पटनाः बिहार सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करती है लेकिन मानव विकास सूचकांक के मामले में बिहार निचले पायदान (Place of Bihar in Human Development Index) पर है. जब हम ह्यूमन इंडेक्स में निचले पायदान पर खड़े बिहार की बात करते हैं तो इसमें सुधार के लिए प्रदेश की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरुरत है. लेकिन इसे बेहतर करना सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती है.
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कोरोना संकट काल में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की वजह से स्थिति दयनीय हो गई. स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में लोगों की जानें गई. लेकिन, इन हालात के बीच भी बिहार सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा के मामले में राष्ट्रीय औसत से कम खर्च करती है.
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स्वास्थ पर बिहार सरकार प्रति व्यक्ति 520 रुपये और शिक्षा पर प्रति व्यक्ति 2267 रुपये खर्च करती है, जबकि राष्ट्रीय औसत स्वास्थ्य क्षेत्र में 1987 रुपये और शिक्षा के क्षेत्र में 5970 रुपये है. बिहार सरकार शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी का 5.2% खर्च करती है, जबकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में 1.9 5% ही खर्च करती है.
अर्थशास्त्री और पटना विश्वविद्यालय से अवकाश प्राप्त प्रोफेसर डॉ नवल किशोर चौधरी इस बारे में कहते हैं कि सार्वजनिक शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर अधिक व्यय किया जाना चाहिए. सालों से कहा जाता रहा है कि आय का 6 प्रतिशत शिक्षा पर और 4 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च किया जाना चाहिए. केन्द्र और राज्य स्तर पर भी इसे लागू किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कोरोना काल की त्रासदी से हमें सीखना चाहिए. आज स्वास्थ्य की व्यवस्था चरमराई हुई है. मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की कमी है. मेजर मेडिकल कॉलेजों से आई रिपोर्ट्स को देखते हुए लगता है कि सरकार को इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए. लेकिन जिस तरह से स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है. सड़क बनाना, बिजली, सिंचाई के अलावे सरकार की प्राथमिकताएं नहीं है. विकसित करने के नाम पर फ्लाईओवर बनाए जा रहे हैं. इससे हम इंकार तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन इससे भी जरुरी शिक्षा को दुरुस्त करने की जरुरत है.
वहीं, अर्थशास्त्री डॉ विद्यार्थी विकास कहते हैं कि वर्तमान में बिहार में केन्द्र के मुकाबले स्वास्थ्य पर की जाने वाली खर्च काफी कम है. राष्ट्रीय स्तर से मुकाबला करने के लिए भी बिहार को प्रति व्यक्ति खर्च को बढ़ाना होगा. राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर की जाने वाली खर्च में काफी अंतर है.
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