पटना: बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के द्वारा बिहार के सभी मंदिरों (All Temples of Bihar) और मठों की परिसंपत्तियों की जानकारी इकट्ठा करने का निर्णय सरकार के विधि विभाग के द्वारा लिया गया है. सरकार और धार्मिक न्यास बोर्ड के स्तर पर जिला वार बैठक भी शुरू किया गया है. कई जिलों की बैठक हुई. लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है.
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मामले में सरकार के अधिकारियों के उदासीन रवैया को देख बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश जैन ने सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि 17 जिला में विधि विभाग के मंत्री अधिकारियों धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष और जिला के डीएम, एसपी और अन्य कर्मचारियों के साथ बैठक हो चुकी है लेकिन उनसे सहयोग नहीं मिल रहा है.
'17 जिलों में से अभी तक सिर्फ एक जिला आरा से मठ मंदिरों की संपत्ति का ब्यौरा मिल पाया है. बिहार में मंदिरों की परिस्थितियों की जानकारी इकट्ठा करने के लिए यह बैठक का आयोजन चरणबद्ध तरीके से जिलों में किया गया था. अधिकारी को आदेश दिया गया था कि अपने प्रखंड, जिला से तमाम मंदिर, मठों की जमीनों की जानकारी प्राप्त कर धार्मिक न्यास बोर्ड को उपलब्ध कराएं. लेकिन जिले के जिला अधिकारी और कर्मचारी के उदासीन रवैया से धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष काफी चिंतित हैं.' : अखिलेश जैन, अध्यक्ष, बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड
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धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश जैन ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि अब धार्मिक न्यास बोर्ड लोगों के माध्यम से राज्य के सभी मंदिरों और मठों की संपत्ति को जानने की कोशिश करने में जुट गया है. धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अपने इलाके के मठों और मंदिरों के संपत्तियों की जानकारी दें. धार्मिक न्यास बोर्ड के द्वारा त्वरित कार्रवाई की जाएगी और उनकी सूचना को गोपनीय रखी जाएगी. बिहार में 4,600 मंदिर, धार्मिक न्यास बोर्ड से रजिस्टर्ड है.
लेकिन दुर्भाग्य से 8,000 से ज्यादा मंदिर और मठ को धार्मिक न्यास बोर्ड से नहीं जोड़ा गया है. यानी कि 90% मंदिरों की परिसंपत्ति का डिटेल धार्मिक न्यास बोर्ड के पास नहीं है. उन्होंने बताया कि पहले मंदिर और मठ जो रजिस्टर्ड होते थे उसका ब्यौरा नहीं लिया जाता था सिर्फ मंदिरों और मठों की जानकारी पर रजिस्टर्ड कर दिया जाता था.
'पहले जो लोग रजिस्टर्ड कराने आते थे. वह लोग 5 बीघा 10 बीघा अपने मन से लिख दिया करते थे और वह रजिस्टर्ड हो जाता था. ऐसे में 10 परसेंट मंदिरों का कोई हमारे पास अता-पता नहीं है.' - अखिलेश जैन, अध्यक्ष, बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड
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