पटना: ट्रेन की बॉगी में आपने अक्सर भूंजा (Bhoonja) बेचने वालों को देखा होगा. जो खचाखच भीड़ में भी घुसकर बड़े मजे से भूंजा बेचते रहते हैं लेकिन जरा सोचिए क्या अस्पतालों के वार्ड में भी यह संभव है? आपको लगता होगा नहीं, भला ऐसा कैसे मुमकिन है? जहां बेडों पर अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित मरीज लेटे हों, वहां बेधड़क फेरीवाले कैसे घुस सकता है? मगर ऐसा हो रहा है, वह भी किसी पीएचसी या सदर अस्पताल में नहीं बल्कि बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में. जी हां, पीएमसीएच में बड़ी लापरवाही (Big Negligence in PMCH) का जो वीडियो सामने आया है, वह स्वास्थ्य विभाग और पीएमसीएच प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं. मजे की बात ये है कि इन वार्ड में जाने के लिए मरीजों के परिजनों के लिए जरूरी पास भी जारी होता है. लेकिन उसका क्या हाल है उसका अंदाजा आप इन तस्वीरों को देखकर लगा सकते हैं.
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पीएमसीएच में बड़ी लापरवाही: जो वीडियो सामने आया है, वह पीएमसीएच के हथुआ वार्ड का है. जहां इमरजेंसी में ट्रीटमेंट के बाद मरीज को एडमिट किया जाता है. कैमरे में जो तस्वीरें कैद हैं, वह यह साफ बता रही है कि अस्पताल प्रबंधन मरीजों के स्वास्थ्य को लेकर कितना लापरवाह है. हथुआ वार्ड में जहां ऑक्सीजन सपोर्ट पर मरीज एडमिट है, उनमें फेरीवाले घूम-घूम कर भूंजा और फरही बेच रहे हैं. वहीं पास में मौजूद जूनियर डॉक्टर गर्दन पर आला लटका कर मरीजों के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं. अब सोचिए कैसी कुव्यवस्था मची है, इस हथुआ वार्ड में.
वार्ड में भूंजा बेच रहे फेरीवाले: वार्ड में ही भूंजा वाले भूंजा बना रहे हैं. मरीज और उनके परिजनों की डिमांड पर भूंजा बनाकर उन्हें खिला रहे हैं और पैसे ले रहे हैं. वहां मौजूद चिकित्सक इन सब बातों से अंजान बनकर अपना काम कर रहे हैं. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन पर सवाल उठ रहा है कि भूंजा वाले, चाय वाले और अन्य सामान बेचने वाले अस्पताल के वार्ड में कैसे घूम-घूम कर सामान बेच रहे हैं. इससे वार्ड में संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है और सफाई की व्यवस्था भी खराब होती है.
पीएमसीएच प्रबंधन पर गंभीर सवाल: पीएमसीएच की हैरान करने वाली तस्वीरों पर अस्पताल का कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से पूरी तरह बचते नजर आ रहे हैं. कोई भी अधिकारी इस मामले पर प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन के वरीय अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या उनकी भी इसमें कोई मिलीभगत है? अगर नहीं तो मामले की गंभीरता को समझने के बावजूद क्यों फेरीवालों को अंदर आने की अनुमति दी जाती है. ये जानते हुए भी कि मरीजों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.
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