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Fodder Scam: जेल जाने को तैयार नहीं थे लालू.. CBI ने मांगी थी सेना की मदद, जानें फिर क्या हुआ

बहुचर्चित चारा घोटाले के डोरंडा कोषागार (Doranda Fodder Scam) से 139.35 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में आज बिहार के पूर्व सीएम और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (RJD supremo Lalu Prasad Yadav) समेत 99 आरोपियों के भाग्य का फैसला होना है. चारा घोटाले के इस सबसे बड़े मामले की सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में 29 जनवरी को बहस पूरी हो गई थी. चारा घोटाले के कानूनी पक्षों के अलावा कई ऐसे किस्से हैं जो काफी मशहूर हुए. आइए आपको ऐसा ही एक किस्सा बताते हैं.

Lalu Prasad Yadav
Lalu Prasad Yadav
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Published : Feb 15, 2022, 8:30 AM IST

पटना: चारा घोटाले (Doranda Fodder Scam) में अफसरों और नेताओं ने फर्जीवाड़ा की नई कहानी ही लिख दी थी. मामले की जांच में कई ऐसे खुलासे हुए कि लोग दंग रहे गये. फर्जीवाड़ा कर बताया गया कि 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया. यानी घोटाले में जिस गाड़ी नंबर को विभाग ने पशुओं को लाने के लिए दर्शाया था, वे मोटसाइकिल और स्कूटर के नंबर थे. सीबीआई ने जांच में पाया कि कई टन पशुचारा, पीली मकई, बादाम, खल्ली, नमक आदि ढोने के लिए स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड का नंबर दिया गया था. ऐसे कई अन्य खुलासे हुए थे.

अब आपको इससे संबंधित एक और किस्सा बताते हैं. अरबों रुपये के बहुचर्चित चारा घोटाला के दर्जनों मामले उजागर होने के बाद लालू यादव की मुश्किलें बढ़ने लगीं थी. सत्ता से हटने के महज 5 दिन बाद ही लालू प्रसाद को सरेंडर कर पहली बार 30 जुलाई 1997 को जेल जाना (Lalu Yadav arrest in fodder scam) पड़ा था. इससे पहले लालू प्रसाद के अड़ियल रवैये को देखते हुए सीबीआई की ओर से सेना की मदद की मांग करनी पड़ी थी. चारा घोटाले में वारंट जारी होने के बाद लालू यादव भले ही पद छोड़ चुके थे लेकिन वे जेल जाने को तैयार नहीं थे. दूसरी ओर बिहार पुलिस भी उनकी गिरफ्तारी की कोशिश से बच रही थी.

ये भी पढ़ें: लालू को जेल या मिलेगी बेल? चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले में आज आएगा CBI स्पेशल कोर्ट का फैसला

इसी बीच सीबीआई के तत्कालीन संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास (Joint Director of CBI UN Biswas) ने लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए सेना तक की मदद मांग ली. हालांकि सेना की ओर से तत्काल मदद से इनकार कर दिया गया. हालांकि दबाव में आकर 30 जुलाई 1997 को लालू यादव ने अदालत में सरेंडर कर दिया था और टकराव टल गया. चारा घोटाले में पहली बार 134 दिन तक जेल में रहने के बाद 11 दिसंबर 1997 को लालू प्रसाद यादव जेल से बाहर आये थे.

इस बीच 29 जुलाई 1997 की रात को सीएम आवास घेर लिया गया, रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती की गयी. इधर, लालू प्रसाद यादव के समर्थक खुलेआम हिंसक विरोध की धमकी दे रहे थे. स्थिति से निपटने के लिए सेना की तैनाती तक की चर्चा होने लगी थी. अंततः लालू प्रसाद को झुकना पड़ा और अगली सुबह 30 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद ने चुपचाप सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया और उन्हें जेल जाना पड़ा था.

ये भी पढ़ें: Fodder Scam: लालू के 'भविष्य' पर फैसला आज, CBI की विशेष अदालत पर टिकी सबकी नजरें

लालू यादव को कब-कब जेल जाना पड़ा

  • 30 जुलाई 1997 को पहली बार लालू प्रसाद 135 दिन जेल में रहे.
  • 28 अक्टूबर, 1998 को दूसरी बार 73 दिन जेल.
  • 5 अप्रैल 2000 तीसरी बार 11 दिन जेल.
  • 28 नवंबर 2000 को आय से अधिक संपत्ति मामले में एक दिन जेल.
  • 3 अक्टूबर 2013 चारा घोटाले के दूसरे मामले दोषी करार दिए जाने पर 70 दिन जेल.
  • 23 दिसंबर 2017 को चारा घोटाले से तीसरे मामले में सजा हुई.
  • 24मार्च 2018 को दुमका कोषागार से जुड़े चौथे मामले में सजा हुई, जिसके बाद करीब तीन साल बाद पिछले साल अप्रैल में जेल से रिहा हुए लालू.

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पटना: चारा घोटाले (Doranda Fodder Scam) में अफसरों और नेताओं ने फर्जीवाड़ा की नई कहानी ही लिख दी थी. मामले की जांच में कई ऐसे खुलासे हुए कि लोग दंग रहे गये. फर्जीवाड़ा कर बताया गया कि 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया. यानी घोटाले में जिस गाड़ी नंबर को विभाग ने पशुओं को लाने के लिए दर्शाया था, वे मोटसाइकिल और स्कूटर के नंबर थे. सीबीआई ने जांच में पाया कि कई टन पशुचारा, पीली मकई, बादाम, खल्ली, नमक आदि ढोने के लिए स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड का नंबर दिया गया था. ऐसे कई अन्य खुलासे हुए थे.

अब आपको इससे संबंधित एक और किस्सा बताते हैं. अरबों रुपये के बहुचर्चित चारा घोटाला के दर्जनों मामले उजागर होने के बाद लालू यादव की मुश्किलें बढ़ने लगीं थी. सत्ता से हटने के महज 5 दिन बाद ही लालू प्रसाद को सरेंडर कर पहली बार 30 जुलाई 1997 को जेल जाना (Lalu Yadav arrest in fodder scam) पड़ा था. इससे पहले लालू प्रसाद के अड़ियल रवैये को देखते हुए सीबीआई की ओर से सेना की मदद की मांग करनी पड़ी थी. चारा घोटाले में वारंट जारी होने के बाद लालू यादव भले ही पद छोड़ चुके थे लेकिन वे जेल जाने को तैयार नहीं थे. दूसरी ओर बिहार पुलिस भी उनकी गिरफ्तारी की कोशिश से बच रही थी.

ये भी पढ़ें: लालू को जेल या मिलेगी बेल? चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले में आज आएगा CBI स्पेशल कोर्ट का फैसला

इसी बीच सीबीआई के तत्कालीन संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास (Joint Director of CBI UN Biswas) ने लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए सेना तक की मदद मांग ली. हालांकि सेना की ओर से तत्काल मदद से इनकार कर दिया गया. हालांकि दबाव में आकर 30 जुलाई 1997 को लालू यादव ने अदालत में सरेंडर कर दिया था और टकराव टल गया. चारा घोटाले में पहली बार 134 दिन तक जेल में रहने के बाद 11 दिसंबर 1997 को लालू प्रसाद यादव जेल से बाहर आये थे.

इस बीच 29 जुलाई 1997 की रात को सीएम आवास घेर लिया गया, रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती की गयी. इधर, लालू प्रसाद यादव के समर्थक खुलेआम हिंसक विरोध की धमकी दे रहे थे. स्थिति से निपटने के लिए सेना की तैनाती तक की चर्चा होने लगी थी. अंततः लालू प्रसाद को झुकना पड़ा और अगली सुबह 30 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद ने चुपचाप सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया और उन्हें जेल जाना पड़ा था.

ये भी पढ़ें: Fodder Scam: लालू के 'भविष्य' पर फैसला आज, CBI की विशेष अदालत पर टिकी सबकी नजरें

लालू यादव को कब-कब जेल जाना पड़ा

  • 30 जुलाई 1997 को पहली बार लालू प्रसाद 135 दिन जेल में रहे.
  • 28 अक्टूबर, 1998 को दूसरी बार 73 दिन जेल.
  • 5 अप्रैल 2000 तीसरी बार 11 दिन जेल.
  • 28 नवंबर 2000 को आय से अधिक संपत्ति मामले में एक दिन जेल.
  • 3 अक्टूबर 2013 चारा घोटाले के दूसरे मामले दोषी करार दिए जाने पर 70 दिन जेल.
  • 23 दिसंबर 2017 को चारा घोटाले से तीसरे मामले में सजा हुई.
  • 24मार्च 2018 को दुमका कोषागार से जुड़े चौथे मामले में सजा हुई, जिसके बाद करीब तीन साल बाद पिछले साल अप्रैल में जेल से रिहा हुए लालू.

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