पटना: नवजात शिशुओं के मामले में बिहार के स्वास्थ्य विभाग (Bihar health department) ने काफी अहम फैसला लिया है. अब सरकारी अस्पतालों के प्रसव केंद्रों (Government Hospitals Delivery Center in Bihar) पर ही नवजात शिशुओं की व्यापक स्वास्थ्य जांच होगी. प्रसव केंद्रों पर तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों को इसके लिए प्रशिक्षित (Specialist Doctors training in bihar) किया जा रहा है. इससे नवजात शिशुओं को सही समय पर जरूरत की उचित चिकित्सा उपलब्ध होगी.
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बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Bihar Health Minister Mangal Pandey) ने कहा कि जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशुओं की व्यापक जांच अब सरकारी अस्पतालों के प्रसव केंद्र पर ही होगी. बीमारियों को पकड़ने के लिए प्रसव केंद्र पर तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों को समय-समय पर ट्रेनिंग देकर उन्हें एक्सपोर्ट बनाया जा रहा है. ऐसा होने से शिशुओं की बीमारियों का समय पर पता लगाकर त्वरित उपचार किया जा सकेगा. यह पता लगाया जा सकेगा कि कहीं नवजात बच्चों में किसी खतरनाक बीमारी के लक्षण तो नहीं हैं.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Child Health Program) के अंतर्गत कंप्रिहेंसिव न्यूबॉर्न स्क्रीनिंग प्रारंभ करने को लेकर दो चरणों में कार्यशाला आयोजित किया जा रहा है. पहले चरण में दो दिवसीय उन्मुखीकरण सह कार्यशाला मंगलवार, 5 अप्रैल को संपन्न हुआ. अब दूसरे चरण के कार्यशाला का आयोजन 25 और 26 अप्रैल को होगा. इन चिकित्सा कार्यक्रमों में प्रत्येक जिले से दो-दो विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी जिनमें एक शिशु रोग विशेषज्ञ और एक स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं. पहले चरण में 19 जिलों के चिकित्सा पदाधिकारियों ने प्रशिक्षित किया गया. दूसरे चरण में शेष 19 जिलों के चिकित्सा पदाधिकारी प्रशिक्षित किए जाएंगे.
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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि अनुवांशिक लक्षण या गर्भावस्था के दौरान कुछ जटिलताओं की वजह से नवजात बच्चे गंभीर बीमारियों के साथ जन्म लेते हैं. यदि उसे समय रहते प्रसव केंद्र पर पता लगा लिया जाए तो बहुत हद तक उस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है. बच्चों में पाई जाने वाली गंभीर बीमारियों की सर्जरी स्वास्थ विभाग की ओर से निशुल्क की जाती है.
उन्होंने कहा कि जन्म के तुरंत बाद शिशु के रोने से पता चलता है कि वह संभावित रूप से ठीक है लेकिन उसके स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए कई तरह के टेस्ट की जरूरत होती है. कुछ बच्चे दुर्लभ विकारों के साथ पैदा होते हैं. इस तरह की समस्याओं का पता लगाने के लिए ही स्क्रीनिंग टेस्ट कराए जाते हैं. स्वास्थ्य विभाग प्रदेश के सरकारी संस्थानों में स्वास्थ्य व सुदृढ़ करने पर लगातार काम कर रहा है.
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