पटना: 25 मार्च से देशव्यापी लॉक डाउन के दौरान देश का हर नागरिक प्रभावित हुआ है. इसमें एक वर्ग ऐसा भी है जो सबसे ज्यादा मुसीबत झेल रहा है. न सिर्फ पारिवारिक बल्कि आर्थिक रूप से सबसे बड़ी परेशानी में है देश का व्यापारी वर्ग. लॉक डाउन के बाद से चुनिंदा दुकानों को छोड़कर बाकी सभी दुकानें बंद पड़ी हैं. उनके साथ ही बंद पड़ी है सारी आर्थिक गतिविधियां. सरकार ने सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं के तहत दवा, दूध, फल-सब्जी और किराना दुकानों को खोलने की इजाजत दी है. ईटीवी भारत ने व्यापारी वर्ग की परेशानियां जानने की कोशिश की.
लॉक डाउन ने परेशान है व्यापारी वर्ग
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने कहा कि व्यापारी चाहे होलसेल हो या रिटेलर, सभी परेशान हैं क्योंकि सब की परेशानी एक जैसी हैं. दुकानें बंद पड़ी हैं, कोई बिक्री नहीं है सप्लाई चेन बाधित है. होलसेलर इसलिए परेशान है क्योंकि उनका पूरा पैसा मार्केट में फंसा पड़ा है. रिटेलर की दुकानें बंद है तो उनकी बिक्री नहीं हो रही. जब बिक्री नहीं होगी तो वह अपनी दुकान का किराया, बिजली का बिल और स्टाफ की सैलरी कैसे देंगे.
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होलसेल हो या रिटेलर सभी व्यापारियों को सता रही चिंता
पटना में कपड़ों के बड़े व्यवसाई पप्पू सर्राफ ने कहा कि सरकार को व्यापारी वर्ग पर तुरंत ध्यान देना चाहिए, क्योंकि सबसे ज्यादा प्रभाव हम पर पड़ा है. दुकानें बंद पड़ी है पूरा स्टॉक पड़े पड़े खराब हो रहा है. जब कपड़ों की बात आती है तो फिर फैशन की बात होगी, जब फैशन पुराना होगा तो कपड़े बेकार हो जाएंगे. इससे कपड़े के व्यापारियों को सबसे बड़ा नुकसान होगा. आखिर में इसकी भरपाई कैसे कर पाएंगे. यहीं परेशानी रिटेलर्स की भी है. कपड़ों के रिटेल व्यवसाय से जुड़े अमित कुमार अग्रवाल ने कहा कि हमारे पास स्टाफ को देने के पैसे भी नहीं है. बिजली बिल और किराया कितने दिन तक मैनेज कर पाएंगे. बैंक की ईएमआई देनी है, ये सब कैसे मैनेज होगा समझ में नहीं आता, सरकार हमारी मदद करें.
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व्यापारियों के सामने परिवार चलाने की चिंता
कंकड़बाग में मोबाइल की रिटेल शॉप चलाने वाले सुनील केसरी ने कहा कि अभी तो परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है. लंबे समय से दुकानें बंद पड़ी हैं, पूरा स्टॉक दुकान में पड़ा है. अगर बिक्री नहीं होगी तो स्टाफ को सैलरी कैसे देंगे बिजली का बिल कहां से चुकाएंगे. नाला रोड के बड़े फर्नीचर व्यवसाई सुनील कुमार ने कहा कि पटना के अलावा उनकी दिल्ली में एक प्रोडक्शन यूनिट भी है, जहां हर महीने का खर्च लाखों में है. कुछ महीने तो किसी तरह कट जाएंगे लेकिन आने वाले समय में यह कैसे मैनेज होगा समझना मुश्किल है.