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पटना में कंगनघाट गुरुद्वारा का शुभारंभ, हजारों श्रद्धालुओं ने टेका माथा

कंगनघाट गुरुद्वारा बनने सिख श्रद्धालुओं में काफी खुशी है. श्रद्धालु सीएम नीतीश कुमार को बधाई दे रहे हैं.

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Published : Dec 30, 2019, 9:18 PM IST

Patna
पटना में कंगनघाट गुरुद्वारा का शुभारंभ

पटना: दसमेश पिता श्री गुरुगोविंद सिंह जी महाराज के 353 वें प्रकाशपर्व पर बिहार सरकार ने गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से कंगनघाट पर गुरुगोविंद सिंह गुरुद्वारा का शुभारंभ किया गया.

पंच प्यारे की अगुआई में कीर्तन, भजन और धार्मिक रीती-रिवाज के साथ गुरुग्रंथ साहिब का दर्शन कर कंगनघाट गुरुद्वारा का शुभारंभ किया गया. इस दौरान सामूहिक अरदास के बाद हजारों श्रद्धालुओं ने लंगर का प्रसाद चखा.

पटना में कंगनघाट गुरुद्वारा का शुभारंभ

श्रद्धालुओं ने सीएम को दी बधाई
कंगनघाट गुरुद्वारा बनने से सिख श्रद्धालुओं में काफी खुशी है. श्रद्धालु सीएम नीतीश कुमार को बधाई दे रहे हैं. श्रद्धालुओं की मानें तो गुरुगोविंद सिंह महाराज अपने माता पिता के साथ गंगा घाट गए थे. जहां उन्होंने अपने हाथ का कंगन निकालकर नदी में फेंक दिया था. उनकी माता ने शिष्यों को कंगन खोजने के लिए कहा लेकिन काफी खोजने के बाद भी कंगन नहीं मिला.

Patna
जानकारी देते सिख श्रद्धालु

ऐसे पड़ा कंगन घाट नाम
कंगन नहीं मिलने पर गुरु महाराज ने दूसरे हाथ का भी कंगन निकालकर नदी में फेंक दिया. उसके बाद उन्होंने खुद जाकर दोनों हाथों के कंगन को नदी से बाहर निकाला. तब से इस घाट का नाम कंगन घाट पड़ गया.

पटना: दसमेश पिता श्री गुरुगोविंद सिंह जी महाराज के 353 वें प्रकाशपर्व पर बिहार सरकार ने गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से कंगनघाट पर गुरुगोविंद सिंह गुरुद्वारा का शुभारंभ किया गया.

पंच प्यारे की अगुआई में कीर्तन, भजन और धार्मिक रीती-रिवाज के साथ गुरुग्रंथ साहिब का दर्शन कर कंगनघाट गुरुद्वारा का शुभारंभ किया गया. इस दौरान सामूहिक अरदास के बाद हजारों श्रद्धालुओं ने लंगर का प्रसाद चखा.

पटना में कंगनघाट गुरुद्वारा का शुभारंभ

श्रद्धालुओं ने सीएम को दी बधाई
कंगनघाट गुरुद्वारा बनने से सिख श्रद्धालुओं में काफी खुशी है. श्रद्धालु सीएम नीतीश कुमार को बधाई दे रहे हैं. श्रद्धालुओं की मानें तो गुरुगोविंद सिंह महाराज अपने माता पिता के साथ गंगा घाट गए थे. जहां उन्होंने अपने हाथ का कंगन निकालकर नदी में फेंक दिया था. उनकी माता ने शिष्यों को कंगन खोजने के लिए कहा लेकिन काफी खोजने के बाद भी कंगन नहीं मिला.

Patna
जानकारी देते सिख श्रद्धालु

ऐसे पड़ा कंगन घाट नाम
कंगन नहीं मिलने पर गुरु महाराज ने दूसरे हाथ का भी कंगन निकालकर नदी में फेंक दिया. उसके बाद उन्होंने खुद जाकर दोनों हाथों के कंगन को नदी से बाहर निकाला. तब से इस घाट का नाम कंगन घाट पड़ गया.

Intro:कंगनघाट पर बना गुरुमहाराज का गुरुद्वारा बनना और गुरु महाराज का सामूहिक अरदास होना सिक्ख संगतों के लिये गुरु से साक्षात दर्शन होना है।कंगनघाट को गुरुमहाराज ने अपने दोनों हाथों का कंगन गंगा में फेंक कर फिर गंगा से सुरक्षित कंगन को निकालना यह चर्चा का विषय रहा होगा और गुरु महाराज की महिमा को बिहार सरकार ने जाना और माना यह बिहार ही नही बल्कि बिहार की कृति गुरु के प्रति पूरे विश्व मे बिख्यात होगा।Body:स्टोरी:-कंगनघाट गुरुद्वारा का शुभारंभ।
रिपोर्ट:-पटनासिटी से अरुण कुमार।
दिनाँक:-30-12-019.
एंकर:-पटनासिटी,दसमेश पिता श्री गुरुगोविंद सिंह जी महाराज के 353वॉ प्रकाशपर्व पर बिहार सरकार ने गुरुद्वारा प्रवन्धक कमिटी की ओर से कंगनघाट पर गुरुगोविंद सिंह गुरुद्वारा का शुभारंभ किया गया।आज पंच प्यारे की अगुआई में कीर्तन भजन के साथ धार्मिक रीती-रिवाज के साथ गुरुग्रन्थ साहिब को रखकर आज से यह कंगनघाट गुरुद्वारा सार्वजनिक कर दिया है।कंगनघाट गुरुद्वारा बनने से देश-विदेश से आये सिक्ख संगतों में काफी खुशी है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हार्दिक बधाई सिक्ख संगत दे रहे है।गौरतलब है कि गुरुगोविंद सिंह महाराज अपने माता-पिता के साथ गंगा घाट पर पहुँच कर मनोरंजन कर रहे थे कि अचानक गुरुमहाराज ने अपने हाथ का कंगन गंगा नदी में फेंक दिया,माता गुजरी ने आने शिष्यों के कंगन गंगा नदी में खोजने को कहा तो किसी से भी कंगन गंगा नदी में नही मिला तब जाकर गुरु महाराज ने दूसरे हाथो का कंगन फेक दिया उसके बाद गुरुगोविंद सिंह ने खुद ही गंगा में जाकर अपने दोनों हाथो का कंगन गंगा नदी से निकाला उस समय से लेकर आज तक इस गंगा घाट का नाम कंगन घाट पड़ा।कंगन घाट पर गुरु महाराज का गुरुद्वारा बनने से सिक्ख संगतों में काफी खुशी है।यह कंगन घाट गुरुद्वारा कंगन की तरह ही गोल है इसकी बारीकी अपने आप मे एक मनमोहक है देखिये एक रिपोर्ट
बाईट(गुरुप्रीत सिंह और राजमित कौर -सिक्ख श्रद्धालु-पटियाला)Conclusion:कंगनघाट पर बना गुरुमहाराज का गुरुद्वारा बनना और गुरु महाराज का सामूहिक अरदास होना सिक्ख संगतों के लिये गुरु से साक्षात दर्शन होना है।कंगनघाट को गुरुमहाराज ने अपने दोनों हाथों का कंगन गंगा में फेंक कर फिर गंगा से सुरक्षित कंगन को निकालना यह चर्चा का विषय रहा होगा और गुरु महाराज की महिमा को बिहार सरकार ने जाना और माना यह बिहार ही नही बल्कि बिहार की कृति गुरु के प्रति पूरे विश्व मे बिख्यात होगा।आज पंच प्यारे की अगुआई में गुरुग्रन्थ साहिब के समक्ष कंगनघाट गुरुद्वारा का शुभारंभ हुआ सामूहिक अरदास हुई उसके बाद लंगर की वेवस्था की गई।
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