पटना: राजधानी में पटना के चर्चित कदमकुआं वेंडिंग जोन (Famous Kadamkuan Vending Zone of Patna) के निर्माण कार्य के सम्बन्ध में राज्य सरकार ने पटना हाईकोर्ट को बताया कि नौ महीने में वेंडिग जोन का निर्माण पूरा हो जाएगा. डा. आशीष कुमार सिन्हा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. राज्य सरकार के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव और पटना नगर निगम के आयुक्त ने कोर्ट को जानकारी दी कि वेंडिंग जोन के निर्माण के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है.
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कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा: कोर्ट ने इस बारे में राज्य सरकार को हलफनामा दायर कर बताने को कहा है कि 9 महीने के भीतर वेंडिंग जोन का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. कोर्ट ने राज्य सरकार के दोनों अधिकारियों से कहा कि वे आपसी तालमेल से काम करें ताकि पटना रहने लायक शहर बने. इन दोनों सरकारी विभागों के मध्य एक बेहतर सहयोग हो जिससे सभी योजनाओं को सही ढंग से लागू किया जा सके.
वेडिंग जोन का निर्माण को लेकर सुनवाई: कोर्ट ने पटना नगर निगम के आयुक्त से स्पष्ट कहा कि वे सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं बल्कि वे स्वायत संस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसलिए उन्हें इसी प्रकार से कार्य करने चाहिए. बता दें कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण पर रोक लगाने के मामले में राज्य सरकार के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव और पटना नगर निगम के आयुक्त को तलब किया था. कोर्ट ने डा. आशीष कुमार सिन्हा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को ये बताने को कहा कि वेंडिंग जोन का निर्माण क्यों बंद किया गया.
वेंडिंग जोन के निर्माण को लेकर कोर्ट सख्त: कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में जानना चाहा था कि राज्य के नगर विकास और आवास विभाग ने इस योजना को कैसे रोक दिया. साथ ही यह भी बताने को कहा था कि वेंडिंग जोन का निर्माण कब तक पूरा होगा. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि नगर निगम स्वायत्त संस्था है जिसे संवैधानिक दर्जा प्राप्त है. कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा था कि कदमकुआं वेंडिंग जोन के लिए फिर कब टेंडर जारी किया जाएगा और ये कब तक पूरा हो जाएगा.
'बुडको की सहमति क्यों लेने की जरूरत है': पूर्व में पटना नगर निगम ने कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण रोके जाने के मामले में एक हलफनामा दायर किया था. इस हलफनामा में यह बताया गया कि नगर निगम को दो करोड़ रुपए से अधिक का टेंडर जारी करने का अधिकार नहीं है. साथ ही इस तरह के निर्माण के लिए बुडको से सहमति लेना आवश्यक है. कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा था कि इन सरकारी विभागों ने निगम के टेंडर को कैसे रद्द कर दिया. जबकि नगर निगम संवैधानिक दर्जा प्राप्त स्वायत संस्था हैं. नगर निगम को बुडको की सहमति क्यों लेने की जरूरत है.
अधिवक्ता मयूरी ने याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया था कि इन दोनों सरकारी विभागों ने सिर्फ कदमकुआं वेंडिंग जोन परियोजना को रद्द कर दिया था बल्कि आठ अन्य परियोजनाओं को भी रद्द किया है. इनमें प्लास्टिक बेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट और जलापूर्ति व्यवस्था की परियोजनाएं शामिल हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी.
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