पटना: बिहार में पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को शांतिपूर्ण और भयमुक्त वातावरण में संपन्न कराने के लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा सुरक्षा का खाका तैयार किया जा रहा है. दरअसल, पुलिस मुख्यालय (Bihar Police Headquarters) द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार पिछले चुनाव के अनुभव के आधार पर सभी जिलों में बलों की जरूरत का आकलन किया जा रहा है. पंचायत चुनाव में केंद्रीय सुरक्षा बलों (Central Security Forces) की तैनाती नहीं होगी. इस बार सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्य तौर पर बिहार पुलिस, बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल और होमगार्ड के जवानों पर होगी. इसके साथ-साथ अति संवेदनशील और नक्सली प्रभावित बूथों पर अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की जाएगी.
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पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी जिले में चुनाव के लिए जरूरी पुलिस बल का आकलन रिपोर्ट तलब किया गया है ताकि चरणवार पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति की जा सके. मुख्यालय द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार सभी जिलों में होने वाले चुनाव को लेकर संवेदनशील और अतिसंवेदनशील इलाकों को भी चिन्हित करने का निर्देश दिया गया है. अति संवेदनशील और नक्सल प्रभावित इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की जाएगी. सितंबर में पंचायत चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है. सितंबर से नवंबर तक चुनाव की प्रक्रिया चल सकती है.
पुलिस मुख्यालय द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार पंचायत चुनाव में अर्धसैनिक बलों की उपलब्धता की कोई उम्मीद नहीं है. इससे पहले हुए पंचायत चुनाव में भी अर्धसैनिक बलों की तैनाती नहीं हुई थी. पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी जिलों को चुनाव को लेकर विशेष सतर्कता बरतने का भी निर्देश दिया गया है. अपराधी छवि के वैसे लोगों, जो चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं, उन पर निगरानी करने का निर्देश दिया गया है.
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चुनाव के मद्देनजर अपराधिक तत्वों पर शिकंजा कसते हुए थाने पर ही उनकी नियमित हाजिरी लगवाने का निर्देश दिया गया है. हालांकि मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार में पहले से तैनात अर्द्ध सैनिक बल की 45 कंपनियों को भी नक्सल प्रभावित एवं अति संवेदनशील बूथों पर तैनात किया जाएगा. इसी साल, 2021 में ही बीएमपी को बदलकर बिहार सशस्त्र पुलिस बल में बदलाव किया गया है. इस बार पंचायत चुनाव में इस बल की अहम भूमिका रहेगी.
गौरतलब है कि राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि चुनाव के दौरान वोटरों को लुभाने वाले उम्मीदवारों और उनके समर्थकों पर सख्त कार्रवाई की जाए. पंचायत चुनाव के दौरान मतदान के लिए मतदाताओं को वाहन से लाने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा. राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों को आदर्श आचार संहिता के पालन पर जोर देने का निर्देश दिया है.
आयोग पंचायत चुनाव में अवैध शराब के इस्तेमाल को लेकर भी सख्त है. आयोग के अनुसार बिहार में शराबबंदी लागू है. किसी भी उम्मीदवार द्वारा न तो गैर कानूनी शराब खरीदी जाएगी और ना ही उसे किसी को पेश या वितरित किया जाएगा. प्रत्येक उम्मीदवार को अपने कार्यकर्ताओं को भी ऐसा करने से रोकना होगा. इन आदेशों का पालन सभी उम्मीदवारों को करना अनिवार्य है.
राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को रिश्वत देने पर भी कार्रवाई का निर्देश दिया है. आयोग के अनुसार उम्मीदवारों को ऐसे सभी कार्यों से परहेज करना चाहिए जो बिहार पंचायती राज अधिनियम 2006 के तहत अपराध घोषित हो. इस नियम के अनुसार चुनाव के दौरान किसी भी पोस्ट, इश्तेहार, पंपलेट या परिपत्र पर प्रिंटर का नाम और पता होना अनिवार्य है.
पंचायती राज अधिनियम 2006 के तहत किसी भी उम्मीदवार के बारे में उसके चरित्र या व्यक्तिगत आचरण पर किसी तरह की अभद्र टिप्पणी करना भी आपराधिक मामला होगा. किसी भी उम्मीदवार के संबंध में समाचार पत्र या टेलीविजन में गलत खबर छपवाना भी आपराध की श्रेणी में आयेगा.
बता दें कि सूबे में पंचायत चुनाव (Panchayat Election) कराने को लेकर बिहार सरकार तत्पर है. चुनाव के लिए तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है. पंचायती राज विभाग ने ईवीएम (EVM) की व्यवस्था कर ली है. अब निर्वाचन आयोग (Election Commission) के आदेश का इंतजार है. इसी महीने, 20 अगस्त के बाद कभी भी पंचायत चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो सकता है. पंचायत चुनाव को लेकर सरकार भी पूरी तरह तैयार है. पंचायती राज विभाग ने तमाम संसाधन जुटा लिए हैं.