पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) की आज विस्तृत समीक्षा कर रहे हैं. मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद में हो रही इस बैठक में भी मंत्री और आला अधिकारी भी मौजूद हैं. विभिन्न जिलों से अधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जुड़े हैं. बताया जाता है कि मुख्यमंत्री शराबबंदी को लेकर जिलावार रिपोर्ट ले रहे हैं. अधिकारियों से फीडबैक भी ले रहे हैं. शराबबंदी से संबंधित सभी बिंदुओं की समीक्षा इस बैठक में होगी. बताया जाता है कि यह बैठक पूरे दिन चल सकती है. मुख्यमंत्री एक-एक कर सभी जिलों से रिपोर्ट लेंगे.
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समीक्षा बैठक में जाने से पहले मंत्री जनक राम ने बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जो भी फैसला लेंगे, हम सब को स्वीकार होगा. वहीं, मंत्री सुमित सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री पूरे मामले को लेकर काफी गंभीर हैं. शराबबंदी और बेहतर तरीके से कैसे लागू हो, इसको लेकर फैसला लेंगे, जो भी निर्णय होगा बैठक के बाद स्थिति स्पष्ट होगी. ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा कि हत्या को लेकर भी कानून है तो क्या हत्या रुक जा रही है. कानून जरूर बनाया गया है. उस पर अमल भी हो रहा है लेकिन गलत करने वाले लोग तो गलत करेंगे.
बताया जाता है कि मुख्यमंत्री शिकायतों के निष्पादन से लेकर शराबबंदी कानून को किस तरीके से लागू किया गया है, उसकी भी जानकारी लेंगे. बड़े पैमाने पर बिहार में दूसरे राज्यों से शराब की तस्करी को लेकर भी मुख्यमंत्री इस दौरान अधिकारियों से जवाब-तलब करेंगे. बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है. शराबबंदी लागू होने के बाद से मुख्यमंत्री कई बार बैठक कर चुके हैं. पहली बार वे विस्तृत समीक्षा कर रहे हैं.
शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने के साथ ही लोगों में जागरुकता फैलाने को लेकर भी आगे की रणनीति तैयार होगी. समझा जा रहा है कि कर्तव्य में लापरवाही बरतने को लेकर कुछ लोगों पर गाज गिर सकती है. शराब बंदी समीक्षा बैठक को लेकर पिछले कई दिनों से तैयारी हो रही है. सभी जिलों के डीएम से लेकर शराबबंदी से संबंधित विभागों और पुलिस मुख्यालय को विशेष रूप से रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया था. आज मुख्यमंत्री एक-एक कर सभी बिन्दुओं पर जानकारी लेंगे.
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बिहार में 'अ'पूर्ण शराबबंदी!
बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) है. इसके बाद भी राज्य में लगातार जहरीली शराब (Poisonous Liquor Case) के मामले सामने आ रहे हैं. जहरीली शराब से मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते तीन से चार दिनों में राज्य में 40 से ज्यादा लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. इन मौतों के बाद पूर्ण शराबबंदी कानून और बिहार पुलिस पर लगातार सवालिया निशान लग रहे हैं. पूर्ण शराबबंदी कानून के बाद से अब तक करीब 125 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो चुकी है. साल 2021 में लगभग 90 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है. हालांकि, शराब के जुड़े मामलों की पुष्टि नहीं हो पा रही है.
जहरीली शराब पीने के कारण 40 से अधिक मौतों के बाद बिहार में जारी शराबबंदी को लेकर मंगलवार को समीक्षा बैठक होगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बैठक में एक-एक बिंदु की समीक्षा की जाएगी. उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद से कुछ लोग मेरा विरोधी हो गए हैं और मेरे खिलाफ हमेशा बोलते रहते हैं.
दरअसल, बीते कुछ दिनों में शराब पीने से मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और बेतिया में करीब 40 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब से होने की बात कही जा रही है. हाल के इन मामलों में हो हंगामे के बीच पुलिस ने आपराधिक मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू भी कर दी है. स्थानीय थानाध्यक्ष और चौकीदार को निलंबित करते हुए कई लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है.
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नीतीश कुमार ने राजगीर में पुलिस के इधर-उधर करने की बात कही तो 28 अक्टूबर 2021 को मुजफ्फरपुर जिले में 8 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो गई. 28 अक्टूबर 2021 तक बिहार में शराब के कुल 13 मामले सामने आए, जो जहरीली शराब के थे. जिसमें कुल 66 लोगों की जान चली गई थी. 28 अक्टूबर 2021 तक कुल 66 लोगों की मौत हो गई थी. जिस बेतिया में पिछले दिनों 8 लोगों की मौत हुई. जुलाई 2021 में लोरिया के देवला गांव में 16 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन, बेतिया में यह मामला अभी ठंडे बस्ते में गया ही नहीं था कि फिर 8 लोगों की मौत हो गयी.
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में 2016 से अब तक शराबबंदी रोकने में विफल पाये पाए गए करीबन 700 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई है. तीन लाख से ज्यादा लोगों को शराबबंदी कानून के तहत जेल भी भेजा जा चुका है. राज्य के बाहर के बड़े शराब तस्करों की अन्य राज्यों से गिरफ्तारी भी की गई है. इसके बावजूद बिहार में अवैध शराब का व्यवसाय फल-फूल रहा है.
नवंबर 2021 तक बिहार में जहरीली शराब के 14 मामले आ चुके हैं. अगर इनमें मरने वालों की बात करें तो 66 लोग पहले मरे थे, गोपालगंज और बेतिया में जिन 20 लोगों की मौत हुई है, अगर उसे जोड़ दिया जाए तो मौत का आंकड़ा करीब 85 हो जाता है.
कहने के लिए तो बिहार में 2016 से ही शराबबंदी है. नीतीश कुमार ने 2016 में पूर्ण शराबबंदी कर दी थी, लेकिन शराब बंद कहां है ये कहा नहीं जा सकता है. क्योंकि जहां भी आपको शराब की जरूरत है, बिहार में एक संगठित अपराध गिरोह इस पर काम कर रहा है. इसका व्यापार लगभग 5000 करोड़ से ऊपर का है. ऐसे में सरकार के तमाम लोग इतने पैसे में तो अपना इमान बेचने को तैयार ही रहते हैं. नीतीश और उनकी सरकार पर आरोप इसलिए भी लग रहा है कि जिन 20 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. वह इसी प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है. अगर प्रशासन पूरे तौर पर सजग होता तो बिहार के लिए रोशनी का पर्व काली दिवाली नहीं बनती.
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