पटना: इस बार जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है. एक ओर जहां गृहस्थ लोग जन्माष्टमी आज मना रहे हैं, तो वहीं वैष्णव संप्रदाय और साधु समाज के लोग 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे. यूं दो दिन जन्माष्टमी मनाने का क्या महत्व है और क्या कारण है इसके बारे में इस्कॉन पटना के अध्यक्ष कृष्णकृपा दास ने पूरी जानकारी दी.
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इस बार दो दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी
इस्कॉन पटना के अध्यक्ष कृष्णकृपा दास ने बताया कि वैष्णव तरीके से जो जन्माष्टमी मनाई जाती है वह रोहिणी नक्षत्र में पड़ती है और वह कल है. इसलिए वैष्णव संप्रदाय और साधु समाज के लोग कल यानी 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे. उन्होंने बताया कि आज अष्टमी तिथि भी है, लेकिन अष्टमी तिथि का आगमन रात में हो रहा है और हम लोग उदया तिथि मानते हैं, इसलिए वैष्णव संप्रदाय जन्माष्टमी कल मना रहा है.
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रोहिणी नक्षत्र का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद की कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. रोहिणी नक्षत्र में यह तिथि पड़ने के कारण ही इसे कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी के निर्धारण में रोहिणी नक्षत्र का बहुत ज्यादा ध्यान रखते हैं.
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हर मनोकामना होती है पूरी
बता दें कि जन्माष्टमी का त्योहार पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है. लोग इस दिन व्रत और पूजापाठ करते हैं. ऐसी मान्यता है कि यह त्योहार मनाकर हर मनोकामना पूरी की जा सकती है. जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वे लोग भी इस दिन विशेष पूजा करके लाभ की प्राप्ति कर सकते हैं. इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति, दीर्घायु और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
झुले का है विशेष महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस एक दिन व्रत रखने से कई व्रतों का फल मिल जाता है. शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण को सभी व्रत का राजा यानि ‘व्रतराज’ कहा जाता है. वहीं, धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन बाल गोपाल को झूला झुलाने का बहुत ही महत्व है. लोगों में कृष्ण भगवान को झूला झुलाने का बहुत उत्साह रहता है. कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति पालने में भगवान को झुला दे तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.