नई दिल्ली: आज कल बैंक कंपनियां लोगों को आसानी से लोन प्रोवाइड कर रही हैं. इसके चलते लोगों के लिए अपना घर और कार जैसे चीजें खरीदने का सपना आसानी से पूरा हो रहा है, लेकिन अगर कोई शख्स लोन के पैसे को चुकाने में लापरवाही बरतता है तो वह कर्ज के जाल में भी फंस सकता है.
ऐसे में अगर आप भी अपने सपनों के घर या पसंदीदा कार खरीदने के लिए लोन लेने का प्लान बना रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ख्याल रखना होगा. इससे आपको भविष्य में किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा और आप आसानी से लोन चुका सकते हैं.
अच्छी तरह समझें क्या हैं फिक्स्ड, फ्लोटिंग और एपीआर?
बैंक से लोन लेते वक्त सबसे पहले इंटरेस्ट रेट के बारे में अच्छी तरह से जान लें कि जिस बैंक से आप लोन ले रहे हैं, क्या आपको फिक्स्ड रेट पर लोन दे रही है या फ्लोटिंग रेट पर. लोन लेने से पहले यह भी समझ लें कि लोन पर आप बतौर इंटरेस्ट कितने पैसे चुकाएंगे.
बता दें कि फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट वाले लोन में पूरी अवधि के दौरान इंटरेस्ट रेट में कोई बदलाव नहीं होता है और ग्राहक समान ब्याज पर भुगतान करते रहते हैं. वहीं, अगर कोई ग्राहक फ्लोटिंग रेट पर लोन लेता है तो लोन चुकाने की अवधि के दौरान इंटरेस्ट रेट में बदलाव हो सकता है.
इसी तरह लोन लेते समय एनुअल पर्सेंटेज रेट (APR) का भी ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि कई बार प्रोसेसिंग फीस और एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज की वजह से लोन एपीआर बढ़ जाता है और आपको ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं.
रिसर्च न करना
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मताबिक होम लोन काफी आम हो गए हैं और आसानी से उपलब्ध हैं. बढ़ती मांग के साथ, कई वित्तीय संस्थान किसी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुकूलित योजनाएं प्रदान करते हैं. इसलिए, किसी विशेष संस्थान से लोन के लिए आवेदन करने से पहले उचित शोध करना बहुत जरूरी है. घर खरीदने वालों को अपनी जरूरतों की दोबारा जांच करनी चाहिए, अपने वित्त की योजना बनानी चाहिए, नियम और शर्तों की जांच करनी चाहिए, छिपे हुए शुल्क, प्रोसेसिंग शुल्क और लचीले पुनर्भुगतान विकल्पों की पहचान करनी चाहिए और उसके अनुसार उपयुक्त बैंक और योजना का चयन करना चाहिए.
लोन की लागत का गलत अंदाजा न लगाएं
लोन लेते वक्त ग्राहक कई बार लोन की लागत का सही अंदाजा नहीं लगाते. इसके चलते उन्हें लोन का भुगतान करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और उनका फाइनेंशियल प्लान पूरी तरह से बिगड़ जाता है.
सोच समझ कर करें रीपेमेंट शिड्यूल का चुनाव
कई लोग लोन के रीपेमेंट के लिए एग्रेसिव शिड्यूल को चुनते हैं. इससे जरूरी खर्चों पर असर पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि रीपेमेंट शिड्यूल का चुनाव भविष्य में अपनी इनकम में होने वाली बढ़ोतरी को ध्यान में रख कर करें.
इसके अलावा आपको बैंक के फोरक्लोज से जुड़े नियमों को भी समझ लेना चाहिए. कई बार 5 फीसदी का फोरक्लोजर चार्ज लगाते हैं. इससे समय से पहले लोन चुकाने का अट्रैक्शन कम हो जाता है.
लोन की प्लानिंग में न करें देरी
अगर आपको लोन की जरूरत है तो उसे लेने में देरी न करें. आप जितनी कम उम्र में लोन लेंगे, उतनी ही कम उमर में बैंक को लोन रिटर्न भी कर देंगे. लोन में देरी करने से बुढ़ापे में लायबलिटी बढ़ जाती है, जिससे आपको दिक्कत हो सकती है.
सेविंग्स और निवेश नहीं बंद करें
कई लोग लेने के बाद सेविंग्स और इनवेस्ट करना बंद कर देते हैं, ऐसा बिल्कुल न करें, क्योंकि लंबी अवधि में निवेश करने पर अच्छा रिटर्न मिलता है. इसलिए जरूरी है कि लोन की किस्त चुकाने के साथ-साथ आप कुछ पैसा निवेश करें और कुछ सेविंग्स के लिए रखें.