दरभंगा: बिहार के दरभंगा जिले के ललित नारायण मिथिला विश्विद्यालय (Lalit Narayan Mithila University Darbhanga) और डेटा सेंटर की लापरवाही की वजह से 85 हजार छात्रों को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट (Patna HighCourt ) के एक आदेश के बाद ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातक तृतीय वर्ष और स्नातकोत्तर के करीब 85 हजार छात्रों के करीब 3 महीने से लटके परीक्षा परिणाम के प्रकाशन का रास्ता साफ हो गया है.
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कोर्ट के आदेश के बाद विश्वविद्यालय ने डाटा सेंटर में बंद ताले को खोल दिया और निजी डेटा एजेंसी को काम करने का निर्देश दिया. अब जल्द ही परीक्षा फल प्रकाशन (LNMU Pending Result Of Will Published Soon) होगा. दरअसल, निजी डाटा कंपनी और विश्वविद्यालय के बीच विवाद हो गया था और यह मामला पटना हाईकोर्ट में चला गया था, जिसकी वजह से छात्रों का रिजल्ट रुका हुआ था. निजी डाटा एजेंसी के प्रभारी सत्यम कुमार ने बताया कि पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें डाटा सेंटर में फिर से काम करने की अनुमति मिल गई है.
'विश्वविद्यालय ने भी अपनी तरफ से एक पत्र दिया है जिसमें उनसे छात्र हित को देखते हुए काम पर लौटने का आग्रह किया गया है. साथ ही उनके बकाए के भुगतान का भी आश्वासन दिया गया है. छात्र हित को देखते हुए वे काम पर वापस लौट आए हैं. जल्द ही स्नातक तृतीय वर्ष का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया जाएगा.' :- सत्यम कुमार, प्रभारी निजी डाटा एजेंसी.
वहीं, पूर्व विधान पार्षद और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य प्रोफेसर दिलीप चौधरी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद विश्वविद्यालय और डाटा सेंटर के बीच विवाद का निपटारा हो गया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अब छात्रों का रिजल्ट घोषित हो जाएगा और निजी डाटा एजेंसी का जो बकाया है उसका भुगतान विश्वविद्यालय कर देगा.
बता दें कि, करीब 3 महीने पहले विश्वविद्यालय ने अपने ही डाटा सेंटर में ताला जड़ दिया था और वहां काम कर रही निजी डाटा एनालिसिस एजेंसी को बाहर का रास्ता दिखा दिया था. विश्वविद्यालय का कहना था कि नए टेंडर के तहत किसी दूसरी डाटा एजेंसी को काम दिया गया है लेकिन पहली एजेंसी काम छोड़ने को तैयार नहीं है.
वहीं, इसके खिलाफ निजी डाटा एजेंसी ने पटना हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसकी वजह से करीब 85 हजार छात्रों का रिजल्ट रुक गया था. इसको लेकर विभिन्न छात्र संगठनों ने लगातार विश्वविद्यालय में आंदोलन किया था. उधर, इस मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय की सिंडिकेट की बैठक में 6 सदस्यों की एक टीम बनाई गई थी, जिसे निजी डाटा एजेंसी से बात कर विवाद सुलझाना था. इसके एक सदस्य पूर्व विधान पार्षद प्रोफेसर दिलीप चौधरी भी थे. उधर छात्र हित को देखते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश पारित किया जिससे छात्रों को राहत मिली है.
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