पटना: कोरोना को लेकर भारत सरकार ने गाइडलाइन बदली है और इस गाइडलाइन के तहत प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने भी राज्य के लोगों को नए प्रोटोकॉल के बारे में अवगत कराया है. नई गाइडलाइन के तहत यदि आप कोरोना ( Bihar Corona Update ) पॉजिटिव है और माइल्ड या एसिंप्टोमेटिक ( Asymptomatic Patient ) रूप से संक्रमित हैं और होम आइसोलेशन में हैं और आपको 3 दिनों से बुखार नहीं आ रहा है तो आपको नई गाइडलाइन के तहत सरकार निगेटिव मान लेगी. पूर्व में यहां 10 दिनों का नियम था और संक्रमण का पॉजिटिव रिपोर्ट मिलने के 10 दिन बाद रिपोर्ट को निगेटिव माना जाता था.
इस संबंध में स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि बिहार में अब तक तीसरे लहर में जो लोग भी संक्रमित हुए हैं, उनमें से अधिकांश 3 से 5 दिन में निगेटिव हो जा रहे हैं. इस बार संक्रमण काफी माइल्ड है और अब तक महज 63 लोग ही इस समय अस्पतालों में एडमिट हुए हैं.
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उन्होंने बताया कि राज्य के 98 फीसदी लोग होम आइसोलेशन में ठीक हो रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के पास जो डाटा है उसमें 3 से 5 दिन में संक्रमित लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आ जा रही है. ऐसे में अब नए प्रोटोकॉल के तहत 7 दिन बाद खुद को संक्रमित निगेटिव मान ले, यदि उन्हें कोई लक्षण नहीं है और 3 दिनों से बुखार नहीं आ रही है.
कोरोना का नया प्रोटोकॉल क्या है जानिए
- कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर यदि कोई लक्षण नहीं है तो हम आइसोलेशन में रहना है.
- होम आइसोलेशन में परिवार के सदस्यों से अलग कमरे में रहना है, जहां परिवार के दूसरे लोग ना रहे
- संक्रमित सदस्य को मास्क लगाना है और परिवार के अन्य सदस्यों को भी मास्क का प्रयोग करना है
- 7 दिन में अगर 3 दिनों तक लगातार फीवर नहीं है तो घबराना नहीं है
- 7 दिन में खुद को निगेटिव मानकर आप सामान्य हो सकते हैं और आपको दोबारा फिर से कोई टेस्ट कराने की भी आवश्यकता नहीं है
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इन सबके अलावा यदि उम्र अधिक है तो सावधान रहने की जरूरत है. 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले या 45 वर्ष से अधिक उम्र के कोमोरबिड व्यक्ति को अपने ऑक्सीजन सैचुरेशन की लगातार मॉनिटरिंग करते रहना है. ऐसे लोगों के लिए विभाग का निर्देश है कि अगर ऑक्सीजन लेवल गिरता है तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें, सरकार की तरफ से टेलीमेडिसिन की व्यवस्था की गई है और अस्वस्थ फील करने पर टेलीमेडिसिन के माध्यम से डॉक्टर से परामर्श लें.
कौन होते हैं एसिंप्टोमेटिक पेशंट
अब सवाल उठता है कि एसिंप्टोमेटिक पेशंट कौन होता है. दरअसल, किसी भी बीमारी या इंफेक्शियस डिजीज ( Infectious Disease ) से ग्रसित वैसे लोग, जिन्हें बीमारी तो हो चुकी होती है. लेकिन लक्षण उनमें दिखाई नहीं देते हैं.
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विश्वव स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एसिंप्टोमेटिक पेशंट वे होते हैं, जो लैबोरेट्री से कंफर्म्ड केस होते हैं. लेकिन इनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं दिखते है. इसका मतलब ये हुआ कि व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है और दूसरे लोगों में भी कोरोना फैला रहा है. ऐसे लोगों में ना को फीवर होता है और ना ही उसे सांस लेने में कोई परेशानी होती है. जबकि उसके संपर्क में आने से कोविड पॉजिटिव हुए लोगों में ये सब समस्याएं हो सकती हैं.
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