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कौन है साइकिल गर्ल ज्योति कुमारी, जिसके सिर से उठा पिता का साया, पढ़ें... - cycle girl jyoti kumari biography

साइकिल गर्ल ज्योति के पिता मोहन पासवान की मृत्यु हो गयी है. पिता ने जो सपने संजोए थे, वह पूरे नहीं हो पाए. आइये आपको बताते हैं ज्योंति से साइकिल गर्ल बनने की कहानी...

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Published : May 31, 2021, 5:57 PM IST

दरभंगा: उस बेटी के सिर से पिता का साया उठ गया, जिसके लिए उसने 1200 से 1300 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय कर दी. उस बेटी ज्योति की 'दुनियां' ही उजड़ गयी जिसके लिए उसने अपनी जिंदगी को दांव पर लगा दिया था.

ये भी पढ़ें- दरभंगाः साइकिल गर्ल ज्योति के पिता मोहन पासवान का हार्ट अटैक से निधन

जी हां, दरभंगा की बेटी साइकिल गर्ल ज्योति (Cycle Girl Jyoti) के पिता मोहन पासवान का सोमवार को निधन हो गया. हार्ट अटैक के कारण उनकी मृत्यु हुई है. उनके निधन के बाद परिजनों में शोक की लहर है. आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि साइकिल गर्ल ज्योति कौन है (Cycle Girl Jyoti Kumari Biography)?

ये भी पढ़ें- दरभंगा की 'साइकिल गर्ल' ज्योति को मिला सम्मान, 'नशा मुक्ति' अभियान की बनाई गईं ब्रांड एम्बेसडर

2020 में लाखों प्रवासियों ने किया था घर का रुख

ऐसे में हम आपको बताते हैं कि ज्योति आखिर साइकिल गर्ल बनी कैसे? कैसे वह दुनियाभर में मशहूर हो गयी. ये कहानी पहले लॉकडाउन (2020) की है. दरअसल कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों की रोजी चली गई थी. कमाई नहीं होने के चलते स्थिति भूखे मरने की हो गई थी. ऐसे मुश्किल समय में लाखों प्रवासी मजदूरों ने घर का रुख किया था. ट्रक, रिक्शा, ठेला या साइकिल जिसे जो वाहन मिला वह उसके सहारे घर की ओर चल पड़ा. किसे कोई वाहन न मिला वह पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़ा.

ये भी पढ़ें- प्रधानमंत्री मोदी से बात नहीं होने का रहेगा मलाल- वर्चुअल संवाद के बाद बोली ज्योति

आ गई थी भूखे मरने की नौबत

घर लौटने को मजबूर ऐसे ही लाखों मजदूरों में दरभंगा की ज्योति कुमारी और उसके पिता मोहन पासवान भी शामिल थे. मोहन हरियाणा के गुरुग्राम में ई-रिक्शा चलाते थे, लेकिन एक हादसे में पांव में चोट लगने के बाद वह घर बैठने को मजबूर हो गए थे. ऐसे ही समय में कोरोना महामारी ने दस्तक दी. मोहन पासवान और उनकी देखभाल के लिए साथ रहने वाली बेटी ज्योति को खाने के लाले पड़ गए. इन्हीं मुश्किल परिस्थितियों में ज्योति ने अपने पिता मोहन पासवान को एक पुरानी साइकिल पर बिठाकर दरभंगा लाने का निश्चय किया. ज्योति अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर करीब 12-13 सौ किलोमीटर दूर दरभंगा ले आई.

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पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से दरभंगा लाती ज्योति कुमारी (फाइल फोटो)

ये भी पढ़ें- 'साइकिल गर्ल' ज्योति का परिवार प्रताड़ना का शिकार, फिल्म निर्माता और उनकी टीम पर दर्ज करवायी FIR

ईटीवी भारत दुनिया के सामने लाया था ज्योति के साहस की कहानी

साइकिल गर्ल ज्योति के अदम्य साहस की कहानी ईटीवी भारत दुनिया के सामने लेकर आया था. ज्योति के साहस की तारीफ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने भी की थी. इसके बाद ज्योति पूरी दुनिया में मशहूर हो गई थी. देश-विदेश के लोगों ने ज्योति और उसके परिवार की पैसों से खूब मदद की थी. इससे ज्योति और उसके परिवार की जिंदगी बदल गई.

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इवांका ट्रंप का ट्वीट.

ये भी पढ़ें- फिल्म मेकर विनोद कापड़ी ने साइकिल गर्ल ज्योति के पिता को दी चेतावनी

'पिता का कष्ट मुझसे देखा नहीं जा रहा था'

"बड़े कष्ट से मैं अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर दरभंगा लाई थी. मेरे पिता के पैर में चोट लग गई थी. इस वजह से वह ई-रिक्शा नहीं चला पा रहे थे. हमलोगों को खाने के भी लाले पड़ गए थे. ऐसे ही समय में कोरोना महामारी का भीषण दौर आया और लॉकडाउन लग गया. मकान मालिक ने हमें घर से निकाल दिया था. हमारे पास दरभंगा लौटने के सिवा कोई चारा नहीं था."- साइकिल गर्ल ज्योति

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साइकिल गर्ल ज्योति कुमारी(फाइल फोटो)

बेटी को पढ़ाकर भविष्य संवारना चाह रहे थे मोहन पासवान

ज्योति के पिता मोहन पासवान ने कहा था, ''बेटी ने जब मुझे साइकिल पर बिठाकर घर ले चलने को कहा था तो मैंने इनकार कर दिया था. मुझे विश्वास नहीं था कि वह मुझे साइकिल पर बैठाकर दरभंगा जा पाएगी, लेकिन ज्योति ने हार नहीं मानी. जब ज्योति के साहस की कहानी चर्चा में आई तो लोगों ने पैसे से खूब मदद की. मैं अपनी बेटी को पढ़ाना चाहता हूं ताकि वह अपना भविष्य संवार सके."

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ज्योति के पिता मोहन पासवान (फाइल फोटो)

दरभंगा: उस बेटी के सिर से पिता का साया उठ गया, जिसके लिए उसने 1200 से 1300 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय कर दी. उस बेटी ज्योति की 'दुनियां' ही उजड़ गयी जिसके लिए उसने अपनी जिंदगी को दांव पर लगा दिया था.

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जी हां, दरभंगा की बेटी साइकिल गर्ल ज्योति (Cycle Girl Jyoti) के पिता मोहन पासवान का सोमवार को निधन हो गया. हार्ट अटैक के कारण उनकी मृत्यु हुई है. उनके निधन के बाद परिजनों में शोक की लहर है. आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि साइकिल गर्ल ज्योति कौन है (Cycle Girl Jyoti Kumari Biography)?

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2020 में लाखों प्रवासियों ने किया था घर का रुख

ऐसे में हम आपको बताते हैं कि ज्योति आखिर साइकिल गर्ल बनी कैसे? कैसे वह दुनियाभर में मशहूर हो गयी. ये कहानी पहले लॉकडाउन (2020) की है. दरअसल कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों की रोजी चली गई थी. कमाई नहीं होने के चलते स्थिति भूखे मरने की हो गई थी. ऐसे मुश्किल समय में लाखों प्रवासी मजदूरों ने घर का रुख किया था. ट्रक, रिक्शा, ठेला या साइकिल जिसे जो वाहन मिला वह उसके सहारे घर की ओर चल पड़ा. किसे कोई वाहन न मिला वह पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़ा.

ये भी पढ़ें- प्रधानमंत्री मोदी से बात नहीं होने का रहेगा मलाल- वर्चुअल संवाद के बाद बोली ज्योति

आ गई थी भूखे मरने की नौबत

घर लौटने को मजबूर ऐसे ही लाखों मजदूरों में दरभंगा की ज्योति कुमारी और उसके पिता मोहन पासवान भी शामिल थे. मोहन हरियाणा के गुरुग्राम में ई-रिक्शा चलाते थे, लेकिन एक हादसे में पांव में चोट लगने के बाद वह घर बैठने को मजबूर हो गए थे. ऐसे ही समय में कोरोना महामारी ने दस्तक दी. मोहन पासवान और उनकी देखभाल के लिए साथ रहने वाली बेटी ज्योति को खाने के लाले पड़ गए. इन्हीं मुश्किल परिस्थितियों में ज्योति ने अपने पिता मोहन पासवान को एक पुरानी साइकिल पर बिठाकर दरभंगा लाने का निश्चय किया. ज्योति अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर करीब 12-13 सौ किलोमीटर दूर दरभंगा ले आई.

cycle girl jyoti kumari
पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से दरभंगा लाती ज्योति कुमारी (फाइल फोटो)

ये भी पढ़ें- 'साइकिल गर्ल' ज्योति का परिवार प्रताड़ना का शिकार, फिल्म निर्माता और उनकी टीम पर दर्ज करवायी FIR

ईटीवी भारत दुनिया के सामने लाया था ज्योति के साहस की कहानी

साइकिल गर्ल ज्योति के अदम्य साहस की कहानी ईटीवी भारत दुनिया के सामने लेकर आया था. ज्योति के साहस की तारीफ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने भी की थी. इसके बाद ज्योति पूरी दुनिया में मशहूर हो गई थी. देश-विदेश के लोगों ने ज्योति और उसके परिवार की पैसों से खूब मदद की थी. इससे ज्योति और उसके परिवार की जिंदगी बदल गई.

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इवांका ट्रंप का ट्वीट.

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'पिता का कष्ट मुझसे देखा नहीं जा रहा था'

"बड़े कष्ट से मैं अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर दरभंगा लाई थी. मेरे पिता के पैर में चोट लग गई थी. इस वजह से वह ई-रिक्शा नहीं चला पा रहे थे. हमलोगों को खाने के भी लाले पड़ गए थे. ऐसे ही समय में कोरोना महामारी का भीषण दौर आया और लॉकडाउन लग गया. मकान मालिक ने हमें घर से निकाल दिया था. हमारे पास दरभंगा लौटने के सिवा कोई चारा नहीं था."- साइकिल गर्ल ज्योति

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साइकिल गर्ल ज्योति कुमारी(फाइल फोटो)

बेटी को पढ़ाकर भविष्य संवारना चाह रहे थे मोहन पासवान

ज्योति के पिता मोहन पासवान ने कहा था, ''बेटी ने जब मुझे साइकिल पर बिठाकर घर ले चलने को कहा था तो मैंने इनकार कर दिया था. मुझे विश्वास नहीं था कि वह मुझे साइकिल पर बैठाकर दरभंगा जा पाएगी, लेकिन ज्योति ने हार नहीं मानी. जब ज्योति के साहस की कहानी चर्चा में आई तो लोगों ने पैसे से खूब मदद की. मैं अपनी बेटी को पढ़ाना चाहता हूं ताकि वह अपना भविष्य संवार सके."

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ज्योति के पिता मोहन पासवान (फाइल फोटो)
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