पटनाः नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन छोड़ महागठबंधन में शामिल हो चुके हैं. बिहार विधानसभा अध्यक्ष के पद पर भाजपा कोटे से हैं तो सभापति के पद पर भी भाजपा से जुड़े नेता काबिज हैं. राज्य में जब एनडीए की सरकार थी तब विधानसभा अध्यक्ष भाजपा कोटे में था और विजय सिन्हा को अध्यक्ष बनाया गया था नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया है और भाजपा सरकार से बाहर हो चुकी है नीतीश कुमार (Nitish Kumar) राजद के साथ सरकार बना चुके हैं. महागठबंधन के दलों के बीच हिस्सेदारी को लेकर मंथन का दौर जारी है. बिहार विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में विजय सिन्हा फिलहाल बने हुए हैं और विधान परिषद में भी कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह कायम हैं. सरकार बदलने के बाद राजद की नजर भी इन दोनों कुर्सियों पर है. नैतिकता के आधार पर पार्टी की ओर से राजद विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद सभापति से त्यागपत्र की मांग कर रही है.
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"राजनीति लोक लाज से चलती है. अब भाजपा सरकार में नहीं है, लिहाजा उनके कोटे के लोग जो भी संवैधानिक पद पर बैठे थे. उन्हें बहुमत का सम्मान करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए नैतिकता का तकाजा भी यही है. राजद की ओर से कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति पद से भाजपा कोटे के नेताओं को इस्तीफा कर देना चाहिए."- शक्ति यादव, राजद प्रवक्ता
"बिहार विधान सभा अध्यक्ष और विधान परिषद सभापति का मामला सदन का है और इस मसले पर सदन में ही फैसले लिए जाते हैं. जहां तक लोक-लाज का सवाल है, राजद नेता लो क्लास की बात करते हैं तो यह बेमानी लगती है. अगर उनके अंदर लोक-लाज होती तो वह नीतीश कुमार के साथ जनादेश का अपमान करते हुए सरकार नहीं बनाते."- प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता
स्पीकर के खिलाफ सदन दिया गया है अविश्वास प्रस्तावः महागठबंधन की ओर से विजय सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया है. वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विजय सिन्हा का जाना तो तय है. अवधेश नारायण सिंह को लेकर संशय की स्थिति है. अवधेश नारायण सिंह पर फैसला नीतीश कुमार को लेना है. दोनों नेता फिलहाल अपनी कुर्सी बचाने की जुगत में हैं. अब देखना है कि विधान सभा अध्यक्ष पद से विजय सिन्हा त्यागपत्र देते हैं या अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे या इससे पहले ही सदन में कोई चौकाने वाला फैसला लेंगे.
नीतीश ने दूसरी बार दिया बीजेपी को चकमाः दरअसल नीतीश कुमार ने दूसरी बार भाजपा को चकमा दिया है, नीतीश कुमार ने इस बार भाजपा का साथ अलग अंदाज में छोड़ा है. पिछली बार 2013 में नीतीश कुमार ने भाजपा कोटे के मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था, लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने खुद ही इस्तीफा दे दिया और महागठबंधन के साथ मिलकर नई सरकार बना ली. नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद कई नेताओं के राजनीतिक भविष्य अधर में है. बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है और बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह डेंजर जोन में हैं. अवधेश नारायण सिंह भाजपा कोटे से सभापति हैं. गठबंधन टूट का असर उनके राजनीतिक भविष्य पर भी पड़ सकता है.
कुर्सी बचाने में लगे अवधेश नारायण सिंहः पिछली बार जब भाजपा और जदयू की राहें अलग अलग हुई थी तब अवधेश नारायण सिंह ने नीतीश कुमार से नज़दीकियां बना कर अपनी कुर्सी बचा ली थी. इस बार भी शपथ ग्रहण समारोह और तेजस्वी यादव के आवास पर जाकर बधाई देकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, हालांकि बैठक में नीतीश कुमार के साथ रहने का उन्होंने भरोसा दिलाया है. आपको बता दें कि हरिवंश सिंह की नजदीकियां भी भाजपा के शीर्ष नेताओं से हैं.
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