पटना: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) में अब बहुत ज्यादा समय नहीं है, लेकिन जदयू (JDU) बंगाल चुनाव की तरह इस बार भी मझधार में है. बंगाल चुनाव के समय भी जदयू नेता कहते रहे कि बीजेपी (BJP) के साथ गठबंधन की कोशिश कर रहे हैं और अब यूपी चुनाव में भी कह रहे हैं कि बीजेपी के साथ गठबंधन की कोशिश हो रही है, लेकिन बीजेपी की तरफ से अब तक जदयू के साथ गठबंधन को लेकर पत्ते नहीं खोले गए हैं.
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जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक में फैसला ले चुकी है कि जदयू को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाना है और इसके लिए देश में जहां भी चुनाव होगा पार्टी वहां लड़ेगी. यूपी सहित पांच राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर भी पार्टी ने उम्मीदवार को मैदान में उतारने का फैसला लिया है, लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन हो जाए इसकी कोशिश हो रही है.
बंगाल चुनाव के समय भी जदयू के नेता पूरे जोश खरोश के साथ कहते रहे कि मजबूती से वहां उतरेंगे और नीतीश कुमार प्रचार करने जाएंगे. बीजेपी के साथ भी गठबंधन की कोशिश हो रही है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. जदयू कुछ सीटों पर चुनाव लड़ी और सभी की जमानत जब्त हो गई. अब ऐसा ही कुछ यूपी चुनाव को लेकर भी जदयू के नेता कह रहे हैं.
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''यूपी चुनाव में चुनावी प्रक्रिया शुरू होने में कुछ ही महीने रह गए हैं, लेकिन जदयू की कोई तैयारी नहीं दिख रही है. न प्रचार के लिए कोई रणनीति बनती दिख रही है. जदयू बीजेपी से गठबंधन कर नैया पार करने की कोशिश में लगा है, लेकिन जो स्थिति बन रही है उसमें जदयू के लिए बहुत कुछ प्राप्त होगा, ऐसा लग नहीं रहा है.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
यूपी चुनाव को लेकर जदयू का स्टैंड अभी तक कुछ भी साफ नहीं है. कितने सीटों पर पार्टी उम्मीदवार उतारेगी इसको लेकर भी जदयू फैसला नहीं ले पाई है. बंगाल चुनाव की तरह ही जदयू पूरी तरह से मझधार में दिख रही है.
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''हम लोगों ने तो पहले ही फैसला ले लिया है. यदि बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं होता है, तो अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगे और अभी विलंब नहीं हुआ है, क्योंकि चुनाव आयोग ने ही कोई घोषणा नहीं की है.''- अरविंद निषाद, प्रवक्ता जदयू
बीजेपी बिहार के नेता साफ कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी के साथ राम और काम दोनों है और पिछली बार से अधिक सीटों के साथ फिर से बीजेपी की वहां सरकार बनेगी. हालांकि, जदयू के साथ गठबंधन को लेकर बीजेपी के नेता खुलकर कुछ भी बोलने से फिलहाल बच रहे हैं, लेकिन इशारा साफ है.
''ये सब तो संसदीय बोर्ड और यूपी यूनिट तय करेगा. वहां हमारी सरकार बनते रही है और आगे भी हमारी सरकार बनेगी, जनता हमारे साथ है. पहले जो लोग कहते थे राम के नाम पर, लेकिन अब राम और काम दोनों के नाम पर है. मंडल और कमंडल दोनों हमारे साथ है.''- रामसागर सिंह, प्रवक्ता बीजेपी
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''जदयू का उत्तर प्रदेश में कोई जनाधार नहीं है. नीतीश कुमार की कोई बड़ी पहचान यूपी में नहीं है. मुख्यमंत्री के तौर पर लोग जानते होंगे, लेकिन उनके चेहरे पर वहां जदयू का कोई उम्मीदवार जीत जाए इसकी संभावना कम है. वैसे भी कई राज्यों में जदयू बीजेपी से अलग हटकर चुनाव लड़ी है, लेकिन सफलता नहीं मिली है. यूपी में भी कुछ खास होगा इसकी उम्मीद कम है. यूपी में पहले से ही कई कद्दावर नेता हैं, अलग-अलग जाति के नेता भी हैं और कुर्मी जाति के भी नेता वहां है.''- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ
राजनीतिक जानकार यह भी कहते हैं कि बीजेपी यदि कुछ सीटों पर समझौता भी करती है तो यह जदयू पर एक तरह से उपकार ही होगा. नीतीश कुमार के चेहरे का यदि बीजेपी इस्तेमाल करना चाहे तो उसका लाभ बिहार से सटे यूपी के विधानसभा क्षेत्रों में हो सकता है, लेकिन बीजेपी और जदयू के बीच कई मुद्दों पर विवाद भी है. ऐसे में बीजेपी नीतीश कुमार से दूरी बनाकर ही रखेगी, यूपी में तो ऐसा ही लगता है. नहीं तो उन विवादित मुद्दों के कारण बीजेपी को नुकसान भी हो सकता है.
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बता दें कि यूपी चुनाव पर पूरे देश की नजर है और जदयू भी चाहती है कि वहां बीजेपी के साथ कुछ सीटों पर ही गठबंधन हो जाए, जिससे वहां पार्टी की उपस्थिति हो. इससे पहले दिल्ली में 2 सीटों पर बीजेपी के साथ जदयू का तालमेल हुआ था, हालांकि सफलता वहां नहीं मिली.
बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की बातचीत भी हुई है और चर्चा यह हो रही थी कि बीजेपी कुछ सीटों पर जदयू के साथ गठबंधन कर सकती है और नीतीश कुमार के चेहरे का इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन बीजेपी के तरफ से अभी तक इसको लेकर पत्ते नहीं खोले गए हैं, क्योंकि अब बहुत ज्यादा समय नहीं है. ऐसे में राजनीतिक हलकों में यह चर्चा फिर से होने लगी है कि जदयू की स्थिति कहीं बंगाल वाली ना हो जाए.