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'संविधान को नष्ट कर रही है देश की वर्तमान सरकार' - CAA

दरभंगा में पिछले 20 जनवरी से सीएए, एनआरसी और एनआरपी के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना जा रही है. इस धरना प्रदर्शन में जेएनयू के कई पूर्व छात्र शामिल होने पहुंचे.

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Published : Feb 16, 2020, 9:48 PM IST

दरभंगा: जिले के बेनीपुर प्रखंड अंतर्गत नवटोलिया बालू चौक पर 20 जनवरी से सीएए, एनआरसी और एनआरपी के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना जारी है. इस प्रदर्शन में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी, वर्तमान छात्र संघ महासचिव सतीश चंद्र यादव और जेएनयू के पूर्व कनवेनर मो कासिम शामिल होने पहुंचे.

देश में गुस्से का माहौल
यहां उनका मिथिला के परंपरा के अनुसार पाग-चादर और मखान के माले से स्वागत किया गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि काले कानून के खिलाफ पूरे देश में गुस्सा का माहौल है. सरकार अपनी ताकत के बल पर इसे कुचल देना चाहती है. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि ये सरकार संविधान को नष्ट करना चाहती है.

Darbhanga
20 जनवरी से जारी है अनिश्चितकालीन धरना

20 जनवरी से जारी है धरना
अनिश्चितकालीन धरने में शामिल होने पहुंचे स्थानीय अब्दुल मालिक ने कहा कि पिछले 20 जनवरी से हम लोग लड़ाई लड़ रहे हैं. ये लड़ाई सीएए, एनआरसी और एनआरपी के खिलाफ ही नहीं बल्कि दलितों, पिछड़ों और गरीबों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ भी है. सरकार की यह नीति देश की संपत्ति को चंद पूंजीपतियों और एक विशेष समुदाय के हाथों में बेचने की साजिश है.

दरभंगा: जिले के बेनीपुर प्रखंड अंतर्गत नवटोलिया बालू चौक पर 20 जनवरी से सीएए, एनआरसी और एनआरपी के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना जारी है. इस प्रदर्शन में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी, वर्तमान छात्र संघ महासचिव सतीश चंद्र यादव और जेएनयू के पूर्व कनवेनर मो कासिम शामिल होने पहुंचे.

देश में गुस्से का माहौल
यहां उनका मिथिला के परंपरा के अनुसार पाग-चादर और मखान के माले से स्वागत किया गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि काले कानून के खिलाफ पूरे देश में गुस्सा का माहौल है. सरकार अपनी ताकत के बल पर इसे कुचल देना चाहती है. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि ये सरकार संविधान को नष्ट करना चाहती है.

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20 जनवरी से जारी है अनिश्चितकालीन धरना

20 जनवरी से जारी है धरना
अनिश्चितकालीन धरने में शामिल होने पहुंचे स्थानीय अब्दुल मालिक ने कहा कि पिछले 20 जनवरी से हम लोग लड़ाई लड़ रहे हैं. ये लड़ाई सीएए, एनआरसी और एनआरपी के खिलाफ ही नहीं बल्कि दलितों, पिछड़ों और गरीबों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ भी है. सरकार की यह नीति देश की संपत्ति को चंद पूंजीपतियों और एक विशेष समुदाय के हाथों में बेचने की साजिश है.

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