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बिहार NDA में सब ठीक है! ललन सिंह बोले- कोई दिक्कत नहीं, जातीय जनगणना पर कही ये बात

जेडीयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) ने कहा है कि जातिगत जनगणना समय की मांग है. बिहार में यह होनी चाहिए. उन्‍होंने एनडीए (NDA) के हालात और आरजेडी (RJD) से नजदीकी पर भी बयान दिया है. लेकिन जब उनसे बीजेपी (BJP) और जेडीयू के रिश्तों को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कह दिया कि अभी तक तो सब ठीक है. पढ़ें पूरी खबर

जेडीयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ललन सिंह
जेडीयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ललन सिंह
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Published : May 24, 2022, 6:38 PM IST

Updated : May 24, 2022, 7:54 PM IST

पटना: बिहार में जातीय जनगणना को लेकर एक बार फिर से एनडीए गठबंधन को दो पार्टी जेडीयू और बीजेपी आमने सामने हो गई है. एक तरफ जेडीयू के नेता कहते है की जातीय जनगणना बहुत जरूरी है. तो दूसरी तरफ बीजेपी के नेता कहते है की जातीय जनगणना को लेकर जल्दबाजी क्यों. इस बीच, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि एनडीए (Lalan Singh on BJP JDU Rift) में अभी तक तो सब कुछ ठीक ठाक है.

ये भी पढ़ें: जातीय जनगणना पर बीजेपी में अभी चल रहा डिस्कशन, पार्टी का नहीं मिला है कोई दिशा निर्देश

बिहार NDA में सब ठीक है! : जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से जब पूछा गया कि क्या बिहार एनडीए में सब ठीक है? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बिहार एनडीए में अभी तक तो सब ठीक ठाक है. कहां कोई दिक्कत है? वहीं जातीय जनगणना के सवाल पर उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना (Lalan Singh on Caste Census) समय की माग है. ललन सिंह से जब आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव (RJD Leader Lalu Prasad Yadav) के घर छापे को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, 'जिसने रेड डाला वही बताएगा.'

जातीय जनगणना पर एनडीए में घमासान: बता दें कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट लेती दिख रही है. पहली बार सत्ता पक्ष में बैठी पार्टी जेडीयू और विपक्ष में बैठी आरजेडी एक साथ हैं. दोनों ही पार्टियां जातीय जनगणना कराने की मांग कर रही हैं. दूसरी तरफ सत्ता में साझीदार बीजेपी जातीय जनगणना के खिलाफ अकेले खड़ी है. इधऱ जेडीयू और बीजेपी के बीच दिखती दूरियों में विपक्ष अपने लिए नई संभावनाएं देख रहा है.

लेकिन, इस बार यह पूरा मसला जेडीयू कोटे से मोदी सरकार में मंत्री बने आरसीपी सिंह की राज्यसभा में वापसी के सवाल के साथ शुरू हुआ था. अभी तक इस विवाद का कोई समाधान निकल भी नहीं पाया था कि जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार द्वारा उठाए गए कदम ने बीजेपी के सामने एक और परेशानी खड़ी कर दी है. दरअसल, लंबे समय तक चले वाद-विवाद और कई फॉर्मूले पर चर्चा के बाद जेडीयू कोटे से केवल एक नेता आरसीपी सिंह को मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया गया था. लेकिन अब राज्यसभा का उनका कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त होने जा रहा है. मंत्री बने रहने के लिए उनका सांसद बने रहना जरूरी है लेकिन विधायकों की संख्या के आधार पर जेडीयू सिर्फ एक उम्मीदवार को ही जीता सकती है लेकिन उस सीट को लेकर भी कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं.

...तो RCP से नाराज है नीतीश! : बताया जा रहा है कि कई मुद्दों पर बीजेपी का साथ देने के कारण नीतीश कुमार उनसे नाराज हैं और इस बार उनका राज्यसभा का टिकट कट सकता है. जाहिर तौर पर अगर बीजेपी ने उनकी मदद नहीं की तो उन्हें मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ सकता है. हालांकि राजनीति के चतुर खिलाड़ी माने जाने वाले नीतीश कुमार ने अभी तक अपनी मंशा साफ नहीं की है, लेकिन उनके करीबी एवं जेडीयू के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के बयानों से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि जेडीयू में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है.

हालांकि नीतीश कुमार को भी इस बात का अहसास है कि अगर आरसीपी सिंह को मोदी मंत्रिमंडल से जाना पड़ा तो जेडीयू को अपने कोटे से किसी अन्य नेता को मोदी कैबिनेट में शामिल करवाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. आरसीपी सिंह से जुड़ा विवाद अभी थम भी नहीं पाया था कि बिहार में जातीय जनगणना के मामले में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की मांग मान कर सर्वदलीय बैठक बुलाकर नीतीश ने बीजेपी के सामने एक और संकट खड़ा कर दिया है.

ये भी पढ़ें: राज्यसभा उम्मीदवारों के सवाल पर बोले नीतीश-'आप चिंता मत करिए, समय पर होगी घोषणा'

तो क्या नीतीश कुमार पहले की तरह, इस बार भी पाला बदलने का मन बना चुके हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन मजबूत है और इसे मजबूत बनाए रखने के लिए ही ज्यादा विधायक होने के बावजूद बीजेपी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार किया था. इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जहां तक बीजेपी का सवाल है, नीतीश कुमार 2025 तक गठबंधन के नेता के तौर पर मुख्यमंत्री बने रहेंगे.

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पटना: बिहार में जातीय जनगणना को लेकर एक बार फिर से एनडीए गठबंधन को दो पार्टी जेडीयू और बीजेपी आमने सामने हो गई है. एक तरफ जेडीयू के नेता कहते है की जातीय जनगणना बहुत जरूरी है. तो दूसरी तरफ बीजेपी के नेता कहते है की जातीय जनगणना को लेकर जल्दबाजी क्यों. इस बीच, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि एनडीए (Lalan Singh on BJP JDU Rift) में अभी तक तो सब कुछ ठीक ठाक है.

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बिहार NDA में सब ठीक है! : जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से जब पूछा गया कि क्या बिहार एनडीए में सब ठीक है? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बिहार एनडीए में अभी तक तो सब ठीक ठाक है. कहां कोई दिक्कत है? वहीं जातीय जनगणना के सवाल पर उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना (Lalan Singh on Caste Census) समय की माग है. ललन सिंह से जब आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव (RJD Leader Lalu Prasad Yadav) के घर छापे को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, 'जिसने रेड डाला वही बताएगा.'

जातीय जनगणना पर एनडीए में घमासान: बता दें कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट लेती दिख रही है. पहली बार सत्ता पक्ष में बैठी पार्टी जेडीयू और विपक्ष में बैठी आरजेडी एक साथ हैं. दोनों ही पार्टियां जातीय जनगणना कराने की मांग कर रही हैं. दूसरी तरफ सत्ता में साझीदार बीजेपी जातीय जनगणना के खिलाफ अकेले खड़ी है. इधऱ जेडीयू और बीजेपी के बीच दिखती दूरियों में विपक्ष अपने लिए नई संभावनाएं देख रहा है.

लेकिन, इस बार यह पूरा मसला जेडीयू कोटे से मोदी सरकार में मंत्री बने आरसीपी सिंह की राज्यसभा में वापसी के सवाल के साथ शुरू हुआ था. अभी तक इस विवाद का कोई समाधान निकल भी नहीं पाया था कि जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार द्वारा उठाए गए कदम ने बीजेपी के सामने एक और परेशानी खड़ी कर दी है. दरअसल, लंबे समय तक चले वाद-विवाद और कई फॉर्मूले पर चर्चा के बाद जेडीयू कोटे से केवल एक नेता आरसीपी सिंह को मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया गया था. लेकिन अब राज्यसभा का उनका कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त होने जा रहा है. मंत्री बने रहने के लिए उनका सांसद बने रहना जरूरी है लेकिन विधायकों की संख्या के आधार पर जेडीयू सिर्फ एक उम्मीदवार को ही जीता सकती है लेकिन उस सीट को लेकर भी कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं.

...तो RCP से नाराज है नीतीश! : बताया जा रहा है कि कई मुद्दों पर बीजेपी का साथ देने के कारण नीतीश कुमार उनसे नाराज हैं और इस बार उनका राज्यसभा का टिकट कट सकता है. जाहिर तौर पर अगर बीजेपी ने उनकी मदद नहीं की तो उन्हें मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ सकता है. हालांकि राजनीति के चतुर खिलाड़ी माने जाने वाले नीतीश कुमार ने अभी तक अपनी मंशा साफ नहीं की है, लेकिन उनके करीबी एवं जेडीयू के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के बयानों से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि जेडीयू में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है.

हालांकि नीतीश कुमार को भी इस बात का अहसास है कि अगर आरसीपी सिंह को मोदी मंत्रिमंडल से जाना पड़ा तो जेडीयू को अपने कोटे से किसी अन्य नेता को मोदी कैबिनेट में शामिल करवाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. आरसीपी सिंह से जुड़ा विवाद अभी थम भी नहीं पाया था कि बिहार में जातीय जनगणना के मामले में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की मांग मान कर सर्वदलीय बैठक बुलाकर नीतीश ने बीजेपी के सामने एक और संकट खड़ा कर दिया है.

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तो क्या नीतीश कुमार पहले की तरह, इस बार भी पाला बदलने का मन बना चुके हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन मजबूत है और इसे मजबूत बनाए रखने के लिए ही ज्यादा विधायक होने के बावजूद बीजेपी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार किया था. इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जहां तक बीजेपी का सवाल है, नीतीश कुमार 2025 तक गठबंधन के नेता के तौर पर मुख्यमंत्री बने रहेंगे.

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Last Updated : May 24, 2022, 7:54 PM IST
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