पटना: बिहार में दावा प्राधिकरण (Claims Authority in Bihar) से तय हुए वाहन दुर्घटना मुआवजा राशि का पूरा और तत्काल भुगतान के लिए आवश्यक नियमावली बनाने के लिए दायर जनहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए इस मामले में कोर्ट मित्र नियुक्त करने का निर्देश दिया है. आईसीआईसीआई लोंबार्ड इंश्योरेंस कंपनी ने जनहित याचिका दायर की थी.
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याचिकाकर्ता कंपनी ने मद्रास और राजस्थान हाईकोर्ट के फैसलों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि इन दोनों राज्यों में दावा प्राधिकरण से तय हुए मुआवजा राशि का शीघ्र भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया गया है. उसी तरह बिहार में भी राशि का भुगतान आरटीजीएस और एनईएफटी माध्यम के जरिये भुगतान हो. इस संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है.
याचिकाकर्ता की ओर से दुर्गेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत कानूनी राशि, जो कोर्ट में बीमा कंपनी या भुगतानकर्ता को करनी होती है, उसे भी उक्त इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान करने का प्रावधान हो. दावा प्राधिकरण से तय हुई राशि के भुगतान में 3 से 4 साल लग जाते हैं और बिचौलियों के कारण मुआवजे का बड़ा हिस्सा कट जाता है. इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान होने पर बिचौलियों की कोई समस्या नहीं खड़ी होगी और राशि भी पीड़ित परिवार को सौ फीसदी मिलेगी. अब इस मामले पर अगली सुनवाई फिजिकल सुनवाई शुरू होने पर होगी.
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