पटना/कोल्लम: मलयालम मातृभाषा नहीं होने के बाद भी बिहार की 26 वर्षीय प्रवासी महिला ने इस पारंपरिक भाषा में हुई साक्षरता परीक्षा में अव्वल स्थान प्राप्त किया है. केरल में प्रवासी मजदूरों को मलयालम सिखाने के लिए यह साक्षरता परीक्षा आयोजित की जाती है.
बिहार के एक अंजान गांव से आई रोमिया काथुर ने मलयालम भाषा में गहरी पकड़ बनाते हुए हाल ही में केरल राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण की ओर से आयोजित परीक्षा में पूरे 100 अंक लाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया. काथुर करीब छह साल पहले काम की तलाश में अपने पति सैफुल्लाह के साथ केरल पहुंची और दक्षिणी कोल्लम जिले के उमयानालूर में बस गई.
परिक्षा में1998 प्रवासी मजदूरों ने लिया था भाग
यहां एक छोटी सी जूस की दुकान चलाने वाली तीन बच्चों की मां काथुर ने अपनी चार महीने की बेटी तमन्ना को अपने साथ ले जाकर पिछले महीने स्थानीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में परीक्षा दी थी. पूरे राज्य में 19 जनवरी को आयोजित हुई साक्षरता परीक्षा योजना 'चांगति (दोस्त)' के दूसरे चरण में कुल 1998 प्रवासी मजदूरों ने भाग लिया था. 'चांगति' योजना का लक्ष्य प्रवासी मजदूरों को चार महीने के भीतर मलयालम भाषा सिखाना है.
साल 2017 में शुरू हुई थी योजना
साक्षरता मिशन के अधिकारियों ने बताया कि इसकी शुरुआत 15 अगस्त 2017 को एर्णाकुलम जिले के पेरंबुवूर में हुई थी, जहां बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बसे हुए हैं. उन्होंने बताया कि 'चांगति' योजना के दो चरणों में करीब 3700 प्रवासियों ने परीक्षा उत्तीर्ण की.
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मिशन की निदेशक पीएस श्रीकला ने हाल ही में काथुर के घर जाकर उनकी इस अनूठी उपलब्धि पर बधाई दी. काथुर ने कहा, 'चांगति योजना के तहत तैयार की गई, हमारी मलयालम नाम की किताब रोजमर्रा के कामों में भी मददगार साबित हुई.'