पटना: बिहार में सात निश्चय के तहत हर घर नल का जल योजना (Har Ghar Nal Ka Jal Yojana) सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है. सरकार ने 97% घरों तक हर घर नल का जल पहुंचा दिया है. सरकार का दावा है कि लोगों को अब बिहार में स्वच्छ जल पीने को मिल रहा है. दावों की हकीकत यह है कि बिहार के 18 जिले ऐसे हैं जहां लोग आर्सेनिक युक्त पानी (Arsenic Water) पीने को मजबूर हैं. राज्य के 18 जिलों के 67 प्रखंडों के 1600 टोले आर्सेनिक प्रदूषण की जद में आ चुके हैं और लोग गंभीर बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं.
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एक अनुमान के मुताबिक अब तक 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है. बिहार के तकरीबन एक करोड़ लोग आज भी आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं. कई इलाकों में तो पानी में आर्सेनिक की मात्रा 1000 पीपीबी से ज्यादा है, जो सामान्य से 20 गुना अधिक है.
''मैं भी उसी इलाके से आता हूं, जहां के लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं. सरकार सिर्फ खोखले दावे करती है, लेकिन लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं. प्रभावित इलाकों में प्लांट लगाने का सपना अधूरा ही है.''- रामानुज प्रसाद, राजद विधायक और पार्टी के प्रवक्ता
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बिहार के बक्सर जिले में ग्राउंड वाटर सैंपल में 1929 माइक्रोग्राम प्रति लीटर अर्सेनिक पाया गया है. जिस घर के पानी में यह मात्रा मिली उसी घर के व्यक्ति के खून में 664.6 माइक्रोग्राम आर्सेनिक प्रति लीटर मिला है, जो बिहार में किसी भी व्यक्ति के खून में पाए जाने वाले आर्सेनिक की अब तक की अधिकतम मात्रा है. पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार बिहार में 4233 में से 873 जगहों पर पानी में आर्सेनिक की मात्रा पाई गई है. डब्ल्यूएचओ ने आर्सेनिक की प्रति लीटर मात्रा 0.01 मिलीग्राम तय की हुई है, लेकिन सरकार ने बढ़ाकर 0.05 मिलीग्राम मानक तय किया है.
''लोगों को आज की तारीख में भी पीने के लिए स्वच्छ जल नहीं मिल रहा है. बड़ी संख्या में लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं. लोगों को स्किन कैंसर, सांस संबंधी रोग और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है.''- डॉ. शकील, चिकित्सक और समाजसेवी
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हालांकि, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री रामप्रीत पासवान (PHED Minister Rampreet Paswan) ने दावा किया है कि ''97% घरों तक हम स्वच्छ जल पहुंचा चुके हैं. साथ ही गया और बक्सर में पानी को शुद्ध करने के लिए प्लांट भी लगाए जाने की योजना है.''
बता दें कि गंगा के किनारे बक्सर से लेकर कहलगांव तक कई गांव ऐसे हैं जो आर्सेनिक के प्रभाव में हैं और गांव के लोग आज भी आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं. भले ही उनके घर नल का जल पहुंच गया हो. सरकार ने कुछ जगहों पर प्लांट लगाने का निर्णय लिया था, लेकिन वह अब तक चालू नहीं हो सके हैं. कई जगहों पर तो आर्सेनिक के अलावा पानी में फ्लोराइड की मात्रा भी ज्यादा है. पानी के शुद्धिकरण के लिए प्लांट भी चालू नहीं हुए हैं.
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