पटना: बिहार में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (RJD supremo Lalu Prasad Yadav) और राबड़ी देवी के 15 साल के शासन की खामियों से त्राहिमाम बिहार की जनता ने साल 2005 में उम्मीदों के साथ नीतीश कुमार के हाथों में सत्ता की बागडोर सौंपी थी. सत्ता में आते ही नीतीश कुमार ने लॉ एंड ऑर्डर को लेकर कुछ ऐसे सख्त फैसले किए, जिससे उन्हें सुशासन बाबू के नाम से जाना जाना लगा. बतौर सीएम नीतीश कुमार को करीब 17 साल बीत चुके हैं. इन दिनों फिर से जिस तरह से आपराधिक वारदातों में वृद्धि (Criminal incidents increasing in Bihar) हुई हैं, उससे जनता खासा चिंतित है. कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं.
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बेरोजगारी से आपराधिक वारदातों में इजाफा: बिहार की जनता की मानें तो राज्य में इन दिनों हत्या और रंगदारी आम बात हो चली है. आपराधिक वारदातों में बढ़ोतरी में कहीं न कहीं ना कहीं रंगदारी को बड़ा कारण माना जा रहा है. एक्सपर्ट की मानें तो कहीं ना कहीं बिहार में बेरोजगारी आपराधिक वारदातों में बढ़ोतरी का बड़ा कारण है. समाजशास्त्री बीएन प्रसाद का कहना है कि इन दिनों बिहार में अपराधियों के बीच पुलिस का डर खत्म हो गया है. सामान्य तौर पर आम लोगों की धारणा है कि अपराध एक ऐसी घटना है जो समाज को बीमार कर देती है परंतु विशेषज्ञ की मानें तो दो तरह की चेतनाएं होती हैं. एक व्यक्तिगत चेतना होती है और एक सामूहिक चेतना होती है.
सामूहिक चेतना का अभाव: व्यक्तिगत चेतना में लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं. इसको लेकर लोग काफी सतर्क रहते हैं परंतु सामूहिक चेतना में पूरे समाज के प्रति सामूहिक होती है परंतु बहुत सारे मामलों में यह सोई रहती है. कुछ आपराधिक घटनाएं ऐसी होती हैं जो समाज को झकझोर कर रख देती हैं. उन्होंने बताया कि जिस तरह से हमारे शरीर में कोई घाव हो जाता है तो हम उसे मलहम से ठीक करते हैं. उसी प्रकार अपराध में बढ़ोतरी हो रही है तो उसे डंडे के माध्यम से ठीक किया जा सकता है. आज के दौर में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं, वह पूरे समाज को गंदा कर रही हैं. उन्होंने बताया कि अपराधी और सत्ता में गठजोड़ से आपराधिक घटनाएं बढ़ती हैं.
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अपराधियों के मन में कानून का डर नहीं: उन्होंने कहा कि जब अपराधियों को यह पता होता है कि वह अपराध करेंगे तो कोई उनका उन्हें बचा लेगा, इससे आपराधिक वारदातों में वृद्धि होती है. आजकल जो संगठित अपराध हो रहे हैं, वह कहीं ना कहीं राजनीति के संरक्षण के कारण हो रहा है. अपराध की रोकथाम करने वाली संस्थाओं का डर अपराधियों से निकल गया है. इस वजह से आपराधिक वारदातों में वृद्धि हो रही है. उन्होंने बताया कि अपराध में बढ़ोतरी दूसरा सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी है. भारी संख्या में युवा वर्ग है जो कि बेरोजगार हैं. अगर यह वर्ग चाहे तो समाज को बदल सकता है. उन्हें आज अपना भविष्य नजर नहीं आ रहा है. इस वजह से वे अपराध का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं.
पटना में कारोबारी को दिनदहाड़े मारी गयी थी गोली: आपको बता दें कि ज्यादातर हत्या की घटनाओं में रंगदारी के मामले सामने आ रहे हैं. वह भी महज कुछ पैसे के लिए अपराधी ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. राजधानी पटना में 30 मार्च को सत्तू कारोबारी प्रमोद बागला की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस गोलीकांड में कारोबारी के बेटे और स्टाफ को भी गोली लगी थी. यह वारदात इसलिए चिंता का विषय है. इस वारदात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार में अपराधियों के मन में पुलिस और कानून का खौफ नहीं है.
वहीं, मंगलवार को राजधानी पटना के पुनपुन में रंगदारी में मांगी गई. रकम नहीं देने पर मंगलवार देर शाम का बदमाशों ने पुनपुन में दवा दुकानदार को दुकान में घुसकर छुरा मार दिया. इस दौरान आसपास के लोग तमाशबीन बने रहे. बदमाशों ने दवा दुकान में तोड़फोड़ करते हुए दुकानदार को अंजाम भुगतने की धमकी भी दी. हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है.
एमएलसी के रंगदारी की मांग: अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गये हैं कि विगत 9 मार्च को सत्तारूढ़ दल के जदयू के एमएलसी दिनेश प्रसाद सिंह को अपराधियों ने मैसेज भेज कर 1 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी. अपराधियों ने मैसेज में लिखा है कि रुपए कहां देना है, स्थान वह खुद तय करके बताएंगे. इतना ही नहीं, रंगदारी नहीं देने की स्थिति में एके-47 से हत्या करने की धमकी भी दी गई है. इस घटना से एक बार फिर से कानून-व्यवस्था की स्थिति सवाल खड़ा हो गया है.
वहीं, विगत दिनों पहले बिहार के गोपालगंज जिले के मीरगंज और हथुआ क्षेत्र में कई व्यवसायियों से लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप के नाम से रंगदारी मांगी जा रही थी. दिसंबर माह में हथुआ थाना क्षेत्र के रानी मैरिज हॉल के संचालक सुजीत कुमार से लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप द्वारा फायरिंग कर 20 लाख रुपये की रंगदारी मांगी गई थी. उसके बाद संध्या स्वीट्स और महारानी मैरिज हॉल वालों से 50 लाख रुपए की रंगदारी की मांग की गई थी.
बिहार पुलिस मुख्यालय की मानें तो पहले की तुलना में आपराधिक वारदातों में काफी कमी आई है. चाहे रंगदारी व हत्या जैसे वारदात क्यों ना हों. छिटपुट घटनाएं घटित हो रही हैं. अपराधियों की गिरफ्तारी हो रही है. स्पीडी ट्रायल चलवाकर उन्हें सजा भी जलाई जा रही है ताकि आपराधिक वारदातों पर लगाम लगा सके. वहीं, आम जनता की मानें तो उन्हें अब फिर से लालू यादव के जंगलराज की याद आने लगी है. आम जनता काफी चिंतित है. लोगों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 2005 की तरह अपराधियों पर लगाम लगाने की मांग की है.
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