पटनाः राजद (RJD) के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) की एक बार फिर पार्टी से तल्खी बढ़ गई है. मनमुटाव इस कदर बढ़ गया है कि एक बार फिर उनके प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे देने की खबरें सुर्खियों में तैर रही है. ईटीवी भारत (Etv Bharat) ने इस बावत जगदानंद सिंह से बात भी की, जिसमें उन्होंने इस्तीफे को ही पहेली बना दिया. इस्तीफे को न दो जगदा बाबू खुले तौर पर स्वीकार कर रहे हैं और न ही साफ तौर पर इंकार. इस रिपोर्ट में हम कद्दावर नेता जगदानंद सिंह के राजनीतिक सफर की कहानी को जानेंगे.
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जगदानंद सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं. वह स्वर्गीय रामरुचि सिंह के पुत्र हैं और उन्होंने वर्ष 1973 में वाराणसी के हरीश चंदर कॉलेज से एलएलबी किया. वह भारतीय संसद के सदस्य थे और उन्होंने राजद से 15वीं लोकसभा में बक्सर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) का प्रतिनिधित्व किया था. राजद के बक्सर से सांसद बनने से पहले वह रामगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजद के विधायक भी थे.
2009 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने कैमूर की रामगढ़ सीट से 6 बार विधायक रह चुके जगदानंद सिंह को बक्सर से उम्मीदवार बनाया था. वे लालू यादव के बहुत ही खास और करीबी माने जाते हैं. 2009 में उपचुनाव की घोषणा की गई थी. पार्टी चाहती थी कि जगदानंद के बेटे को टिकट दिया जाए, लेकिन कर्पूरी ठाकुर और जेपी को आदर्श मानने वाले जगदानंद ने कहा कि इससे वंशवाद को बढ़ावा मिलेगा. जिसके बाद जगदानंद सिंह ने अंबिका यादव को टिकट दिलवाया और बाहुल्य सीट पर जीत हासिल हो गई.
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2019 के आम चुनाव में आरजेडी का करारी हार का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद राष्ट्रीय जनता दल में संगठन के स्तर पर बड़ा फेरबदल शुरू हो गया. इसके तहत पार्टी ने अपने सबसे सीनियर नेताओं में से एक जगदानंद सिंह को बिहार प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. बता दें कि जगदानंद सिंह ने लालू के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव और छोटे पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव के बीच तनाव को कम करने का भी प्रयास किया था. जब राबड़ी देवी बिहार की सीएम थीं, तब जगदानंद सिंह का कद सरकार में सबसे बड़ा माना जाता था. जगदानंद सिंह का प्रदेश अध्यक्ष बनना लालू प्रसाद की पार्टी में दखल के रूप में भी देखा जाने लगा था.
यहां यह बताना भी जरूरी है कि तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) गाहे-बगाहे जगदानंद सिंह पर हमला बोलते रहे हैं. कुछ दिन पहले हुए राजद के रजत जयंती समारोह में भी उन्होंने इशारो-ही-इशारों में जगदानंद सिंह पर हमला बोला था. तेजप्रताप ने कहा था कि लगता है कि जगदानंद अंकल हम पर गुस्साये हुए हैं. इसलिए मेरी बातों पर हाथ उठाकर समर्थन नहीं करते हैं.
वहीं इससे पहले तेज प्रताप यादव जब आरजेडी दफ्तर पहुंचे थे और करीब 10 मिनट तक रहे थे. इस दौरान तेज प्रताप यादव को ये नागवार गुजरा था कि उनके स्वागत में जगदानंद सिंह दफ्तर से बाहर नहीं आए थे और न ही उनके चेंबर में जाकर उनसे मुलाकात की. इस दौरान तेज प्रताप ने जगदानंद सिंह को खूब खरी-खोटी भी सुनाई थी. मीडिया कर्मियों के साथ जगदानंद सिंह के दरवाजे तक गए थे और स्वागत नहीं करने को लेकर सवाल पूछा था. इसके बाद भी जगदा बाबू की नाराजगी देखी गई थी. हालांकि इस घटना से पार्टी में बड़ी टूट और क्षति को देखते हुए तत्काल दिल्ली से पटना पहुंचकर तेजस्वी यादव ने डैमेज कंट्रोल किया था.
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लोकसभा चुनाव से पहले राजद का प्रदेश कमान संभालने की जिम्मेदारी जगदानंद सिंह को मिली थी, जिसके बाद से वो आज तक इस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं.
लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद पार्टी का प्रदर्शन लगातार खराब हो रहा था. नतीजे लगातार विपरीत मिल रहे थे. इसके बाद राजनीति में महारथ हासिल किए लालू प्रसाद के इशारे पर लोकसभा चुनाव 2019 से पहले जगदा बाबू को राजद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. जिसके बाद से वे राजद के अध्यक्ष पद का कमान संभाल रखा था. तब से लेकर मौजूदा वक्त तक जगदा बाबू के कई बार नाराज होने की खबरें आ चुकी हैं. इस बार भी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की खबरें सुर्खियों में हैं. भले ही जगदानंद सिंह इसपर खुलकर न बोले हों, लेकिन माना जा रहा है कि तेजप्रताप यादव के रवैये से वे काफी आहत हुए हैं. हालांकि इसके बाद पार्टी डैमेड कंट्रोल में जुट गई है.