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जेपी समेत समाजवादी हस्तियों को सिलेबस से हटाने का विरोध, SFI ने कहा-'हो रहा शैक्षणिक भगवाकरण'

जयप्रकाश विश्वविद्यालय (Jai Prakash University) के सिलेबस से जयप्रकाश नारायण समेत समाजवादी हस्तियों के नाम हटाने का एसएफआई (SFI) ने विरोध किया. एसएफआई के प्रतिनिधिमंडल ने कुलसचिव से मिलकर सभी को फिर से पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की.

सारण
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Published : Sep 1, 2021, 6:38 PM IST

सारण: बिहार के छपरा (Chapra) में एसएफआई (SFI) के प्रतिनिधिमंडल ने राज्याध्यक्ष शैलेन्द्र यादव के नेतृत्व में जयप्रकाश विश्वविद्यालय (Jai Prakash University) के कुल सचिव डॉ. रवि प्रकाश बबलू से मुलाकात की. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने कुलसचिव से मांग करते हुए कहा कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय (छपरा) में राजनीति शास्त्र के पीजी सिलेबस से लोकनायक जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया, एम एन राय, राममोहन राय, लोकमान्य बालगंगाधर को फिर से पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए.

ये भी पढ़ें- सिलेबस से जेपी और लोहिया आउट, लालू बोले- बर्दाश्त से बाहर, जगदानंद ने RSS को बता दिया तालिबानी

उन्होंने कहा कि इन लोकनायकों को पाठ्यक्रम (Syllabus) से बाहर करने की घटना से नीतीश सरकार (Nitish Government) के दिमागी दिवालियापन का पता तो चलता ही है, साथ ही ये भी स्पष्ट होता जा रहा है कि इस सरकार में बैठी मनुवादी विचारधारा धीरे-धीरे अपने पैर पसार रही है.

जयप्रकाश नारायण ना केवल 1974-77 के सम्पूर्ण क्रांति के नायक थे, बल्कि उनकी विचारधारा मनुवाद से मेल भी नहीं खाती थी. जेपी की विचारधारात्मक पृष्ठभूमि समाजवादी रही है, ये जग जाहिर है. यही उनके गले की हड्डी बन गई है. यही नहीं राममनोहर लोहिया, एम एन राय, महान स्वतन्त्रता सेनानी और समाज सुधारक लोकमान्य बालगंगाधर तिलक को भी सिलेबस से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. सिलेबस में इनकी जगह आरएसएस (RSS) के पंडित दीनदयाल उपाध्याय का महिमामंडन किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- सिलेबस से जेपी और लोहिया को आउट करने से जगदानंद सिंह नाराज, कहा- तालिबान की तरह काम कर रहा है RSS

एसएफआई ने कहा कि जेपी, लोहिया, तिलक और एमएन राय को सिलेबस से बाहर करने पर विरोध होना चाहिये. ये सभी सामाजिक समरसता, कौमी एकजुटता और प्रगतिशीलता के प्रबल पैरोकार थे. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने पूछा कि क्या आरएसएस उपरोक्त बातों में विश्वास करता है. ये जलता हुआ सवाल है जो आज ना केवल छात्रों के समक्ष, बल्कि समाज के बुद्धिजीवियों और प्रगतिशील राजनैतिक दलों के सामने भी है. प्रतिनिधिमंडल में एसएफआई के राज्याध्यक्ष शैलेन्द्र यादव के अलावा सारण जिला संयुक्त सचिव देवेन्द्र कुमार, मनोज कुमार और पंकज कुमार भी शामिल थे.

सारण: बिहार के छपरा (Chapra) में एसएफआई (SFI) के प्रतिनिधिमंडल ने राज्याध्यक्ष शैलेन्द्र यादव के नेतृत्व में जयप्रकाश विश्वविद्यालय (Jai Prakash University) के कुल सचिव डॉ. रवि प्रकाश बबलू से मुलाकात की. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने कुलसचिव से मांग करते हुए कहा कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय (छपरा) में राजनीति शास्त्र के पीजी सिलेबस से लोकनायक जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया, एम एन राय, राममोहन राय, लोकमान्य बालगंगाधर को फिर से पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए.

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उन्होंने कहा कि इन लोकनायकों को पाठ्यक्रम (Syllabus) से बाहर करने की घटना से नीतीश सरकार (Nitish Government) के दिमागी दिवालियापन का पता तो चलता ही है, साथ ही ये भी स्पष्ट होता जा रहा है कि इस सरकार में बैठी मनुवादी विचारधारा धीरे-धीरे अपने पैर पसार रही है.

जयप्रकाश नारायण ना केवल 1974-77 के सम्पूर्ण क्रांति के नायक थे, बल्कि उनकी विचारधारा मनुवाद से मेल भी नहीं खाती थी. जेपी की विचारधारात्मक पृष्ठभूमि समाजवादी रही है, ये जग जाहिर है. यही उनके गले की हड्डी बन गई है. यही नहीं राममनोहर लोहिया, एम एन राय, महान स्वतन्त्रता सेनानी और समाज सुधारक लोकमान्य बालगंगाधर तिलक को भी सिलेबस से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. सिलेबस में इनकी जगह आरएसएस (RSS) के पंडित दीनदयाल उपाध्याय का महिमामंडन किया जाएगा.

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एसएफआई ने कहा कि जेपी, लोहिया, तिलक और एमएन राय को सिलेबस से बाहर करने पर विरोध होना चाहिये. ये सभी सामाजिक समरसता, कौमी एकजुटता और प्रगतिशीलता के प्रबल पैरोकार थे. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने पूछा कि क्या आरएसएस उपरोक्त बातों में विश्वास करता है. ये जलता हुआ सवाल है जो आज ना केवल छात्रों के समक्ष, बल्कि समाज के बुद्धिजीवियों और प्रगतिशील राजनैतिक दलों के सामने भी है. प्रतिनिधिमंडल में एसएफआई के राज्याध्यक्ष शैलेन्द्र यादव के अलावा सारण जिला संयुक्त सचिव देवेन्द्र कुमार, मनोज कुमार और पंकज कुमार भी शामिल थे.

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