कटिहार: जिले के सेमापुर इलाके के समेली सिक्कत कामत की है, जहां महिला शांति जायसवाल 'गांवों में सीखें और कमायें' जैसी प्रेरणा देतें हुए ग्रामीण युवतियों को निःशुल्क ब्यूटीशियन का शिक्षा दें रही है. युवतियों को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद कर रही हैं. जिसके लिए शांति ने 'समृद्ध समाज' नाम का संगठन बनाया और इससे करीब साढ़े तीन सौ से अधिक युवतियों को बिना किसी बाहरी या सरकारी मदद के स्वावलंबन का गुर सिखा रही हैं.
निःशुल्क ब्यूटीशियन से युवतियां बन रही है हुनरमंद
बता दें कि यह दुल्हन सजाने की तस्वीर किसी शादी वाले घर की नहीं हैं बल्कि यह दृश्य हैं जिले के सेमापुर इलाके के समेली सिक्कत कामत की, जहाँ शांति जायसवाल ग्रामीण युवतियों के बीच ब्यूटीशियन बनने के गुर सिखा रही हैं, महिला शांति जायसवाल गांवो-गांवो जा कर आसपास की युवतियां जमा करके निःशुल्क ब्यूटीशियन का शिक्षा देती है. किसी को दुल्हन के हेयर ड्रेसिंग करने के तरीके सीख रहीं हैं तो किसी को मेंहदी लगाने के तरीके बता रही है. इनका एक ही मकसद हैं कि सभी युवतियाँ घर की दहलीज लाँघ स्वावलंबन के साथ अपने पैरों में खड़े हो और अपने परिवार का सहारा बने. यह प्रशिक्षण युवतियों को देने के लिए शांति ने 'समृद्ध समाज' नाम का संगठन बनाया है. इस संगठन से करीब साढे तीन सौ से अधिक युवतियां जुड़ी हुई है. युवतियां शांति जायसवाल को दीदी कह पुकारती हैं.
शांति ने युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने की ली है प्रेरणा
इनका कहना है कि अपने और अपने आसपास की महिलाओं की जिन्दगी में कुछ बुनियादी बदलाव करना चाहती थी, जहाँ वो अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को खुद पूरी कर सकें, घर चलाने में हिस्सेदारी पूरी कर सकें, खुद में आत्मविश्वास जगा सकें. यह सभी चाह रख कर युवतियों को हुनरमंद बना रही है. शांति जायसवाल बताती हैं कि लड़कियों को यह प्रशिक्षण देने का एक ही मकसद हैं कि बेटियां अपने पैरों पर खड़े हो, पैसों के लिये किसी का मोहताज नहीं हों. क्योंकि अखबारों, न्यूज चैनलों पर महिला प्रताड़ने की खबरें आये दिन सुर्खियां बनती रहती हैं जिनसे इस सबके पीछे कहीं ना कहीं आर्थिक हालातों से रिश्तों जुड़े होते हैं. इस लिए मैने निःशुल्क ब्यूटीशियन प्रशिक्षण दें कर युवतियों आत्मनिर्भर बनाने का प्रेरणा लिए है. शांति को इस बात की खुशी हैं कि जिस तरह से वह आत्मनिर्भर बनी हैं, इसी तरह से उनके संस्थान से निकलने वाली लड़कियां भी अपनी तकदीर खुद लिखेंगे और अपनी दुनिया खुद बदलें.
दुल्हन बनी कोमल कुमारी बताती हैं कि इस प्रशिक्षण से कई बातें सीखने को मिली हैं और अब हम अपनी छोटी- छोटी जरूरतों को खुद से पूरा कर सकुंगा. वहीं, ममता कुमारी बताती हैं कि खुद में आत्मविश्वास जगा सकी जिससे वह आज काफी खुश हैं क्योंकि इस प्रशिक्षण ने उसे अंदर से मजबूत बना हैं.