पटना: एनडीए में कुछ ठीक नहीं है, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बीजेपी और जदयू के बड़बोले विधायकों ने एनडीए शीर्ष नेतृत्व की मुश्किलें (Big Trouble in NDA ) बढ़ा दी हैं. जहां जदयू विधायक शराबबंदी को लेकर हमलावर हैं, वहीं बीजेपी विधायक प्रदेश नेतृत्व को ही कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. एनडीए के शीर्ष नेतृत्व के लिए नेताओं को काबू में रखना कठिन साबित हो रहा है. गोपाल मंडल और ज्ञानेंद्र सिंह का मुद्दा (Gopal Mandal and Gyanendra Singh Issue) इन दिनों गरमाया हुआ है. बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और जदयू विधायक गोपाल मंडल लगातार पार्टी के सीनियर नेताओं पर हमला कर रहे हैं.
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बिहार कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने के बाद से बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू नाराज चल रहे हैं और पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने एक ओर जहां प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के नेतृत्व को नकारने का काम किया, वहीं सुशील मोदी को लेकर बड़ा बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग सुशील मोदी को किनारे लगाना चाहते हैं. बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू पार्टी लाइन की चिंता किए बगैर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी में अब तक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
''ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं, सुशील मोदी हमारे पार्टी के बड़े नेता हैं और वह कोर कमेटी में भी शामिल है. उनके बयान देने से सुशील मोदी की राजनीति तय नहीं होगी, पूरे मामले को अनुशासन समिति देखेगी.''- अजफर शम्सी, बीजेपी प्रवक्ता
वहीं, जदयू विधायक गोपाल मंडल नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून की हवा निकाल दे रहे हैं. गोपाल मंडल ने कहा कि जदयू सांसद अजय मंडल शराब बिकवाने का काम कर रहे हैं. गोपाल मंडल उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं.
''जदयू विधायकों के आरोपों का जवाब पार्टी के सांसद दे चुके हैं, जहां तक सवाल शराबबंदी का है तो बिहार में शराबबंदी पूरी तरह सफल है और बड़े-बड़े लोग पकड़े जा रहे हैं.''- अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता
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''बीजेपी और जदयू के नेता वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं. बड़बोले नेता कभी भी जनहित के मुद्दे नहीं उठाते हैं.''- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता
''बिहार बीजेपी में कन्फ्यूजन की स्थिति है, सशक्त नेतृत्व नहीं होने के चलते बड़बोले नेता हावी हैं. बिहार में दूसरी पंक्ति की लीडरशिप तैयार नहीं हुई, जिसके चलते एक बार फिर सुशील मोदी सरीखे नेताओं को कोर कमेटी में शामिल किया गया. विधायकों के बयानबाजी से एनडीए की छवि धूमिल हो रही है.''- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
आपको बता दें कि सुशील मोदी को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया, लेकिन कुछ समय के बाद उन्हें राज्यसभा भेज दिया गया. कुछ दिनों तक कोर कमेटी से अलग रखने के बाद सुशील मोदी को पुनः कोर कमेटी में शामिल कर लिया गया. बिहार बीजेपी दूसरी पंक्ति की लीडरशिप तैयार नहीं कर पाई, नतीजतन फिर से कोर कमेटी में सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार को शामिल किया गया.
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