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बौद्ध धर्मावलंबियों ने तिब्बती नववर्ष 'लोसर उत्सव' धूमधाम से मनाया, रूस यूक्रेन जंग खत्म होने के लिए की प्रार्थना

गया के बोधगया में तिब्बती मोनेस्ट्री में बौद्ध धर्मावलंबियों ने नववर्ष लोसर उत्सव (New Year Losar Festival) को बौद्ध परंपरा के अनुसार मनाया. इस दौरान बौद्ध धर्मगुरुओं और श्रद्धालुओं द्वारा विशेष पूजा की गई. जिसमें भगवान बुद्ध से कामना की गई कि रूस यूक्रेन के बीच जारी जंग खत्म हो.

नववर्ष लोसर उत्सव बौद्ध धर्मावलंबियों ने धूमधाम से मनाया
नववर्ष लोसर उत्सव बौद्ध धर्मावलंबियों ने धूमधाम से मनाया
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Published : Mar 5, 2022, 6:07 PM IST

गया: बिहार के गया में बौद्ध धर्मावलंबियों ने नववर्ष लोसर उत्सव (Buddhists Celebrate New Year Losar Festival in Gaya) मनाया. बोधगया स्थित तिब्बती मोनेस्ट्री में बौद्ध धर्मावलंबियों ने नववर्ष लोसर उत्सव को बौद्ध परंपरा के अनुसार मनाया. इस दौरान बौद्ध धर्मगुरुओं और श्रद्धालुओं द्वारा विशेष पूजा की गई, जिसमें भगवान बुद्ध से कामना की गई कि यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग खत्म हो. बौद्ध भिक्षुओं ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों और मंत्रोच्चारण के बीच विश्व शांति के लिए प्रार्थना की. उसके बाद बौद्ध भिक्षु और तिब्बत के आम लोगों ने सत्तू उड़ाकर अपनी देवताओं को खुश किया.

ये भी पढ़ें- राजगीर में विश्व शांति स्तूप का 52वां स्थापना दिवस, समारोह में शामिल हुए राज्यपाल फागू चौहान

बोधगया स्थित तिब्बत बौद्ध मोनेस्ट्री के इंचार्ज भंते आमजी लामा ने बताया कि सत्तू उड़ा कर देवताओं को अर्पण करने की परंपरा है. मान्यता है कि देवता इसे पाकर काफी खुश होते हैं और लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. ताकि तमाम लोग सुख, समृद्धि और शांति से जीवन जी सकें. उन्होंने कहा कि तिब्बत में सत्तू को बहुत ही पवित्र उत्पाद माना जाता है. यही वजह है कि सत्तू उड़ाकर तिब्बती परंपरा के अनुसार देवी-देवताओं को खुश किया गया है.

'रूस यूक्रेन जंग नहीं होना चाहिए. कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण लोग पहले ही काफी दुखी थे. अब 2 देशों की लड़ाई में बहुत ज्यादा लोग मारे गए हैं. हमलोग उनकी आत्मा की शांति के लिए भी प्रार्थना किए हैं. भगवान बुद्ध से यह प्रार्थना किए हैं कि दोनों देशों के बीच जारी युद्ध का जल्द से जल्द खात्मा हो. क्योंकि लड़ाई के कारण वहां लोग दहशत में जीवन जी रहे हैं. यह बड़े ही दुख की बात है.' - भंते आमजी लामा, तिब्बत बौद्ध मोनेस्ट्री के इंचार्ज

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ये भी पढ़ें- जानिए कहां मठ में 14 दिनों के बाद 90 वर्षीय बौद्ध भिक्षु का अंतिम संस्कार किया गया

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बोधगया स्थित तिब्बत बौद्ध मोनेस्ट्री के इंचार्ज भंते आमजी लामा ने बताया कि सत्तू उड़ा कर देवताओं को अर्पण करने की परंपरा है. मान्यता है कि देवता इसे पाकर काफी खुश होते हैं और लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. ताकि तमाम लोग सुख, समृद्धि और शांति से जीवन जी सकें. उन्होंने कहा कि तिब्बत में सत्तू को बहुत ही पवित्र उत्पाद माना जाता है. यही वजह है कि सत्तू उड़ाकर तिब्बती परंपरा के अनुसार देवी-देवताओं को खुश किया गया है.

'रूस यूक्रेन जंग नहीं होना चाहिए. कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण लोग पहले ही काफी दुखी थे. अब 2 देशों की लड़ाई में बहुत ज्यादा लोग मारे गए हैं. हमलोग उनकी आत्मा की शांति के लिए भी प्रार्थना किए हैं. भगवान बुद्ध से यह प्रार्थना किए हैं कि दोनों देशों के बीच जारी युद्ध का जल्द से जल्द खात्मा हो. क्योंकि लड़ाई के कारण वहां लोग दहशत में जीवन जी रहे हैं. यह बड़े ही दुख की बात है.' - भंते आमजी लामा, तिब्बत बौद्ध मोनेस्ट्री के इंचार्ज

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