पटना: केंद्र सरकार (Central Government) ने कृषि कानून (Farm Law) को वापस लेने का ऐलान किया और इसी बिल वापसी को लेकर जन अधिकार पार्टी (Jan Adhikar Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने जमकर हमला किया. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान पप्पू यादव ने कहा कि हर मामले में केंद्र सरकार एक इवेंट आयोजित करते हैं.
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उन्होंने कहा कि आखिरकार केंद्र सरकार इस बिल को लाई ही क्यों, जिसके कारण सदन में लड़ाई झगड़े की नौबत आ गई. किसानों द्वारा किए गए आंदोलन में सैकड़ों किसानों की जान चले गई. इस बिल को लेकर कई विवाद भी खड़े हुए. वहीं, पप्पू यादव ने बिहार सरकार द्वारा की गई शराबबंदी समीक्षा पर भी सवाल खड़े किए. पप्पू यादव ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि जिस कृषि बिल के कारण केंद्र सरकार ने किसानों को आतंकवादी तक घोषित करने का काम किया. केंद्र सरकार को अगर इस बिल को वापस लेना ही था, तो इसे इवेंट ना बनाकर सीधे एक लेटर भेजकर रद्द कर देना चाहिए था. बावजूद इसके केंद्र सरकार ने इसे भी एक इवेंट का रूप दिया.
''आखिरकार केंद्र सरकार को यह जवाब देना चाहिए कि किस मुंह से वो इस बिल को लाए थे. केंद्र सरकार को यूरिया और पोटाश के साथ-साथ बाजार के हालातों की चिंता नहीं है. केंद्र सरकार इन मामलों पर कभी बहस नहीं करती है और कृषि बिल को केंद्र सरकार ने दुनिया का सर्वोच्च कानून घोषित किया. केंद्र सरकार को जब सत्ता का डर सताने लगा तो पीएम ने इस कानून को वापस लेने का काम किया है.''- पप्पू यादव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जन अधिकार पार्टी
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पप्पू यादव ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हाल के दिनों में यूपी और अन्य जगहों पर चुनाव होने हैं और कहीं ना कहीं इसी डर से केंद्र सरकार ने इस कृषि बिल को वापस लिया है. केंद्र सरकार भारत के किसान और मजदूरों के साथ-साथ युवाओं की भावनाओं को समझने में भी विफल रही है. केंद्र सरकार ने बस इन लोगों का इस्तेमाल किया है.
हिटलर की तरह केंद्र सरकार आज देश पर शासन कर रही है. जब केंद्र सरकार हर मामलों पर अध्यादेश लाती है, तो इस कृषि बिल पर अध्यादेश लाने से केंद्र सरकार क्यों हिचकिचा रही है. केंद्र सरकार को कृषि को उद्योग का दर्जा देना चाहिए. एमएसपी के लागत को केंद्र सरकार किसानों के हित में तय करें. जन वितरण प्रणाली के तरह हर पंचायतों में भी खाद भंडार और बीज निगम को सुदृढ़ किया जाए, अनुमंडल स्तर पर गोदाम को तैयार किया जाए और मंडी सिस्टम को एक बार फिर से लागू किया जाए.
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पप्पू यादव ने बिहार में जारी शराबबंदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बिहार में जारी शराबबंदी और समीक्षा बैठक अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है. गुजरात में शराब गुजरात नीति से खुलेआम बिक रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे कृषि कानून को खत्म कर दिया वैसे ही नीतीश जी को अब इस कानून को भी रद्द कर देना चाहिए. पप्पू यादव ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि आज हालात ऐसे हैं कि सरकार के घटक दल कहते हैं कि पुलिस अधिकारी शराब की बिक्री खुलेआम करवाते हैं.
आखिरकार इस तरह के मैराथन बैठक करने से सरकार को क्या फायदा और घटक दलों के अनुसार बिहार के सारे अधिकारी बिहार के सत्ताधारी नेताओं को बदनाम करवाने की साजिश रच रहे हैं. हालात यह है कि समीक्षा बैठक के बाद आदेश जारी हुआ है कि जिस थाना क्षेत्र में शराब की खेप पकड़ी जाएगी, वहां के थानेदार सस्पेंड किए जाएंगे और अब कोई थानेदार इस समीक्षा बैठक के बाद अपने इलाके में बिक्री होने वाली शराब की खेप को पकड़ने से भी डर रहा है और अब समीक्षा बैठक के बाद गरीबों दलितों की बस्तियों में जाकर पुलिस उन्हें शराब के नाम पर तंग करने का काम कर रही है.
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शराब माफियाओं को आज भी गिरफ्तार करने में पुलिस के पसीने छूट जाते हैं, क्योंकि इसका सीधा पैसा उच्च अधिकारियों तक जा रहा है. अगर बिहार सरकार शराबबंदी करना चाहती है, तो जन अधिकार पार्टी बिहार सरकार के साथ है. सरकार शराब के मामलों में स्पीडी ट्रायल चलाकर उच्च अधिकारियों पर भी कार्रवाई करें. इस मामले में डीएसपी, एसपी पर भी कार्रवाई करने को बिहार सरकार तैयार हो. पप्पू यादव कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुहिम को फेल सत्ता पक्ष के लोग और सरकार के घटक दल ही करने में लगे हुए हैं और उसके बाद बची खुची कसर दारोगा इंस्पेक्टर पूरी कर रहे हैं.
शराबबंदी मामले पर बोलते हुए पप्पू यादव कहते हैं कि इस मामले की बात ही छोड़िए विपक्ष के नेता दरभंगा जाते हैं, मगर ठीक उसी के बगल में दरभंगा में हुए मौत मामले की जानकारी लेने भी विपक्ष के नेता नहीं पहुंचे. इतनी बड़ी संवेदनहीन और भगोड़ा विपक्ष बिहार की जनता ने कभी नहीं देखा है. पप्पू यादव ने मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पर कटाक्ष करते हुए कहा कि के के पाठक के ज्वॉइन करते ही शराब के रेट दोगुने हो गए हैं. विदेश विभाग का प्रभार उन्हें दे दिया गया और अब इस मामले में भी हिस्से का बंटवारा बढ़ गया है और मुख्यमंत्री के द्वारा 7 घंटे तक की गई समीक्षा बैठक के बाद वसूली की प्रक्रिया बढ़ गई है.
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