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कैबिनेट का बड़ा फैसला: माता-पिता की सेवा नहीं करने पर होगी जेल, DM करेंगे जांच - नीतीश कुमार

पुलवामा में हुए आतंकी हमले में भागलपुर के रतन कुमार ठाकुर और बेगूसराय के पिंटू कुमार सिंह शहीद हो गये थे. बिहार सरकार ने अब उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी देने का फैसला लिया है.

नीतीश कुमार(फाइल फोटो)
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Published : Jun 11, 2019, 10:56 PM IST

पटना: बिहार कैबिनेट की बैठक में कई बड़े फैसले लिये गये. इनमें ऐसे बेबस माता-पिता को सरकार अब संरक्षण देगी जिन्हें उनके बच्चे घर से निकाल देते हैं या फिर उनकी देखभाल ठीक से नहीं करते. इस संबंध में पहले से मौजूद कानून को सरल बनाते हुये जिलाधिकारी को ही अपीलीय प्राधिकार बनाया गया है. साथ ही पुलवामा आतंकी हमले में बिहार के शहीद दो सपूतों के आश्रितों को सरकार नौकरी देगी.

इसी साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में भागलपुर के रतन कुमार ठाकुर और बेगूसराय के पिंटू कुमार सिंह शहीद हो गये थे. बिहार सरकार ने अब उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी देने का फैसला लिया है. कहा गया है कि शहीद की पत्नी जिसे चाहेगी, उसे उसकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी दी जाएगी.

जानकारी देते प्रधान सचिव संजय कुमार

माता-पिता को सरकारी संरक्षण

वहीं बेबस माता-पिताओं के लिये सरकार ने कानून को और भी सरल कर दिया है. कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि इस बाबत कानून तो पहले से ही था लेकिन लोगों को न्याय नहीं मिल पाता था. कानून को सरल बनाने के लिए सरकार ने अपीलीय प्राधिकार जिलाधिकारी को बनाया है. यानी अब जिलाधिकारी ही माता-पिता के हितों की रक्षा के लिए फैसले लेंगे. डीएम को ही ऐसे मामलों में कार्रवाई का अधिकार दिया गया है. पहले यह अधिकार परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के पास था. 2007-08 में ही ये कानून बनाया गया थ. उसी को मजबूती प्रदान करने के लिए बिहार कैबिनेट ने यह फैसला लिया है.

PATNA
बिहार सचिवालय

भागलपुर में गंगा नदी पर बनेगा नया पुल

इसके साथ ही वृद्ध जनों को निश्चित समय सीमा के भीतर पेंशन देने के लिए भी कानून बनाये गए हैं. मुख्यमंत्री वृद्धा पेंशन योजना को राइट टू सर्विस एक्ट के तहत लाया गया है. वृद्ध जनों के लिये ₹400 प्रति महीना पेंशन योजना लागू की गई थी. उसके लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी को 21 दिन के भीतर निर्णय लेने की मियाद तय की गई है. भागलपुर गंगा नदी पर विक्रमशिला सेतु के समानांतर फोर लेन पुल के निर्माण को भी स्वीकृति दी गई है. इसके लिए डीपीआर बनाए जाएंगे. पुल निर्माण के लिए 4 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है.

पटना: बिहार कैबिनेट की बैठक में कई बड़े फैसले लिये गये. इनमें ऐसे बेबस माता-पिता को सरकार अब संरक्षण देगी जिन्हें उनके बच्चे घर से निकाल देते हैं या फिर उनकी देखभाल ठीक से नहीं करते. इस संबंध में पहले से मौजूद कानून को सरल बनाते हुये जिलाधिकारी को ही अपीलीय प्राधिकार बनाया गया है. साथ ही पुलवामा आतंकी हमले में बिहार के शहीद दो सपूतों के आश्रितों को सरकार नौकरी देगी.

इसी साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में भागलपुर के रतन कुमार ठाकुर और बेगूसराय के पिंटू कुमार सिंह शहीद हो गये थे. बिहार सरकार ने अब उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी देने का फैसला लिया है. कहा गया है कि शहीद की पत्नी जिसे चाहेगी, उसे उसकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी दी जाएगी.

जानकारी देते प्रधान सचिव संजय कुमार

माता-पिता को सरकारी संरक्षण

वहीं बेबस माता-पिताओं के लिये सरकार ने कानून को और भी सरल कर दिया है. कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि इस बाबत कानून तो पहले से ही था लेकिन लोगों को न्याय नहीं मिल पाता था. कानून को सरल बनाने के लिए सरकार ने अपीलीय प्राधिकार जिलाधिकारी को बनाया है. यानी अब जिलाधिकारी ही माता-पिता के हितों की रक्षा के लिए फैसले लेंगे. डीएम को ही ऐसे मामलों में कार्रवाई का अधिकार दिया गया है. पहले यह अधिकार परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के पास था. 2007-08 में ही ये कानून बनाया गया थ. उसी को मजबूती प्रदान करने के लिए बिहार कैबिनेट ने यह फैसला लिया है.

PATNA
बिहार सचिवालय

भागलपुर में गंगा नदी पर बनेगा नया पुल

इसके साथ ही वृद्ध जनों को निश्चित समय सीमा के भीतर पेंशन देने के लिए भी कानून बनाये गए हैं. मुख्यमंत्री वृद्धा पेंशन योजना को राइट टू सर्विस एक्ट के तहत लाया गया है. वृद्ध जनों के लिये ₹400 प्रति महीना पेंशन योजना लागू की गई थी. उसके लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी को 21 दिन के भीतर निर्णय लेने की मियाद तय की गई है. भागलपुर गंगा नदी पर विक्रमशिला सेतु के समानांतर फोर लेन पुल के निर्माण को भी स्वीकृति दी गई है. इसके लिए डीपीआर बनाए जाएंगे. पुल निर्माण के लिए 4 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है.

Intro:बिहार में ऐसे कई मामले सामने आते हैं जिसमें यह देखा जाता है कि बच्चों ने माता-पिता को घर से निकाल दिया या फिर उन्हें खाना पीना नहीं दे रहे हैं और उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रहे हैं ऐसी स्थिति से बचने के लिए कानून पहले से थे लेकिन उस पर कार्यवाही नहीं हो पाती थी बिहार सरकार ने पहल करते हुए कार्यवाही का अधिकार डीएम को सौंपने का निर्णय लिया है इस बाबत कैबिनेट में प्रस्ताव पारित किया गया है


Body:अब बच्चे माता पिता को प्रताड़ित नहीं कर पाएंगे बच्चों को माता-पिता की सेवा करनी होगी माता पिता के अधिकारों की रक्षा के लिए बिहार कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कार्यवाही का अधिकार डीएम को दिया गया है पहले यह अधिकार परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के पास था


Conclusion:कैबिनेट सचिव संजय कुमार ने बताया कि इस बाबत कानून पहले से था लेकिन लोगों को न्याय नहीं मिल पाता था कानून को सरल बनाने के लिए सरकार ने अपीलीय प्राधिकार जिलाधिकारी को बनाया है अब जिलाधिकारी ही माता पिता के हितों की रक्षा के लिए फैसले ले पाएंगे 2007 8 नए कानून बनी थी उस को मजबूती प्रदान करने के लिए बिहार कैबिनेट ने यह फैसला लिया है
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