पटनाः बिहार में अपराध (Crime In Bihar) पर अंकुश लगाना पुलिस के लिए आज भी चैलेंज है. ये चैलेंज जेल से बाहर घूम रहे आरोपियों के लंबित वारंट के कारण है. आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश के लिए बिहार पुलिस की ओर से लगातार अभियान चलाकर आरोपियों, कुख्यात अपराधियों और नक्सलियों की गिरफ्तारी की जा रही है. बिहार के जेलों की कुल क्षमता 47750 कैदी की है, जिसमें मई के अंत तक लगभग 65 हजार से अधिक कैदी बंद थे. अर्थात क्षमता से कई गुना ज्यादा लोग जेलों में कैद (Bihar Jails Over Crowded) हैं. वहीं बिहार पुलिस के पास 51 हजार से ज्यादा लोगों के नाम वारंट लंबित (51 Thousand Warrants Pending) है. इसका खुलासा बिहार पुलिस मुख्यालय से आरटीआई एक्टिविस्ट की दी गई जानकारी में हुआ. पुलिस के वरीय अधिकारियों के लिए ये आंकड़े मुसीबत बन गये हैं कि वे अभियान चलाकर वारंटियों को अगर गिरफ्तार कर भी ले तो रखेंगे कहां.
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"जेल में बढ़ती कैदियों की संख्या एक बड़ी समस्या है. राज्य सरकार को बिहार की जनसंख्या को देखते हुए जेलों की संख्या और क्षमता को बढ़ाना चाहिए. बिहार में पोस्टिंग के दौरान जेलों में कई बार छापेमारी का मौका मिला. इस दौरान बक्सर जिले में देखने को मिला की जेलों में कैदियों की संख्या ज्यादा होने के कारण कैदी बारी-बारी से सोते थे."- अमिताभ दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी
51 हजार वारंटी जेल से बाहरः बिहार पुलिस मुख्यालय की ओर से मिल रही जानकारी के अनुसार 51 हजार वारंटी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बिहार की जेल की जितनी क्षमता है, उससे अधिक अभी कैदी जेलों में बंद है. अगर और 51000 वारंट पर जो अपराधी फरार हैं उनकी गिरफ्तारी होती है तो उन्हें राज्य सरकार किस जेल में रखेगी. उनको रखने के लिए कोई नई व्यवस्था की जायेगी या वर्तमान जेलों में ही आगे गिरफ्तार होने वाले लोगों को ठूसा जायेगा. साथ ही बिहार में 55 हजार से ज्यादा वारंटी और कुर्की के लिए मामले लंबित पड़े हुए हैं.
अपराधियों की गिरफ्तारी में 195 फीसदी की बढ़ोतरीः पुलिस मुख्यालय की दी गई जानकारी के अनुसार बिहार में अप्रैल माह के अंत तक 55679 मामले पूर्ति और वारंटी के लंबित हैं. इनमें से 51906 मामले वारंट जारी किया जा चुका है. जबकि 3783 मामलों में कुर्की जब्ती का आदेश जारी किया गया है. पिछले साल 2020 और 2021 के मई महीने के तुलना में 2022 में मई महीने तक कई प्रतिशत अधिक गिरफ्तारी किया गया है. पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के मुताबिक गिरफ्तार अपराधी अभियुक्त की संख्या साल 2020 और साल 2021 की तुलना में साल 2022 में मई महीने तक 26771 अपराधियों की गिरफ्तारी की गई है जो कि 195.42 फीसदी अधिक है। वहीं गिरफ्तार कुख्यात अपराधियों की संख्या बढ़कर 834 हो गई है जो कि 55.02 की बढ़ोतरी है. वहीं गिरफ्तार नक्सलियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. यह बढ़ कर 55.02 फीसदी की वृद्धि है. इसके साथ-साथ अवैध हथियार की बरामदगी और नशीले पदार्थों की बरामदगी जप्त वाहनों की बरामदगी में भी वृद्धि हुई है.
वारंटियों के निष्पादन का आदेशः पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार की माने तो पुलिस मुख्यालय के स्तर से वारंट और कुर्की के लंबित मामलों का जल्द से जल्द निष्पादन करने का निर्देश सभी जिलों को दिया गया है. अप्रैल महीने में वारंट और कुर्की के 16357 नए मामले आए हैं. वहीं इस दौरान लंबित मामलों को जोड़ते हुए कुल 19000 से अधिक मामलों का निष्पादन किया गया है. हालांकि उन्होंने कहा कि 51 हजार वारंटी मामले में से कुछ बेलेबल वारंट हैं और कुछ नन बेलेबल वारंट है, जिसका आंकड़ा अभी उनके उनके पास मौजूद नहीं है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि जितने अपराधी पकड़े जाते हैं और पहले से भी बंद कैदी भी न्यायालय के माध्यम से छूटते हैं. जिलों में बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार जेलों की क्षमता बढ़ा रही है और नए जिलों का निर्माण भी किया जा रहा है.
राज्य में कई नये जेल बन रहेः जेलों की क्षमता बढ़ाने के लिए भभुआ में 426, जमुई में 1030 क्षमता और औरंगाबाद में नए जेल बनाये गये हैं. अरवल में 558 और पालीगंज में 535 कैदियों की क्षमता वाले जेल का निर्माण भी चल रहा है. इसके अलावा निर्मली में 500 कैदियों की क्षमता की जेल के लिए जमीन मिल गई है. इसका एस्टीमेट बनाया जा रहा है. साथ ही नये अनुमंडल राजगीर, रजौली, मढौरा, महाराजगंज, हथुआ, चकिया, पकड़ी दयाल, महनार और सिमरी बख्तियारपुर में भी एक-एक हजार क्षमता की जेल बनाने का फैसला हुआ है. दरभंगा में 772, छपरा में 132, सहरसा में 158 पुरुष और 50 महिला व बेनीपुर में 158 कैदियों वाला नया बंदी कक्ष बनाने का फैसला हुआ है.
मध निषेध कानून में संशोधन से मिली मददः इसके साथ साथ मध निषेध कानून में भी संशोधन किया गया है और न्यायालय भी बढ़ाए गए हैं जिसके तहत जल्द से जल्द इस कानून के तहत लोगों को रिहा भी किया जा रहा है. जिलों में बढ़ती संख्या का कारण कहीं ना कहीं करोना कॉल भी रहा है जिस दौरान उच्च न्यायालय बंद था कैदियों को बेल नहीं मिल पा रहा था उस दौरान भी नए कैदी लगातार पकड़े जा रहे थे.
बुजुर्ग और अच्छे विचार वाले कैदियों की रिहाई पर हो विचारः पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने बताया कि बिहार के जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या का सबसे बड़ा कारण शराब बंदी है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर आपत्ति जताई है. अमिताभ दास ने कहा कि वैसे कैदी जो जेलों में बंद हैं, उनका आचरण अच्छा है या वे बुजुर्ग हैं. ऐसे लोगों को पैरोल पर रिहा करना चाहिए, तभी जाकर कैदियों की संख्या में कमी आयेगी.
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