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यूपी टीईटी पेपर लीक मामला : जानिए कौन है राय अनूप प्रसाद? क्या है उसका बिहार कनेक्शन - भाजपा एमएलए के भाई का कनेक्शन

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) 2021 पेपर लीक मामले में अब नया खुलासा हुआ है. यूपी एसटीएफ की जांच में पता चला है कि जिस राय अनूप प्रसाद की कंपनी को परीक्षा के पेपर छापने का ठेका दिया गया था वह बिहार की भाजपा विधायक रश्मि वर्मा का भाई है.

यूपीटीईटी पेपर लीक केस में फंसा राय अनूप प्रसाद
यूपीटीईटी पेपर लीक केस में फंसा राय अनूप प्रसाद
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Published : Dec 3, 2021, 10:14 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) 2021 पेपर लीक मामले में अब बिहार भाजपा एमएलए के भाई का कनेक्शन खुलकर सामने आने लगा है. यूपी एसटीएफ (UP STF) की जांच में रसूख और सत्ता के इस गठजोड़ से परतें उठने लगी हैं. परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने जिस राय अनूप प्रसाद की कंपनी को परीक्षा के पेपर छापने का ठेका दिया गया था वह कोई और नहीं, बल्कि बिहार की भाजपा विधायक रश्मि वर्मा का भाई है. एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया है कि बिना नियमों को पूरा किए ही छपाई का ठेका दिया गया था.

यह भी पढ़ें- नियुक्ति की मांग को लेकर शिक्षक अभ्यर्थियों का धरना जारी, कहा-शिक्षा मंत्री सिर्फ कर रहे हैं गुमराह

खास बात यह भी है कि दिल्ली की प्रिंटिंग प्रेस RSM Finserv LTD का मालिक राय अनूप प्रसाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर का है. यहां के एक नामी गिरामी सियासी परिवार से इसका ताल्लुक है. एसटीएफ ने पेपर लीक के कुछ घंटों बाद ही अनूप प्रसाद राय को गिरफ्तार कर लिया था. उसके बाद से ही लगातार पूछताछ जारी है. इस दौरान जांच टीम ने उसके मोबाइल फोन को भी सर्विंलास पर रखा. जिसमें, उसके बारे में कई जानकारियां सामने आई हैं.

उल्लेखनीय है कि राय अनूप प्रसाद की बहन रश्मि वर्मा बिहार की नरकटियागंज विधानसभा से भाजपा की विधायक हैं. पिछले साल अक्टूबर में उनसे 25 लाख रुपये रंगदारी मांगे जाने के मामले के बाद वह चर्चा में आईं थीं. चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में रश्मि ने अपने खिलाफ तीन आपराधिक मुकदमे दिखाए हैं. अनूप के परिवार का एक सदस्य आईएएस भी है.

एसटीएफ की पड़ताल में सामने आया है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने हाथ से लिखित प्रश्नों की सूची एजेंसी को उपलब्ध कराई थी. जानकारों की मानें तो, प्रश्नपत्र छापने वाली एजेंसी ने काम मिलने के बाद टाइपिंग का काम स्कूली छात्रों को दे दिया था. प्रिंटिंग, प्रूफ रीडिंग, डिजाइनिंग, पैकिंग की जिम्मेदारी भी इन्हीं को दी गई. जांच में सामने आया है कि एजेंसी के पास मैनपावर भी नहीं थे.

कर्मचारियों की भर्ती प्रश्नपत्र छापने का ऑर्डर मिलने के बाद शुरू की गई. प्रश्नपत्र को हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व संस्कृत में टाइपिंग के लिए स्कूल और कॉलेज के छात्र-छात्राओं को अनियमित तरीके से बुलाया गया था. इस मामले में एजेंसी के निदेशक राय अनूप प्रसाद और परीक्षा नियामक प्राधिकारी के सचिव संजय उपाध्याय को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है.

यह भी पढ़ें- TET उत्तीर्ण छात्रों का धरना दूसरे दिन भी जारी, कहा- नियुक्ति पत्र नहीं देने पर यहीं कर लेंगे सुसाइड

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लखनऊः उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) 2021 पेपर लीक मामले में अब बिहार भाजपा एमएलए के भाई का कनेक्शन खुलकर सामने आने लगा है. यूपी एसटीएफ (UP STF) की जांच में रसूख और सत्ता के इस गठजोड़ से परतें उठने लगी हैं. परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने जिस राय अनूप प्रसाद की कंपनी को परीक्षा के पेपर छापने का ठेका दिया गया था वह कोई और नहीं, बल्कि बिहार की भाजपा विधायक रश्मि वर्मा का भाई है. एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया है कि बिना नियमों को पूरा किए ही छपाई का ठेका दिया गया था.

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खास बात यह भी है कि दिल्ली की प्रिंटिंग प्रेस RSM Finserv LTD का मालिक राय अनूप प्रसाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर का है. यहां के एक नामी गिरामी सियासी परिवार से इसका ताल्लुक है. एसटीएफ ने पेपर लीक के कुछ घंटों बाद ही अनूप प्रसाद राय को गिरफ्तार कर लिया था. उसके बाद से ही लगातार पूछताछ जारी है. इस दौरान जांच टीम ने उसके मोबाइल फोन को भी सर्विंलास पर रखा. जिसमें, उसके बारे में कई जानकारियां सामने आई हैं.

उल्लेखनीय है कि राय अनूप प्रसाद की बहन रश्मि वर्मा बिहार की नरकटियागंज विधानसभा से भाजपा की विधायक हैं. पिछले साल अक्टूबर में उनसे 25 लाख रुपये रंगदारी मांगे जाने के मामले के बाद वह चर्चा में आईं थीं. चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में रश्मि ने अपने खिलाफ तीन आपराधिक मुकदमे दिखाए हैं. अनूप के परिवार का एक सदस्य आईएएस भी है.

एसटीएफ की पड़ताल में सामने आया है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने हाथ से लिखित प्रश्नों की सूची एजेंसी को उपलब्ध कराई थी. जानकारों की मानें तो, प्रश्नपत्र छापने वाली एजेंसी ने काम मिलने के बाद टाइपिंग का काम स्कूली छात्रों को दे दिया था. प्रिंटिंग, प्रूफ रीडिंग, डिजाइनिंग, पैकिंग की जिम्मेदारी भी इन्हीं को दी गई. जांच में सामने आया है कि एजेंसी के पास मैनपावर भी नहीं थे.

कर्मचारियों की भर्ती प्रश्नपत्र छापने का ऑर्डर मिलने के बाद शुरू की गई. प्रश्नपत्र को हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व संस्कृत में टाइपिंग के लिए स्कूल और कॉलेज के छात्र-छात्राओं को अनियमित तरीके से बुलाया गया था. इस मामले में एजेंसी के निदेशक राय अनूप प्रसाद और परीक्षा नियामक प्राधिकारी के सचिव संजय उपाध्याय को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है.

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