पटना : बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Health Minster Mangal Pandey) ने कहा है कि प्रदेश में मातृ मृत्यु दर में कमी लाने, चिकित्सकों पर अतिरिक्त बोझ को हल्का करने और सम्मानजनक मात्री देखभाल को सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग नर्सों के क्षमता वर्धन पर जोर दे रहा है. इस उद्देश्य के प्राप्ति के लिए राज्य से चयनित 5 स्टाफ नर्स ग्रेड 'ए' और एक ट्यूटर को एनएमटीआई कस्तूरबा कॉलेज ऑफ नर्सिंग, वर्धा, महाराष्ट्र में स्टेट मिडवाइफरी एजुकेटर्स का प्रशिक्षण दिया जा रहा (Nurses Getting Training for Better Medication) है. यह प्रशिक्षण इसी माह 1 जून से शुरू हुआ है और यह अगले 6 महीने तक चलेगा.
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''उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद यह नर्सेज बिहार के अन्य स्टाफ नर्स ग्रेड 'ए' को नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी (एनपीएम) का प्रशिक्षण प्रदान करेंगी. यह प्रशिक्षण 18 महीने तक चलेगा और यह प्रशिक्षण आईजीआईएमएस स्थित स्टेट मिडवाइफरी ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में दिया जाएगा. नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी प्रशिक्षण के लिए पहले बैच में 30 स्टाफ नर्स ग्रेड ए का चयन किया जाएगा. चयन प्रक्रिया स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के मानकों के आधार पर किया जाएगा. पहले बैच के प्रशिक्षण खत्म होने के बाद अगले बैच के प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और इसी प्रकार ऐसे ही कई बैचों को आगे भी प्रशिक्षण दिया जाएगा.''- मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि एनपीएम प्रशिक्षण के बाद सभी प्रशिक्षित नर्सें सतत नर्सिंग सेवाओं को प्रदान करेंगी. इसमें सामान्य प्रसव को प्रोत्साहित करने, बिना जटिलता वाली प्रश्नों का बेहतर प्रबंधन करने और जटिल प्रश्नों को उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में रेफर करना शामिल होगा. इसके साथ ही प्रसव पूर्व देखभाल, प्रसव पश्चात देखभाल समेत परिवार नियोजन सेवाएं प्रदान करने में भी यह नर्सेज अपनी भूमिका निभाएंगी. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि इससे राज्य के मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में स्टाफ नर्सेज का बेहतर क्षमता वर्धन कारगर साबित होगा साथ ही साथ सम्मानजनक मातृ देखभाल को सुनिश्चित करना इनकी विशेष जिम्मेदारी होगी.
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