-10 साल की सजा और 1 को 7 साल की सजा दी गई है. 27 अक्टूबर 2013 को सिर्फ 12 मिनट के अंदर 6 धमाके हो गए. चारों तरफ अफरातफरी का माहौल था. कुछ लोगों की मौत हो गई थी और कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. हालात ये थे कि अफरातफरी के बीच धमाकों की आवाज दब गयी थी. दिखाई दे रहा था तो बस धुएं का गुबार. अब इस फैसले के बाद मृतकों के परिजन खुश हुए हैं. सभी ने कहा कि अब शांति मिली है.
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गांधी मैदान और आसपास भगदड़ मची थी. लोग गांधी मैदान से निकल जाना चाहते थे. घायलों के रिश्तेदार जैसे-तैसे कंधों पर उठाकर एंबुलेंस की तरफ ले जा रहे थे. डरे-सहमे लोगों की शक्ल पर जान का डर साफ झलक रहा था. लोग दूसरों को देखे बिना खुद की जान बचा रहे थे. जो घायल हो चुके थे, उनकी मदद पटना पुलिस ने भी की. कंधों पर उठाकर घायलों को एंबुलेंस तक और ऑटो तक ले गए. जहां से घायलों को इलाज के लिए भेजा जा सका.
इस भयावह मंजर को ना सिर्फ पटना देख रहा था, बल्कि पूरे देश में इस धमाके की गूंज ने लोगों के दिलों को दहला दिया था. जब ब्लास्ट का सिलसिला थमा तो लोग गांधी मैदान घुसने से डर रहे थे. लेकिन बाद में लोगों को डर थोड़ा कम हुआ और रैली फिर शुरू हुई. धमाका उस वक्त हुआ जब भाजपा की हुंकार रैली थी. लेकिन अब उन लोगों को इंसाफ मिल गया, जो अपने पसंदीदा नेता को सुनने गांधी मैदान पहुंचे थे. छह लोगों की आत्मा की शांति मिली होगी और दर्जनों घायलों का रोम-रोम एनआईए कोर्ट को शुक्रिया भेज रहा होगा.
जानकारी दें कि NIA कोर्ट के विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मलहोत्रा ने हैदर अली, नोमान अंसारी, मो. मुजिबुल्लाह अंसारी, इम्तियाज आलम को इस मामले में फांसी की सजा सुनाई है. उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन कुरैशी को उम्रकैद की सजा हुई है. इस मामले के अन्य आरोपी अहमद हुसैनस और मो. फिरोज असलम को न्यायाधीश ने 10-10 साल और इफ्तिखार आलम को 7 साल की जेल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने सबूतों के अभाव में फकरूद्दीन को रिहा कर दिया था.
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एनआईए कोर्ट के स्पेशल पब्लिक प्रोसेक्यूटर लल्लन प्रसाद सिन्हा ने कहा कि न्यायालय ने अदालत में पेश साक्ष्यों, फॉरेंसिक लेबोरेटरी की रिपोर्ट के आधार पर तथा दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया है. यह मामला काफी गंभीर और संवेदनशील था. 5 लोग मारे गये थे तथा 89 घायल हुए थे. सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है.
एक पत्रकार की आंखोदेखी
ईटीवी भारत के स्टेट हेड भूपेंद्र दूबे घटना के दौरान गांधी मैदान में थे. उनकी आंखोंदेखी के अनुसार 27 अक्टूबर 2013 को पटना के गांधी मैदान में भाजपा की हुंकार रैली थी. भाजपा ने नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा था. 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पूरी रणभेरी बजा रखी थी. बिहार के सभी बड़े नेता गांधी मैदान के मंच पर मौजूद थे. सभी लोग नरेंद्र मोदी और देश में चल रही सरकार के बारे में बातें रख रहे थे. काला धन, भ्रष्टाचार, अच्छे दिन आने वाले हैं, देश मोदी जी को लाने वाला हैं, जैसे तमाम नारे गांधी मैदान में गूंज रहे थे.
यह भी सही है कि बीजेपी में उत्साह इसलिए भी था की पूरा गांधी मैदान नरेंद्र मोदी को सुनने के लिए खचाखच भरा हुआ था. हालांकि इस बात का अंदाजा किसी को नहीं था कि अगले पल जो होने वाला है वह इतना भी विभत्स होगा, हम अपनों की जान गंवा बैठेंगे. उसके बाद जब गांधी मैदान में बम धमाकों का सिलसिला शुरू हुआ तो बिहार ही नहीं पूरा देश हिल गया.
सड़कों से लेकर गांधी मैदान तक खचाखच थी भीड़
पटना की पश्चिमी उत्तरी कोने पर नरेंद्र मोदी का मंच बना हुआ था. उसके बगल में ही बापू की विशाल प्रतिमा लगी हुई है. सुरक्षा घेरे के बाद मीडिया कर्मियों के लिए कुल 7 लेयर का सीढ़ीनुमा मंच बनाया गया था. जिस पर बिहार सहित पूरे देश की मीडिया विराजमान थी. चर्चा अलग-अलग तरह की थी क्योंकि बहुत सारे लेखक-विचारक-समीक्षक समालोचक पूरे देश से वहां पहुंचे हुए थे. मीडिया के बीच कौतूहल का विषय भी था और उन्हीं लोगों की चर्चा भी मंच पर कई नेता भाषण तो दे रहे थे लेकिन उनको सुनने की इच्छा फिलहाल मीडिया कर्मियों को भी नहीं थी. लोग अपने में मशगूल थे और मैं भी उन्हीं लोगों में एक था.
पटना में नरेंद्र मोदी के आने को लेकर तैयारी जोरों पर थी. गांधी मैदान में लगभग एक हफ्ता पहले से ही सुरक्षा-व्यवस्था सहित तमाम चीजें काफी चाक-चौबंद कर ली गई थीं. नरेंद्र मोदी उस समय प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन नरेंद्र मोदी जिस तरीके से सभाओं में भीड़ बटोर रहे थे और बीजेपी के लिए जिस तरीके से माहौल बन रहा था संभव था कि गांधी मैदान में भी वह माहौल दिखेगा. बीजेपी का दावा था कि अब तक गांधी मैदान में जितनी बड़ी रैली नहीं हुई है, उससे बड़ी रैली होगी. लोगों की भीड़ भी खूब होगी. यह देखने के लिए सभी मीडिया कर्मियों के भीतर कोतुहल भी था कि जो भीड़ हो रही है वह है कितनी. गांधी मैदान कितना बड़ा है. उसमें प्रति स्क्वायर फीट कितने लोग आ सकते हैं. जब 27 अक्टूबर 2013 को घड़ी में लगभग 10:30 बज रहे थे, कहा यह भी जा रहा था कि गांधी मैदान में जितनी भीड़ है, उतनी सड़कों पर है. चाहे वह एग्जिबिशन रोड हो, फ्रेजर रोड हो, अशोक राजपथ की बात हो, सरपेंटाइन रोड, बेली रोड, कंकड़बाग रोड, कदमकुआं रोड की बात हो या फिर उत्तर बिहार से आने वाले लोगों की गाड़ियों के बाईपास में फंसे होने की बात हो. पत्रकारों की जुबान पर लगभग इसी तरह की चर्चा थी.
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लगभग 1 घंटे बाद यह तय हो गया कि नरेंद्र मोदी के आने का समय पूरा हो गया है. अब महज आधे घंटे बचे हैं. जब नरेंद्र मोदी गांधी मैदान पहुंचेंगे 12:00 नरेंद्र मोदी को गांधी मैदान पहुंचना था. उसी तरह की सब की तैयारी भी थी लेकिन उसके बाद जो हुआ वह किसी के भी लिए उनके जीवन का वह पल जरूर रहा होगा. जिसमें जो लोग बम धमाके की चपेट में आए थे उनकी जिंदगी बचेगी कि नहीं पहला सवाल और बम धमाके और कितने होंगे. उसमें अपनी जिंदगी कैसे बचेगी, यह दूसरा सवाल था. इसी के बीच गांधी मैदान में खबर खोजी जा रही थी लेकिन उस घटना से सभी लोग अनजान थे जो पटना जंक्शन पर हो चुकी थी. पहला धमाका 27 अक्टूबर 2013 को गांधी पटना जंक्शन के बाथरूम में हुआ जहां मानव बम बनने के क्रम में गलती से बम विस्फोट हो गया और वहां की सुरक्षा एजेंसियों ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया.
पटना जंक्शन पर जो धमाका हुआ और उसके बाद जिस तरीके का खुलासा जंक्शन पर किया गया, सभी जांच एजेंसियों के साथ पुलिस अधिकारियों के होश फाख्ता हो गए. यह सभी चीजें गांधी मैदान में लोग मौजूद लोगों को नहीं पता थी बताया यह गया कि गांधी मैदान में सीरियल ब्लास्ट होगा. जब तक इस चीज की सूचना पहुंचती, पहला धमाका गांधी मैदान के पूर्वी किनारे के उद्योग भवन के थोड़ा पहले हो गया. उसके बाद दूसरा धमाका, तीसरा धमाका, चौथा धमाका, पांचवा धमाका और छठवां धमाका भी हुआ. लगभग 12 मिनट के बीच गांधी मैदान में कुल 6 धमाके हुए. उसके बाद जो गांधी मैदान में हुआ उसमें सिर्फ अफरा-तफरी का माहौल था.
चीख-पुकार के बीच होते रहे धमाके
उस भीड़ में मौजूद मैं भी इस चीज का गवाह हूं कि धमाके हो रहे थे लेकिन यह पता नहीं चल रहा था कि किस छोर पर हुआ है क्योंकि भीड़ इतनी ज्यादा थी कि सिर्फ आवाज आ रही थी. धुंए का गुबार दिख रहा था. उस दौरान मैं भी पुलिस के साथ ही था. उसमें जो लोग घायल हुए थे उनको उठाने में मैं लगा रहा. उस समय इस बात का अहसास भी नहीं था कि मीडिया कर्मी के तौर पर मेरी भूमिका चैनल में ब्रेकिंग लिखवाने की है या फिर पहले लोगों को अस्पताल पहुंचाने की. शायद यही वजह थी कि लोगों को अस्पताल पहुंचाने में मैं भी लगा रहा.
11:45 से लेकर 12:20 तक सभी धमाके हो चुके थे. गांधी मैदान का पूरा रुख ही बदल चुका था. मंच पर मौजूद नेता इस बात को जरूर कह रहे थे किसी को भागने की जरूरत नहीं है. किसी को दौड़ने की जरूरत नहीं है लेकिन इस विकराल कांड के बाद जिस तरीके से लोगों के मन में गुस्सा बढ़ रहा था और एक डर पनप रहा था. उसे रोक पाना बड़ा मुश्किल था. हालांकि इसमें भी सबसे बड़ी बात यह थी कि जो भीड़ थी वह गांधी मैदान से हटी ही नहीं और वही जमा रही. नरेंद्र मोदी को 12:00 बजे मंच पर आना था लेकिन बम धमाकों के बाद उनके आने में देरी हुई और लगभग 2:00 बजे नरेंद्र मोदी मंच पर पहुंचे. राजनीतिक भाषण चाहे जो दिया गया हो लेकिन एक बात जरूर कहा कि ना तो डरना है ना और ना ही घबराना है.
गांधी मैदान में जब बम धमाके हुए थे तो उस समय पटना में सीनियर एसपी मनु महाराज हुआ करते थे. काफी परेशान मनु महाराज इस बात को लेकर के भी थे कि जो सुरक्षा इंतजाम गांधी मैदान में होना था उसकी तैयारी कैसे की गई. बहरहाल, नरेंद्र मोदी अपना भाषण देकर चले गए. गांधी मैदान को पूरे तौर पर सील कर दिया गया. केंद्र की सरकार ने एनआईए की टीम गांधी मैदान भेजी और जांच की दूसरी प्रक्रिया भी शुरू हो गई. एनआईए की जांच जब शुरू हुई तो पूरे तौर पर गांधी मैदान को सील कर दिया गया था. किसी को जाने की इजाजत नहीं थी. हालांकि जो जांच चल रही थी उसे बाहर से वीडियो बनाने की अनुमति मिली हुई थी.
जब एनआईए ने जांच शुरू की तो 5 जिंदा हम गांधी मैदान से और बरामद किए गए. सबसे अहम बात की उनको जिस तरीके से डिफ्यूज किया गया, वह भी अनोखा था. बालू भर के घड़े के नीचे उन्हें दबा दिया गया. कागज में आग लगा दी गई. इन पांचों बमों को गांधी मैदान में ही डिफ्यूज किया गया. जिसको लेकर के भी सियासत खूब हुई कि अगर बड़े बम होते तो अगल-बगल नुकसान हो सकता था. जो तैयारी थी वह सिर्फ इसी रूप में थी कि बम धमाके से दहशत पैदा करना है. वास्तव में यह एक उस मानव बम को जगह देने की कवायद थी जो नरेंद्र मोदी की गाड़ी या नरेंद्र मोदी से टकरा कर उन्हें उड़ा देता लेकिन यह सौभाग्य की बात थी कि न तो गांधी मैदान में भगदड़ मची और न ही कोई ऐसी स्थिति बन पाई. इसके चलते आतंकी अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाये.
मास्टरमाइंड हुआ गिरफ्तार
एनआईए की जांच का दायरा बढ़ा. 10 लोगों की गिरफ्तारी हुई और मास्टरमाइंड हैदर अली को गिरफ्तार किया गया. जब इस पूरे मामले की जांच पड़ताल शुरू हुई तो पाया यह गया कि गांधी मैदान में जो करना है उसकी पूरी देख की गई थी. रिहर्सल भी हुआ था. हैदर अली ने रांची में इस बात की पूरी तैयारी की थी. उसका रिहर्सल भी किया था कि किस तरीके से बम धमाके करने हैं. हालांकि जो बम गांधी मैदान में लगाए गए थे, उनकी क्षमता काफी कम थी नहीं तो मामला बड़ा हो जाता. उसके बाद भी गांधी मैदान में हुए बम धमाकों में हमने 6 लोगों की जान गंवाई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए. हैदर अली के बारे में यह कहा गया को बम बनाने में माहिर था और बम चलाने के लिए किन-किन चीजों का ध्यान रखना है इसकी पूरी तैयारी की गई थी.
खजूर के पेड़ में बैग को बांधकर रिमोट से उसे उड़ाया गया था ताकि मानव बम अगर गांधी मैदान में मोदी के पास तक पहुंच जाता तो रिमोट का उपयोग करना कैसे था. लेकिन यह भी सही है कि बुराई कितनी भी बड़ी हो अच्छाई से हार ही जाती है. पूरे देश का मन, पूरे बिहार का मन अहिंसा का था. मैदान बापू के नाम का था इसलिए इस मंसूबे को लोग अंतिम स्वरूप नहीं दे पाए. गांधी मैदान में जिस खामोशी से इस दर्द को सहा और जितने लोग वहां पर मौजूद थे, उन लोगों ने इस दर्द को देखा है. हमारी तरह जिया है. उनके मन में गुस्सा जरूर है कि आखिर यह दहशत गर्द मानवीय मूल्यों को तार-तार करने में क्यों लगे रहते हैं.
27 अक्टूबर 2013 बिहार के दामन पर दाग लगा गया. जिसमें कुछ लोगों की मानसिकता ने छह निरीह लोगों की जान ले ली. मानवीय मूल्यों को सिर्फ किसी जिद के आगे बेगुनाहों की जान ले लेना कहीं से सही नहीं कहा जा सकता. 27 अक्टूबर 2013 की उस घटना के बाद उन लोगों पर कानून का कड़ा चाबुक लगा, इस इंतजार में अपनों के खून से सने दामन को लिए सिसक रहा था गांधी मैदान. अब इस बात का इंतजार खत्म हुआ कि जिन लोगों ने इस नापाक हरकत को अंजाम दिया था, उन्हें कानून से कड़ी सजा मिली. अब आगे ऐसा कोई सोचेगा भी तो उसकी रूह कांप जाएगी. इस बम धमाके में जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई, ईटीवी भारत उन्हें शत-शत नमन करता है. अपनी श्रद्धांजलि देता है.
कब-कब और कहां-कहां हुआ था धमाका
- पहला धमाका: सुबह 9.30 बजे... पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म नम्बर 10 के शौचालय में
- दूसरा धमाका: सुबह 11.40 बजे... उद्योग भवन गांधी मैदान में
- तीसरा धमाका: दोपहर 12.05 बजे... रीजेंट सिनेमा हॉल के पास
- चौथा धमाका: दोपहर 12.10 बजे... गांधी मैदान में बापू की पुरानी प्रतिमा के पास
- पांचवां धमाका: दोपहर 12.15 बजे... गांधी मैदान के दक्षिणी हिस्से में ट्विन टावर के पास
- छठा धमाका: दोपहर 12.20 बजे... गांधी मैदान के पश्चिमी हिस्से में स्टेट बैंक के पास
- सातवां धमाका: दोपहर 12.45 बजे... गांधी मैदान के चिल्ड्रेन पार्क के पास
दो घंटे तक ब्लास्ट की न्यूज नहीं हुई थी फ्लैश
पहला विस्फोट के बाद दो घंटे तक कहीं भी न्यूज प्लैश नहीं की गई थी, लगभग दो घंटे बाद सभी न्यूज चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज चलने लगी. 11.40 बजे से 12.15 बजे के बीच बीजेपी नेता शाहनवाज़ हुसैन के गांधी मैदान स्थित मंच से भाषण दे रहे थे. इसी दौरान गांधी मैदान में चार विस्फोट हो चुके थे. गांधी मैदान में जब विस्फोट हो रहे थे, उसी वक्त नरेन्द्र मोदी पटना हवाई अड्डे पर उतर रहे थे.
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तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और अरुण जेटली पहले ही पहुंच चुके थे. जेटली गांधी मैदान के सामने स्थित मौर्या होटल में ठहरे थे. हुंकार रैली के बाद पत्रकारों से बात करते हुए जेटली ने कहा था कि मोदी की सुरक्षा व्यवस्था देख रहे गुजरात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था 'सर, हम मोदी से कह रहे हैं कि वह हवाई अड्डे पर ही रुके रहें और सभा स्थल पर नहीं आएं. रैली को रद्द करना पड़ेगा.'
रद्द नहीं की गई थी रैली
इसके बावजूद रैली रद्द नहीं की गई. मोदी एयरपोर्ट से गांधी मैदान स्थित मंच पर पहुंचे. उस वक्त मंच पर मोदी, राजनाथ, अरुण जेटली, सुशील मोदी, रवि शंकर प्रसाद के अलावे बिहार बीजेपी के कई नेता मौजूद रहे. खतरे से बेखबर गांधी मैदान में मौजूद जनता नारे लगा रही थी. मोदी मंच पर आए और भाषण शुरू किया. एक तरफ मोदी भाषण दे रहे थे, तो दूसरी तरफ विस्फोट हो रहा था.
इसके बाद पूरे मामले की जांच NIA को सौंपी गई. पटना सीरियल ब्लास्ट मामले की जांच के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से दो आरोप पत्र दायर किए गए. एनआइए ने एक को मृत दिखाते हुए 12 आतंकवादियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें एक नाबालिग था, जिसे गायघाट स्थित किशोर न्याय बोर्ड ने गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट और बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट दोनों मामलों में सजा सुना दी है. एनआईए के अनुसार, पटना के गांधी मैदान में घटना को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने विस्फोटक पदार्थ की खरीदारी रांची से की थी. बताया जाता है कि सभी आरोपी रांची से बस के जरिए सुबह-सुबह ही बस से पटना पहुंचे थे. हालांकि अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हो सका है कि हुंकार रैली को असफल बनाने के लिए आतंकियों को कहां से फंडिंग की गई थी.
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