पटना: जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह (Former JDU National President RCP Singh) केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा बने रहेंगे या नहीं इसे लेकर अभी तक संशय की स्थिति बनी हुई है. जदयू ने अभी तक अपने प्रत्याशी के नाम स्थिति स्पष्ट नहीं की है. अंदर ही अंदर जेडीयू की ओर से अति पिछड़ा समाज से आने वाले प्रत्याशी पर दांव लगाने की तैयारी है. प्रत्याशी की तलाश भी की जा रही है. इसी बीच सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर आरसीपी सिंह के सामने एक शर्त रखी है. अब यह आरसीपी सिंह पर है कि वे इसे स्वीकार करें या न करें.
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क्या हैं नीतीश की शर्तें: बताया जाता है कि नीतीश कुमार के शर्त के मुताबिक आरसीपी सिंह यदि मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं रहते हैं, तभी उन्हें राज्यसभा के लिए दोबारा नामित (Rajya Sabha ticket to Union Minister RCP Singh) किया जाएगा. इस रणनीतिक कदम से नीतीश कुमार मोदी की कैबिनेट में जदयू का आनुपातिक प्रतिनिधित्व मांगेंगे. इस तरह नीतीश एक तीर से दो निशाना लगायेंगे. एक तो वह आरसीपी को अपनी शर्तों पर रखेंगे और दूसरी तरफ बीजेपी को यह संदेश भी जाएगा कि नीतीश अपना 'शो' चलाना चाहते हैं. वे सांसद की संख्या के आधार पर मोदी मंत्रिमंडल में अपनी दावेदारी चाहते हैं.
अधर में RCP सिंह का राजनीतिक भविष्य: आरसीपी सिंह का राजनीतिक भविष्य अधर में है. नीतीश कुमार ने अब तक राज्यसभा चुनाव को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. दरअसल, जदयू खेमे में इस बात को लेकर नाराजगी है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल पार्टी को समानुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. नीतीश कुमार की इच्छा के विरुद्ध आरसीपी सिंह ने भाजपा के सांकेतिक प्रतिनिधित्व को स्वीकार कर लिया था. इसी बात से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी है. जेडीयू के प्रत्याशी की घोषणा में विलंब का सबसे बड़ा कारण भी यही है.
बीजेपी पर भी बढ़ेगा दबाव: दरअसल, नीतीश कुमार और ललन सिंह की एक राय है कि बगैर समानुपातिक प्रतिनिधित्व के जदयू को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होना चाहिए. इसी वजह से आरसीपी सिंह को यह बता दिया गया है कि आप राज्यसभा तो जा सकते हैं लेकिन मंत्रिमंडल में पार्टी के नेता शामिल नहीं होंगे. विकल्प के रूप में आरसीपी सिंह को बिहार की राजनीति में 'सम्मान' देने की बात कही गई है. केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को राज्यसभा ना भेज कर नीतीश कुमार एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश करेंगे. एक तो आरसीपी सिंह को पार्टी के अंदर अपनी शर्तों पर रखेंगे और दूसरी तरफ भाजपा पर भी अपनी शर्तों पर चलने के लिए दबाव बढ़ाएंगे.
नये चेहरे पर दांव: नीतीश कुमार इस बार अति पिछड़ा पर दांव लगाने का मन बना चुके हैं. पार्टी सूत्रों की अगर मानें तो धानुक जाति के उम्मीदवार को राज्यसभा भेजा जा सकता है. पार्टी नेता इस पर मंथन कर रहे हैं कि किस चेहरे पर पार्टी दाव लगाये. झाझा से विधायक दामोदर रावत, पूर्व मंत्री शैलेश कुमार, पूर्व विधान पार्षद रामबदन राय, रुदल राय और भूमि पाल राय और प्रगति मेहता धानुक जाति से आते हैं. इस में से किसी एक चेहरे को जदयू आगे कर सकती है.
'एनडीए में घमासान जैसी स्थिति है. अब तक वहां प्रत्याशी तय नहीं किए जा सके हैं. नीतीश कुमार एक ओर जहां पार्टी में गुटबाजी से परेशान हैं, वहीं उन्हें भाजपा के कुचक्र का भी सामना करना पड़ रहा है. समानुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के बावजूद केंद्रीय मंत्रिमंडल में वह हिस्सेदार हैं. कुर्सी बचाने के लिए वह किसी तरह का समझौता कर सकते हैं.' -एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता.
'हमारे दल में प्रक्रिया है और उसी हिसाब से फैसले होते हैं. राजद नेताओं को बेचैन होने की जरूरत नहीं है. जहां तक समानुपातिक प्रतिनिधित्व का सवाल है तो दोनों दलों में बेहतर सामंजस्य है और समय आने पर तय कर लिया जाएगा.' -संजय टाइगर, भाजपा प्रवक्ता.
'भले ही राजद ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है लेकिन जदयू भी शीघ्र ऐलान कर देगी. हमारे नेता नीतीश कुमार आने वाले दिनों में प्रत्याशी का ऐलान कर देंगे.'- अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता.
'नीतीश कुमार मौके का इंतजार करते हैं. आरसीपी सिंह भले ही अपनी मर्जी से केंद्र में मंत्री बन गए थे लेकिन जब मौका आया तो नीतीश कुमार ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए. नीतीश कुमार एक तीर से दो निशाना साधने में माहिर हैं. एक ओर आरसीपी सिंह को वह उनकी गलतियों का एहसास करा रहे हैं तो दूसरी तरफ भाजपा को भी स्पष्ट संदेश दे रहे हैं. संभव है कि आरसीपी सिंह की जगह किसी अति पिछड़े को राज्यसभा में भेजा जाए. आरसीपी सिंह को बिहार की राजनीति में एडजस्ट किया जाये.'-डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक.
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