नालंदा: बिहार के नालंदा में एक साथ तीन पूर्व और एक वर्तमान थानाध्यक्षों को हटाने का हाईकोर्ट ने आदेश दिया है. जिला के बिहार थाना (Bihar Police Station Nalanda) में पदस्थापित थानाध्यक्ष सहित तीन पूर्व थानाध्यक्षों पर हाईकोर्ट का डंडा चला है. पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर बिहार थाना में पदस्थापित ती पूर्व और एक थानाध्यक्ष को हटाने का निर्देश जारी किया गया है. नगर थाना बिहार के थानाध्यक्ष संतोष कुमार, राजगीर के थानाध्यक्ष दीपक कुमार और इंस्पेक्टर अशोक कुमार और केशव कुमार मजूमदार पर हुई कार्रवाई.
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थानाध्यक्षों पर जमीन मामले में हुई कार्रवाईः यह पूरा मामला जमीन अतिक्रमण से जुड़ा हुआ है. इसको लेकर हाईकोर्ट ने कार्रवाई का आदेश जारी किया है. पूर्व थानाध्यक्ष अशोक कुमार पहले से 10 वर्षों के लिए सस्पेंड है. दूसरे जिले में पदस्थापित केशव मजूमदार, दूसरे नालंदा जिले के राजगीर में तैनात दीपक कुमार और नगर थाना बिहार के वर्तमान थानाध्यक्ष संतोष कुमार शामिल हैं.
नालंदा एसपी को शोकाॅजः एक ओर जहां नालंदा जिले बिहार थाना के तीन पूर्व और एक वर्तमान थानाध्यक्ष पर गाज गिरी है, तो वहीं दूसरी ओर के सोहसराय थाना क्षेत्र में जनवरी में जहरीली शराब से 12 लोगों की मौत मामले में मानवाधिकार आयोग ने एसपी अशोक मिश्रा को शो कॉज नोटिस भेजा है (show cause notice to Nalanda SP Ashok Mishra). आयोग ने नालंदा एसपी से स्पष्टीकरण की मांग की है.
परिजनों को 3-3 लाख रुपये मुआवजा को लेकर किया सवाल : आयोग ने पूछा है कि क्यों नहीं शराब कांड को पुलिस की विफलता मानते हुए, मृतक के परिजनों को 3-3 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए. आयोग ने चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है. बता दें कि सोहसराय थाना की छोटी पहाड़ी, मंसूर नगर, शृंगारहाट में मकर संक्रांति के दिन स्थानीय धंधेबाजों से लोगों ने शराब खरीदकर पी थी. आधी रात के बाद शराब सेवन करने वालों की तबीयत बिगड़ने लगी. अगली सुबह से मौत का सिलसिला शुरू हो गया.
मृतकों के परिजन हैं दाने-दाने को मोहताज : इस जहरीली शराब कांड में सोहसराय थाने में कुल 6 केस दर्ज हुए हैं. जिनमें 8 लोगों पर हत्या की धारा के तहत केस हुआ. जांच के दौरान इसमें 11 अप्राथमिकी अभियुक्त बनाए गए. जिसके साथ हत्यारोपियों की संख्या 19 हो गई. मुख्य आरोपी मैडम सुनीता समेत दर्जनभर की गिरफ्तारी हो चुकी है. धंधेबाजों का मकान सरकारी भूमि में बना था. जिसे जिला प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया. मृतकों के परिजन दाने-दाने को मोहताज हैं. सभी मृतक मजदूर तबके के थे. उनकी कमाई से घर चलता था. घटना के बाद से परिवार जिला प्रशासन से मुआवजा की गुहार लगा रहा है. हालांकि, जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया था कि इसमें मुआवजा का प्रावधान नहीं है.