पटना: देश में बिहार पहला राज्य है जहां संसद जैसे सेंट्रल हॉल निर्माण कराया गया है बिहार विधानसभा का विस्तारित भवन का निर्माण कराया गया है इसमें सेंट्रल हॉल भी है और इसी सेंट्रल हॉल में बिहार विधानसभा और विधान परिषद की अब ज्वाइंट सेशन होगी इस साल इसकी शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके निर्माण के पीछे की कहानी बताई थी.
2007-08 में बिहार में सेंट्रल हॉल के निर्माण का फैसला
संसद के सेंट्रल हॉल में सत्ताधारी दल और विपक्ष के सदस्य एक साथ गले मिलते हैं, समोसे खाते हैं और कई मुद्दों पर अपनी राय एक दूसरे से शेयर करते हैं. भले ही सदन में एक दूसरे के बीच तल्ख तेवर देखने को मिले लेकिन सेंट्रल हॉल सब कुछ दोस्ताना अंदाज में होता है. यही सब कुछ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पसंद आ गया और उन्होंने 2007-08 में बिहार में भी सेंट्रल हॉल निर्माण का फैसला लिया. बिहार विधानसभा का विस्तारित भवन में ही सेंट्रल हॉल का निर्माण भी कराया गया. इसके लिए एक बड़ी राशि खर्च की गई. बिहार विधान सभा और विधान परिषद के ज्वाइंट सेशन की बैठक इसी सेंट्रल हॉल में होगी.
बिहार बना पहला राज्य
संसद के सेंट्रल हॉल की गतिविधियों के गवाह रहे जेडीयू विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी का कहना है कि नीतीश कुमार अपने निर्माण और विकास से जुड़े कामों के लिए जाने जाते हैं और सेंट्रल हॉल का निर्माण उनकी सोच को दर्शाता है. पटना के सेंट्रल हॉल में भी सदस्य बहुत ही रिलैक्स होकर मिलते हैं. बिहार पहला राज्य हैं और सीएम नीतीश पहले मुख्यमंत्री जिन्होंने सेंट्रल हॉल बनवाया है. गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि इसके विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री ने कई तरह की हिदायत भी दी है. इसी के तहत उसमें काम भी हो रहा है.
2020 में सेंट्रल हॉल पर सबकी नजर
पटना के सेंट्रल हॉल की इस साल शुरुआत तो हो गई हालांकि विस्तारित भवन में अंडर ग्राउंड हिस्से में जलजमाव और निर्माण संबंधी कई तरह की खामियों के कारण इसमें देर भी हुई. विधानसभा के विस्तारित भवन के निर्माण को लेकर विपक्षी सदस्यों ने सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया था, इसके बावजूद सेंट्रल हॉल के शुरुआत के साथ कुछ गतिविधियां देखने को जरूर मिली. हालांकि सीएम नीतीश कुमार की सोच के अनुरूप सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के बीच बहुत खास गतिविधि नहीं रही. अब देखना होगा कि साल 2020 में सेंट्रल हॉल सबकी उम्मीदों पर कितना खरा उतरता है.