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Dhanteras 2022: भगवान धन्वंतरी का अवतरण दिवस है धनतेरस, खरीदारी के लिए ये है सबसे शुभ मुहूर्त - Dhanteras on 22 October

इस बार 22 अक्टूबर को धनतेरस (Dhanteras on 22 October) है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी हाथो में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. ऐसी मान्यता है कि भगवान धन्वंतरी भगवान विष्णु के अंशावतार हैं. पढ़ें पूरी खबर..

धनतेरस 2022
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Published : Oct 18, 2022, 10:02 AM IST

पटनाः धनतेरस दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है. लोग धन-धान्य की प्राप्ति के लिए इस दिन बताए गए नियमों को अनुसार पूजा और खरीदारी करते हैं. इस दिन भगवान धन्वंतरी की पूजा होती है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर धनतेरस मनाया क्यों जाता है? पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (Dhanteras Celebration on Kartik KrishnaTrayodashi) के दिन भगवान धनवंतरी हाथो में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. ऐसी मान्यता है कि भगवान धन्वंतरी भगवान विष्णु के अंशावतार हैं. भगवान विष्णु ने चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही धन्वंतरी के रूप में धरती पर अवतार लिया था. इसी कारण भगवान धन्वंतरी के इस संसार में अवतार लेने के उपलक्ष्य पर धनतेरस मनाया जाता है.

ये भी पढ़ेंः धनतेरस और दिवाली को लेकर बाजारों में रौनक, लोगों ने जमकर की खरीददारी

कब मनाते हैं धनतेरसः कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है. इस बार यह तिथि अंग्रेजी के महीने के अनुसार 22 अक्टूबर को है. पंचांग के अनुसार, 22 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि दिन में 4:33 के बाद शुरू होगी. इस दिन सोने या चांदी के आभूषण या सामान खरीदना शुभ माना जाता है. साथ ही इस दिन दीप दान भी किया जाता है. वैसे धनतेरस दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है. इस दिन भगवान धन्वंतरी और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है.

धनतेरस का शुभ मुहूर्तः इसबार 22 अक्टूबर को धनतेरस हैं. पंचांग के अनुसार, 22 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि दिन में 4:33 के बाद शुरू होगी. जब त्रयोदशी शुरू होगी तब प्रदोष काल भी आरंभ होगा. कहा जाता है कि शनि यमराज के भाई हैं. इसलिए प्रदोष काल में शनि प्रदोष व्रत के साथ त्रयोदशी दोनों का संयोग एक साथ पड़ने की वजह से इस बार अद्भुत संयोग देखने को मिल रहा है.

इस बार है सर्वाथ सिद्धि योगः ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस बार धनतेरस के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, यई जय योग, त्रिपुष्कर योग भी मिल रहे हैं. यानी सभी के लिए यह धनतेरस काफी शुभ रहने वाला है. 1:30 दिन में 4:33 तक त्रिपुष्कर योग रहेगा. ऐसा योग 66 वर्ष बाद बन रहा है. त्रयोदशी तिथि 23 अक्टूबर की शाम 5:26 बजे तक रहेगी.

धनतेरस के दिन क्या करना चाहिएः धनतेरस के दिन अपनी क्षमता के अनुसार सोना या चांदी के सामान खरीदनी चाहिए. ऐसा करना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन धन संपत्ति की प्राप्ति के लिए घर के पूजा स्थल पर धन के देवता कुबेर को दीपदान करना चाहिए और घर के मुख्य द्वार पर मृत्यु के देवता यमराज को दीप दान करना चाहिए.

दीपदान कब करें ? प्रदोषकाल का समय 4:35 से 5:26 बजे तक है. इस समय मीन लग्न में दीपदान करने से मन स्थिर और क्लेष दूर होंगे. वहीं, मेष लग्न में शाम 5:26 बजे से 7:03 बजे तक दीपदान करने से आय में बढ़ोतरी होगी. कुल मिलाकर आप शाम 4:35 से 7:03 बजे तक दीपदान कर सकते हैं.

पटनाः धनतेरस दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है. लोग धन-धान्य की प्राप्ति के लिए इस दिन बताए गए नियमों को अनुसार पूजा और खरीदारी करते हैं. इस दिन भगवान धन्वंतरी की पूजा होती है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर धनतेरस मनाया क्यों जाता है? पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (Dhanteras Celebration on Kartik KrishnaTrayodashi) के दिन भगवान धनवंतरी हाथो में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. ऐसी मान्यता है कि भगवान धन्वंतरी भगवान विष्णु के अंशावतार हैं. भगवान विष्णु ने चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही धन्वंतरी के रूप में धरती पर अवतार लिया था. इसी कारण भगवान धन्वंतरी के इस संसार में अवतार लेने के उपलक्ष्य पर धनतेरस मनाया जाता है.

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कब मनाते हैं धनतेरसः कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है. इस बार यह तिथि अंग्रेजी के महीने के अनुसार 22 अक्टूबर को है. पंचांग के अनुसार, 22 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि दिन में 4:33 के बाद शुरू होगी. इस दिन सोने या चांदी के आभूषण या सामान खरीदना शुभ माना जाता है. साथ ही इस दिन दीप दान भी किया जाता है. वैसे धनतेरस दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है. इस दिन भगवान धन्वंतरी और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है.

धनतेरस का शुभ मुहूर्तः इसबार 22 अक्टूबर को धनतेरस हैं. पंचांग के अनुसार, 22 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि दिन में 4:33 के बाद शुरू होगी. जब त्रयोदशी शुरू होगी तब प्रदोष काल भी आरंभ होगा. कहा जाता है कि शनि यमराज के भाई हैं. इसलिए प्रदोष काल में शनि प्रदोष व्रत के साथ त्रयोदशी दोनों का संयोग एक साथ पड़ने की वजह से इस बार अद्भुत संयोग देखने को मिल रहा है.

इस बार है सर्वाथ सिद्धि योगः ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस बार धनतेरस के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, यई जय योग, त्रिपुष्कर योग भी मिल रहे हैं. यानी सभी के लिए यह धनतेरस काफी शुभ रहने वाला है. 1:30 दिन में 4:33 तक त्रिपुष्कर योग रहेगा. ऐसा योग 66 वर्ष बाद बन रहा है. त्रयोदशी तिथि 23 अक्टूबर की शाम 5:26 बजे तक रहेगी.

धनतेरस के दिन क्या करना चाहिएः धनतेरस के दिन अपनी क्षमता के अनुसार सोना या चांदी के सामान खरीदनी चाहिए. ऐसा करना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन धन संपत्ति की प्राप्ति के लिए घर के पूजा स्थल पर धन के देवता कुबेर को दीपदान करना चाहिए और घर के मुख्य द्वार पर मृत्यु के देवता यमराज को दीप दान करना चाहिए.

दीपदान कब करें ? प्रदोषकाल का समय 4:35 से 5:26 बजे तक है. इस समय मीन लग्न में दीपदान करने से मन स्थिर और क्लेष दूर होंगे. वहीं, मेष लग्न में शाम 5:26 बजे से 7:03 बजे तक दीपदान करने से आय में बढ़ोतरी होगी. कुल मिलाकर आप शाम 4:35 से 7:03 बजे तक दीपदान कर सकते हैं.

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