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बिहार में पकड़ी जा रही ब्रांडेड शराब में 90 फीसदी नकली, स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक

बिहार में नकली शराब ने कई बार लोगों की जान ली है. ऐसे में खुलासा हुआ है कि शराबबंदी वाले बिहार में जो शराब पहुंचती है उसमें से 90 प्रतिशत नकली होते हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 14, 2022, 10:59 PM IST

branded liquor caught
branded liquor caught

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) के बाद राज्य में पकड़ी जा रही ब्रांडेड विदेशी शराब की 90 प्रतिशत खेप नकली या तय मानक के अनुरूप नहीं है. इसका खुलासा मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की केमिकल लैब की जांच रिपोर्ट से हुई है. विभाग के अधिकारी बताते हैं कि बिहार में शराबबंदी के बाद चोरी छिपे बिहार में पहुंचाई जा रही है. यहां आने वाली शराब में 90 फीसदी शराब नकली है.

ये भी पढ़ें - ड्राई स्टेट बिहार में कथित जहरीली शराब से 25 लोगों की आंखों की रोशनी गई, 7 की मौत

नकली शराब की पहचान उसके रि-यूज्ड बोतल, रैपर, ढक्कन और सील से भी हो जाती है. अशुद्ध होने की वजह से यह नकली शराब स्वाद में भी बहुत कड़वी होती है. यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है.

''राज्य के किसी भी जिले से अवैध शराब की खेप पकड़े जाने पर उसका सैंपल जब्त कर जांच के लिए लैब में भेजा जाता है. इस जांच में 90 प्रतिशत से अधिक शराब इंडियन मेड फारेन लिकर (आइएमएफएल) के मानकों पर असफल साबित हुए हैं.'' - सुबोध कुमार, रसायन निरीक्षक, उत्पाद विभाग

अवैध शराब को बनाने में एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) की जगह स्पिरिट, रेक्टिफाइड स्पिरिट या इथेनाल का इस्तेमाल किया जाता है. नकली शराब बनाने के लिए रसायन शास्त्रियों की मदद से अल्कोहल का मानक स्तर 42.8 प्रतिशत तो किसी तरह मेंटेन कर लिया जाता है, लेकिन एकस्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) के कारण यह शराब स्वास्थ्य के लिए और बेहद खतरनाक हो जाती है. किसी भी रसायन में मिथाइल अल्कोहल मिलाने पर वह जहरीली हो जाती है. जहरीली शराब से हुई मौत के मामलों में शराब के सैंपल की जांच करने पर इसी रसायन का इस्तेमाल पाया गया है.

बता दें कि बिहार पुलिस की एंटी लिकर टास्क फोर्स ने सिर्फ अगस्त माह में करीब एक लाख लीटर अवैध शराब नष्ट की है. इसमें 40 हजार 719 लीटर देसी जबकि 57 हजार 739 लीटर विदेशी शराब है.

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) के बाद राज्य में पकड़ी जा रही ब्रांडेड विदेशी शराब की 90 प्रतिशत खेप नकली या तय मानक के अनुरूप नहीं है. इसका खुलासा मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की केमिकल लैब की जांच रिपोर्ट से हुई है. विभाग के अधिकारी बताते हैं कि बिहार में शराबबंदी के बाद चोरी छिपे बिहार में पहुंचाई जा रही है. यहां आने वाली शराब में 90 फीसदी शराब नकली है.

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नकली शराब की पहचान उसके रि-यूज्ड बोतल, रैपर, ढक्कन और सील से भी हो जाती है. अशुद्ध होने की वजह से यह नकली शराब स्वाद में भी बहुत कड़वी होती है. यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है.

''राज्य के किसी भी जिले से अवैध शराब की खेप पकड़े जाने पर उसका सैंपल जब्त कर जांच के लिए लैब में भेजा जाता है. इस जांच में 90 प्रतिशत से अधिक शराब इंडियन मेड फारेन लिकर (आइएमएफएल) के मानकों पर असफल साबित हुए हैं.'' - सुबोध कुमार, रसायन निरीक्षक, उत्पाद विभाग

अवैध शराब को बनाने में एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) की जगह स्पिरिट, रेक्टिफाइड स्पिरिट या इथेनाल का इस्तेमाल किया जाता है. नकली शराब बनाने के लिए रसायन शास्त्रियों की मदद से अल्कोहल का मानक स्तर 42.8 प्रतिशत तो किसी तरह मेंटेन कर लिया जाता है, लेकिन एकस्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) के कारण यह शराब स्वास्थ्य के लिए और बेहद खतरनाक हो जाती है. किसी भी रसायन में मिथाइल अल्कोहल मिलाने पर वह जहरीली हो जाती है. जहरीली शराब से हुई मौत के मामलों में शराब के सैंपल की जांच करने पर इसी रसायन का इस्तेमाल पाया गया है.

बता दें कि बिहार पुलिस की एंटी लिकर टास्क फोर्स ने सिर्फ अगस्त माह में करीब एक लाख लीटर अवैध शराब नष्ट की है. इसमें 40 हजार 719 लीटर देसी जबकि 57 हजार 739 लीटर विदेशी शराब है.

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