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नीतीश के 'पंच रत्नों' ने एक बार फिर उपचुनाव की जीत में निभाई अहम भूमिका, इनकी रणनीति आगे चित हुए विरोधी

बिहार उपचुनाव में ताकत तो सभी पार्टियों ने झोंक दी थी लेकिन तेजस्वी-लालू की रणनीति पर सुशासन बाबू की चाणक्य नीति भारी पड़ गई. उपचुनाव में जीत के लिए नीतीश कुमार ने अपने 'पांच रत्नों' को प्रमुख जिम्मेदारी दी थी. पढ़ें पूरी खबर...

नीतीश कुमार के 5 रत्नों ने एक बार फिर से उपचुनाव में दिखाई महत्वपूर्ण भूमिका
नीतीश कुमार के 5 रत्नों ने एक बार फिर से उपचुनाव में दिखाई महत्वपूर्ण भूमिका
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Published : Nov 3, 2021, 10:47 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा की दोनों सीटों- कुशेश्वरस्थान (सुरक्षित) और तारापुर के लिए हुए उपचुनाव (Bihar By-election) में जनता दल युनाइटेड (JDU) की बादशाहत बरकरार रही. हालांकि, इसके लिए पार्टी ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी. वहीं, मिशन उपचुनाव में नीतीश कुमार ने अपने पांच रत्नों को उतार दिया था. नीतीश कुमार अपने इन्हीं पांचों रत्नों के सहारे चुनावी रणनीति बनाते रहे हैं.

इसे भी पढ़ें : साथ आए बगैर बिहार में विपक्ष की राह मुश्किल, उपचुनाव में हार के बाद क्या होगी रणनीति!

गठबंधन से लेकर बड़े अभियान में नीतीश ने अपने पांच प्रमुख नेताओं ललन सिंह, आरसीपी सिंह, संजय झा, अशोक चौधरी और विजय चौधरी को लगाते रहे हैं. विधानसभा उपचुनाव में भी इन्हीं पांच रत्नों ने अहम किरदार निभाया था. सुशासन बाबू सोशल इंजीनियरिंग के मास्टर माने जाते हैं. जिसे जमीन पर उतारने में पांच रत्न ललन सिंह, आरसीपी सिंह, विजय चौधरी, संजय झा और अशोक चौधरी की अहम भूमिका रही है.

देखें वीडियो

विधानसभा उपचुनाव में भी इन पांचों नेताओं को नीतीश कुमार ने महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी थी. संजय झा, विजय चौधरी और आरसीपी सिंह को कुशेश्वरस्थान की जिम्मेवारी दी गई थी तो वहीं ललन सिंह और अशोक चौधरी को तारापुर की जिम्मेवारी दी गई थी. यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने अपने पांचों रत्नों को लगाया हो. नीतीश पहले भी बड़े अभियान में अपने नेताओं को लगाते रहे हैं.

विधानसभा चुनाव के बाद लोजपा को तोड़ने में ललन सिंह और अशोक चौधरी ने अहम भूमिका निभाई थी. बसपा के एकमात्र विधायक जमा खान, निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह और लोजपा के एकमात्र विधायक राजकुमार को पार्टी के साथ जोड़ने की बात हो या फिर पशुपति पारस के नेतृत्व में लोजपा सांसदों को चिराग से अलग करने का मामला, ललन सिंह से लेकर अशोक चौधरी ने अहम भूमिका निभाई थी.

आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री हैं और नीतीश कुमार के विश्वासपात्र हैं. संगठन का काम भी लंबे समय से देखते रहे हैं. आईएएस अधिकारी के तौर पर नीतीश के साथ कई वर्षों से काम करते रहे और लंबे समय से पार्टी में अहम भूमिका निभा रहे हैं. अब जदयू की ओर से एकमात्र केंद्र में मंत्री भी हैं. वहीं, विजय चौधरी भी नीतीश कुमार के प्रमुख सलाहकारों में से माने जाते हैं.

संजय झा भी नीतीश कुमार के विश्वासपात्र में से एक हैं. बीजेपी के साथ गठबंधन में अरुण जेटली के समय से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. दिल्ली में बीजेपी के साथ गठबंधन कराने में भी संजय झा की अहम भूमिका रही थी. अब पांचों ने विधानसभा चुनाव 2020 में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद फिर से मोर्चा संभाला और उपचुनाव में दोनों सीटों जीत दर्ज करा नीतीश कुमार के गुड बुक में अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है.

बता दें कि अभी पांच राज्यों में चुनाव होना है. ललन सिंह को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी गई है तो वहीं आरसीपी सिंह को भी बीजेपी के साथ तालमेल करने की जिम्मेवारी दी गई है. पार्टी संगठन से लेकर सरकार के कामकाज में भी महत्वपूर्ण विभाग विजय चौधरी, संजय झा और अशोक चौधरी के पास ही है. इसी से समझा जा सकता है कि ये 5 रत्न नीतीश कुमार के लिए कितने अहम हैं.

इसे भी पढ़ें : उपचुनाव में जीत के बाद 'मिशन नीतीश' में जुटा JDU, अगले साल 5 राज्यों के चुनाव पर नजर

पटना: बिहार विधानसभा की दोनों सीटों- कुशेश्वरस्थान (सुरक्षित) और तारापुर के लिए हुए उपचुनाव (Bihar By-election) में जनता दल युनाइटेड (JDU) की बादशाहत बरकरार रही. हालांकि, इसके लिए पार्टी ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी. वहीं, मिशन उपचुनाव में नीतीश कुमार ने अपने पांच रत्नों को उतार दिया था. नीतीश कुमार अपने इन्हीं पांचों रत्नों के सहारे चुनावी रणनीति बनाते रहे हैं.

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गठबंधन से लेकर बड़े अभियान में नीतीश ने अपने पांच प्रमुख नेताओं ललन सिंह, आरसीपी सिंह, संजय झा, अशोक चौधरी और विजय चौधरी को लगाते रहे हैं. विधानसभा उपचुनाव में भी इन्हीं पांच रत्नों ने अहम किरदार निभाया था. सुशासन बाबू सोशल इंजीनियरिंग के मास्टर माने जाते हैं. जिसे जमीन पर उतारने में पांच रत्न ललन सिंह, आरसीपी सिंह, विजय चौधरी, संजय झा और अशोक चौधरी की अहम भूमिका रही है.

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विधानसभा उपचुनाव में भी इन पांचों नेताओं को नीतीश कुमार ने महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी थी. संजय झा, विजय चौधरी और आरसीपी सिंह को कुशेश्वरस्थान की जिम्मेवारी दी गई थी तो वहीं ललन सिंह और अशोक चौधरी को तारापुर की जिम्मेवारी दी गई थी. यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने अपने पांचों रत्नों को लगाया हो. नीतीश पहले भी बड़े अभियान में अपने नेताओं को लगाते रहे हैं.

विधानसभा चुनाव के बाद लोजपा को तोड़ने में ललन सिंह और अशोक चौधरी ने अहम भूमिका निभाई थी. बसपा के एकमात्र विधायक जमा खान, निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह और लोजपा के एकमात्र विधायक राजकुमार को पार्टी के साथ जोड़ने की बात हो या फिर पशुपति पारस के नेतृत्व में लोजपा सांसदों को चिराग से अलग करने का मामला, ललन सिंह से लेकर अशोक चौधरी ने अहम भूमिका निभाई थी.

आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री हैं और नीतीश कुमार के विश्वासपात्र हैं. संगठन का काम भी लंबे समय से देखते रहे हैं. आईएएस अधिकारी के तौर पर नीतीश के साथ कई वर्षों से काम करते रहे और लंबे समय से पार्टी में अहम भूमिका निभा रहे हैं. अब जदयू की ओर से एकमात्र केंद्र में मंत्री भी हैं. वहीं, विजय चौधरी भी नीतीश कुमार के प्रमुख सलाहकारों में से माने जाते हैं.

संजय झा भी नीतीश कुमार के विश्वासपात्र में से एक हैं. बीजेपी के साथ गठबंधन में अरुण जेटली के समय से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. दिल्ली में बीजेपी के साथ गठबंधन कराने में भी संजय झा की अहम भूमिका रही थी. अब पांचों ने विधानसभा चुनाव 2020 में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद फिर से मोर्चा संभाला और उपचुनाव में दोनों सीटों जीत दर्ज करा नीतीश कुमार के गुड बुक में अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है.

बता दें कि अभी पांच राज्यों में चुनाव होना है. ललन सिंह को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी गई है तो वहीं आरसीपी सिंह को भी बीजेपी के साथ तालमेल करने की जिम्मेवारी दी गई है. पार्टी संगठन से लेकर सरकार के कामकाज में भी महत्वपूर्ण विभाग विजय चौधरी, संजय झा और अशोक चौधरी के पास ही है. इसी से समझा जा सकता है कि ये 5 रत्न नीतीश कुमार के लिए कितने अहम हैं.

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