पटना: खाद्य सामग्री की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हो रहा है, जिस वजह से एक आम आदमी के लिए घर चलाना बेहद मुश्किल हो रहा है. जितनी रोज की कमाई है, उतने में परिवार को गुजारा नहीं हो पा रहा है. वहीं, पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (Petrol, Diesel and LPG) से लेकर रोजमर्रा की तमाम चीजें रोज महंगी होती जा रही है. जिस बिहार में प्रति व्यक्ति रोजाना औसत आय मात्र 89 रुपए है, वहां एक लीटर पेट्रोल पर उन्हें 71 रुपए टैक्स चुकाना पड़ रहा है. वहीं, सरकार की ओर से बढ़ती महंगाई (Inflation) को रोकने के लिए किसी तरह की कोई पहल होती नहीं दिख रही है.
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बिहार कृषि प्रधान राज्य है और प्रति व्यक्ति आय के मामले में बिहार निचले पायदान पर है. औसतन एक बिहारी हर रोज 89 रुपए की कमाई कर लेता है. 2018-19 के आंकड़े के मुताबिक बिहारियों की आमदनी 31 हजार 287 रुपए दर्ज की गई थी. पटना में सबसे ज्यादा अमीर लोग हैं. यहां रहने वाले बिहारियों की प्रति व्यक्ति आय 11 लाख 2 हजार 604 है रुपए है. वहीं, बेगूसराय दूसरे स्थान पर है, यहां प्रति व्यक्ति आय 54 हजार 440 रुपए है. जबकि सबसे निचले पायदान पर शिवहर है, जहां प्रति व्यक्ति आय 17 हजार 569 है.
बिहार में कमरतोड़ महंगाई ने आम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस और सरसों तेल की कीमत हर रोज रिकॉर्ड बना रही है. बिहार में पेट्रोल जहां 110 रुपए प्रति लीटर है, वहीं डीजल 200 रुपए के पार पहुंच चुका है. जबकि सरसों तेल भी 250 रुपए प्रति लीटर पहुंचने के करीब है.
रसोई गैस की कीमत साल 2011-12 में 315 रुपए थी, जो 2014 में बढ़कर 414 रुपए तक पहुंच गई. आज की तारीख रसोई गैस की कीमत 1000 रुपए के आंकड़े को छू चुकी है. डीजल जहां सौ के आंकड़े को पार कर चुका है, वहीं पेट्रोल 110 लीटर तक पहुंच चुका है. हर रोज औसतन 30 पैसे प्रति लीटर के हिसाब से पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि हो रही है.
आइये पेट्रोल और कच्चे तेल के अर्थशास्त्र को समझते हैं. दरअसल, साल 2011-12 में पेट्रोल की कीमत 58 रुपए प्रति लीटर थी, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 112 डॉलर प्रति बैरल थी. 2014-15 में पेट्रोल की कीमत 71 रुपए प्रति लीटर थी, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 83 प्रति बैरल के इर्द-गिर्द थी. साल 2021 में भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 82 डॉलर प्रति बैरल है, लेकिन पेट्रोल की कीमत 110 रुपए प्रति लीटर पहुंच चुकी है.
2011-12 में प्रति लीटर पेट्रोल पर खर्च 32 रुपए था, जबकि 2014-15 में 33 रुपए और 2021 में 38.67 रुपए है. 2011 में एक डॉलर की कीमत 45 रुपए थी तो 2014-15 में 61 रुपए पहुंच गई. आज की तारीख में एक डॉलर की कीमत 75 रुपए के बराबर है. बिहार जैसे राज्यों में 110 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल मिलने का मतलब यह है कि लोगों को 1 लीटर पेट्रोल पर 71 रुपए का टैक्स चुकाना पड़ रहा है. वह भी तब जब एक बिहारी प्रतिदिन औसतन 89 की कमाई कर पाता है.
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बिहार में औसतन हर रोज 30 पैसे प्रति लीटर के हिसाब से पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि हो रही है. कीमतों में वृद्धि का नतीजा यह है कि पिछले डेढ़-दो साल में गेहूं और चावल की कीमतों में डेढ़ से दोगुना तक का उछाल आया है. कोई भी सब्जी 40 रुपए प्रति किलो से कम नहीं है. सरसों तेल 230 रुपए प्रति किलो के आसपास पहुंच चुकी है. ऐसे में गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के लोग 2 जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
विपक्ष ने बढ़ती महंगाई के लिए सीधे तौर पर सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. आरजेडी प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि कीमतों में वृद्धि से बिहार के लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. बिहार की सरकार केंद्र पर दोषारोपण कर रही है तो केंद्र राज्यों की ओर देख रहा है. आने वाले दिन और भयावह होने वाले हैं. वहीं, बिहार कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि प्रति व्यक्ति कम आय वाले राज्यों को लेकर सरकार गंभीर नहीं है. अगर शीघ्र कदम नहीं उठाए गए तो लोग भूख से मरने लगेंगे.
महंगाई और विपक्ष के आरोपों पर बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद कहते हैं कि महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, लेकिन नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार बेहतर काम कर रही है. हमने कई क्षेत्रों में पैकेज दिए हैं और शीघ्र ही महंगाई पर भी नियंत्रण पा लेंगे.
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उधर, समाजसेवी डॉ. संजय कुमार ने कहा है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में बिहार निचले स्थान पर है. नीति आयोग की रिपोर्ट (NITI Aayog Report) में भी विकास के मायने में बिहार 28वें स्थान पर रहा है. वे कहते हैं कि बिहार के बच्चे पहले से ही न्यूट्रीशनल डिफिशिएंसी (Nutrition Deficiency) से जूझ रहे थे, अब बढ़ती महंगाई से चुनौती और भी बड़ी हो गई है.
वहीं, अर्थशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास ने कहा है कि जिस तरीके से महंगाई बढ़ रही है, वैसे में अब लोगों को दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिल पाएगी. पेट्रोल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में आज की तारीख में 2014-15 के स्तर पर ही है, लेकिन प्रति लीटर पेट्रोल 110 रुपए के स्तर तक पहुंच चुका है. जरूरी सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं, उससे लगता नहीं कि बढ़ती कीमतों पर सरकार का कोई नियंत्रण रह गया है.