पटना: बिहार में लोकनायक जयप्रकाश नारायण (Loknayak Jaiprakash Narayan) को लेकर खूब सियासत हो रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज जेपी की जयंती (JP Birth Anniversary) पर उनके पैतृक गांव सिताबदियारा आ रहे है. ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) तीन दिन पहले आठ अक्टूबर को सिताबदियारा के एक पथ का लोकार्पण कर दिया. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर यूपी के क्षेत्र में लंबित विकास के कार्यों को पूर्ण कराने का अनुरोध किया.
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सिताबदियारा में अमित शाह: ऐसा नहीं कि जेपी के नाम पर बिहार में पहली बार सियासत हो रही है. जेपी आंदोलन से जुड़े तथा उसी आंदोलन से निकले नेता लालू प्रसाद और नीतीश कुमार बिहार में करीब 32 सालों से सत्ता के केंद्र में हैं. दो महीने पूर्व तक नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू एनडीए के साथ थी और बिहार की सत्ता में बीजेपी भी हिस्सेदार थी. करीब दो महीने पहले नीतीश एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन का दामन थाम लिया.
जेपी की जयंती पर नीतीश और BJP आमने-सामने : ऐसी स्थिति में एक ही मुद्दे पर जोर आजमाइस कर आम जनता के बीच जेपी के लिए सबसे अधिक काम करने का दावा पेश करने लगे हैं. नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सिताब दियारा के उत्तर प्रदेश क्षेत्र के लंबित कार्यों को शीघ्र पूर्ण किये जाने का अनुरोध किया है.
नीतीश कुमार की यूपी सीएम को चिट्ठी: बिहार के मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि ''जेपी की जन्मभूमि सिताब दियारा ग्राम, जो बिहार एवं उत्तर प्रदेश की सीमा के पास गंगा एवं घाघरा नदी के संगम पर बिहार के सारण जिला में अवस्थित है, में वर्षा ऋतु के दिनों में गांव की भूमि के कटाव का खतरा बना रहता था तथा विगत वर्षों में कई बार वहां कटाव की स्थिति भी उत्पन्न हुई थी.'' इसके अलावा भी मुख्यमंत्री ने पत्र में कई और लंबित कार्यों को पूर्ण कराने का अनुरोध किया है.
BJP ने पूछा- नीतीश को जेपी की याद कैसे आ गई: इधर, बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अचानक जेपी की पुण्यतिथि मनाने की याद कैसे आ गई. बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रवक्ता डॉ निखिल आनंद ने बिहार के सीएम के पत्र के लिखे जाने को वक्त के हिसाब से 'विशुद्ध राजनीतिक' करार दिया है.
''जेपी के अवसरवादी, परिवारवादी, वंशवादी और भ्रष्टाचार में लिप्त शिष्यों को उनका उत्तराधिकारी कहलाने का नैतिक अधिकार नहीं है. कांग्रेस विरोध की शपथ ले चुके जेपी के शिष्य आज कांग्रेस की गोद में बैठकर राजनीति कर रहे हैं, यह कम दुर्भाग्यपूर्ण नहीं है.'' - संजय जायसवाल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष
जेपी जयंती, बिहार से लेकर नागालैंड तक सियासत : बिहार में महागठबंधन की सरकार है और लालू प्रसाद यादव से लेकर नीतीश कुमार अपने को जेपी का अनुयायी और शिष्य बताते रहे हैं. जदयू की ओर से भी पटना के ज्ञान भवन में जेपी जयंती पर बड़ा कार्यक्रम किया गया है. पोस्टर भी लगाए गए हैं, जिसमें नीतीश कुमार के मुंह से जेपी की कहानी सुनाने की बात कही गई है. लेकिन नीतीश कुमार नागालैंड जाने वाले हैं. नागालैंड में अगले साल चुनाव है और जेडीयू पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ने का पहले ही ऐलान कर चुकी है. जेपी की जयंती के सहारे नीतीश कुमार नागालैंड में जमीन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. 11 अक्टूबर यानी आज नागालैंड में भी जेपी के नाम पर ही कार्यक्रम हो रहा है.
बता दें कि इस साल 23 अप्रैल को स्वतंत्रता सेनानी बाबू कुंवर सिंह के विजयोत्सव पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भोजपुर जिले के जगदीशपुर आए थे और बड़ी संख्या में लोग उस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस आयोजन का नाम गिनिज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था. उस समय भी नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कुंवर सिंह पर किए गए सरकार के कार्यों का बखान किया था. अब देखने वाली बात है कि दोनो पार्टियों की इस रस्साकशी में जनता किसे बढ़त देती है.