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नेत्रहीन विद्यालय का अनोखा प्रयोग, छात्रों को बनाया प्राचार्य, शिक्षक और हॉस्टल सुपरिटेंडेंट

आज छात्रों में काफी खुशी देखने को मिली. प्राचार्य, शिक्षक और हॉस्टल सुपरिटेंडेंट की जिम्मेदारी मिलने से उन्हें एहसास हुआ कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी की वजह से कितनी परेशानी होती होगी.

छात्र
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Published : Sep 5, 2019, 8:27 PM IST

दरभंगा: जरा सोचिए, जिस विद्यालय में आप पढ़ रहे हों वहां आपको प्रिंसिपल या शिक्षक या वॉर्डन बना दिया जाए, तो आप कितना रोमांचित महसूस करेंगे. शिक्षक दिवस पर शहर के पूअर होम राजकीय नेत्रहीन विद्यालय ने ऐसा ही अनूठा प्रयोग किया गया.

दरभंगा
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
विद्यालय प्रबंधन ने छात्रों के बीच से प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, विभिन्न विषयों के शिक्षक और हॉस्टल सुपरिटेंडेंट का चुनाव किया. एक दिन के लिए उन्हें विद्यालय को चलाने की पूरी जिम्मेदारी सौंप दी गई. जो बच्चे क्लास में पढ़ते हैं, वे क्लास लेते और हॉस्टल संभालते दिखे. इस दौरान बच्चों में काफी उत्साह दिखा.
पेश है रिपोर्ट

बच्चों में जिम्मेदारी का एहसास
प्रिंसिपल बने छात्र सूरज कुमार ने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन की जयंती पर उसे प्रिंसिपल बनकर बेहद खुशी हो रही है. उसे आज जिम्मेदारी का एहसास हो रहा है. उसने सभी विषयों के शिक्षकों का चुनाव किया और उन्हें क्लास लेने के लिए भेजा. उसे एहसास हुआ कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी की वजह से कितनी परेशानी होती होगी.

दरभंगा
शिक्षक बन बच्चों को पढ़ाता छात्र

संगीत शिक्षक बने छात्र सचिन कुमार ने कहा कि उसने बच्चों को एक प्रार्थना 'इतनी शक्ति हमें देना दाता...' सिखाई. उसे शिक्षक बनकर बहुत खुशी हो रही है.

'आज का दिन जीवन भर याद रखेंगे बच्चे'
विद्यालय के प्रधानाचार्य राकेश किरण झा ने कहा कि शिक्षक दिवस पर डॉ. राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण तो सभी करते हैं, लेकिन आज हमने यहां के छात्रों को प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, शिक्षक, हॉस्टल सुपरिटेंडेंट आदि की जिम्मेदारी भी दी है. बच्चे इसे बेहतर ढंग से निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा करने का उद्देश्य छात्रों में अभी से ही शिक्षण और प्रबंधन के गुण विकसित करना है. इससे जब ये छात्र यहां से जाएंगे, तो आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहेंगे. ये छात्र आज का दिन जीवन भर याद रखेंगे.

दरभंगा
ब्रेल लिपि का प्रयोग कर पढ़ाता छात्र

दरभंगा: जरा सोचिए, जिस विद्यालय में आप पढ़ रहे हों वहां आपको प्रिंसिपल या शिक्षक या वॉर्डन बना दिया जाए, तो आप कितना रोमांचित महसूस करेंगे. शिक्षक दिवस पर शहर के पूअर होम राजकीय नेत्रहीन विद्यालय ने ऐसा ही अनूठा प्रयोग किया गया.

दरभंगा
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
विद्यालय प्रबंधन ने छात्रों के बीच से प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, विभिन्न विषयों के शिक्षक और हॉस्टल सुपरिटेंडेंट का चुनाव किया. एक दिन के लिए उन्हें विद्यालय को चलाने की पूरी जिम्मेदारी सौंप दी गई. जो बच्चे क्लास में पढ़ते हैं, वे क्लास लेते और हॉस्टल संभालते दिखे. इस दौरान बच्चों में काफी उत्साह दिखा.
पेश है रिपोर्ट

बच्चों में जिम्मेदारी का एहसास
प्रिंसिपल बने छात्र सूरज कुमार ने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन की जयंती पर उसे प्रिंसिपल बनकर बेहद खुशी हो रही है. उसे आज जिम्मेदारी का एहसास हो रहा है. उसने सभी विषयों के शिक्षकों का चुनाव किया और उन्हें क्लास लेने के लिए भेजा. उसे एहसास हुआ कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी की वजह से कितनी परेशानी होती होगी.

दरभंगा
शिक्षक बन बच्चों को पढ़ाता छात्र

संगीत शिक्षक बने छात्र सचिन कुमार ने कहा कि उसने बच्चों को एक प्रार्थना 'इतनी शक्ति हमें देना दाता...' सिखाई. उसे शिक्षक बनकर बहुत खुशी हो रही है.

'आज का दिन जीवन भर याद रखेंगे बच्चे'
विद्यालय के प्रधानाचार्य राकेश किरण झा ने कहा कि शिक्षक दिवस पर डॉ. राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण तो सभी करते हैं, लेकिन आज हमने यहां के छात्रों को प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, शिक्षक, हॉस्टल सुपरिटेंडेंट आदि की जिम्मेदारी भी दी है. बच्चे इसे बेहतर ढंग से निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा करने का उद्देश्य छात्रों में अभी से ही शिक्षण और प्रबंधन के गुण विकसित करना है. इससे जब ये छात्र यहां से जाएंगे, तो आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहेंगे. ये छात्र आज का दिन जीवन भर याद रखेंगे.

दरभंगा
ब्रेल लिपि का प्रयोग कर पढ़ाता छात्र
Intro:दरभंगा। जिस विद्यालय की किसी कक्षा में आप पढ़ रहे हों, उसी दौरान आपको वहां का प्रिंसिपल, शिक्षक या वार्डन बना दिया जाए तो आप कितना रोमांचित महसूस करेंगे। शिक्षक दिवस पर शहर के पूअर होम राजकीय नेत्रहीन विद्यालय ने यह अनूठा प्रयोग किया। विद्यालय प्रबंधन ने छात्रों के बीच से प्रिंसिपल, वाइज प्रिंसिपल, विषयों के शिक्षक और हॉस्टल सुपएरिंटेंडेंट का चुनाव किया और एक दिन के लिये उन्हें विद्यालय को चलाने की पूरी जिम्मेवारी सौंप दी। जो बच्चे क्लास में पढ़ते हैं वे क्लास लेते और हॉस्टल संभालते दिखे। बच्चे काफी उत्साहित थे।


Body:प्रिंसिपल बने छात्र सूरज कुमार ने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन की जयंती पर उसे प्रिंसिपल बनकर बेहद खुशी हो रही है। उसे जिम्मेवारी का एहसास हो रहा है। उसने आज सभी विषयों के शिक्षकों का चुनाव किया और उन्हें क्लास लेने के लिये भेजा है। उसे एहसास हो रहा है कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी की वजह से कितनी परेशानी होती होगी।

वहीं, संगीत शिक्षक बने छात्र सचिन कुमार ने कहा कि उसने बच्चों को एक प्रार्थना 'इतनी शक्ति हमे देना दाता' सिखाई है। उसे शिक्षक बनकर बहुत खुशी हो रही है।


Conclusion:विद्यालय के प्रधानाचार्य राकेश किरण झा ने कहा कि शिक्षक दिवस पर डॉ. राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण तो सभी करते हैं, हमने भी किया। लेकिन आज हमने यहां के छात्रों को ही प्रिंसिपल, वाइज प्रिंसिपल, शिक्षक, हॉस्टल सुपरिंटेंडेंट आदि की जिम्मेवारी दे दी है। बच्चे इसे बेहतर ढंग से निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करने का उनका उद्देश्य छात्रों में अभी से शिक्षण और प्रबंधन के गुण विकसित करना है ताकि जब ये छात्र यहां से जाएं तो आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहें। ये छात्र आज का दिन जीवन भर याद रखेंगे।

बाइट 1- सूरज कुमार, प्रिंसिपल बना छात्र
बाइट 2- सचिन कुमार, संगीत शिक्षक बना छात्र
बाइट 3- राकेश किरण झा, प्रिंसिपल, पूअर होम राजकीय नेत्रहीन विद्यालय

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विजय कुमार श्रीवास्तव
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