भागलपुर: पूरे भारत के इतिहास में कला संस्कृति और सभ्यता को लेकर भागलपुर की अपनी एक अलग पहचान रही है. आठवीं सदी के दौरान का विक्रमशिला प्राचीन भारत में शिक्षा का विकास केंद्र के रूप में जाना जाता था. विशेषताओं से भरा भागलपुर का संग्रहालय इन दिनों सरकारी उदासीनता की मार झेल रहा है. इस धरोहर को संजोए रखने के लिए प्रशासन उदासीन रवैया अपना रही है.
भागलपुर संग्रहालय में बहुत प्राचीन कलाकृतियां रखी हुई हैं. जो अपने आप में बेहद अद्वितीय है. अंग प्रदेश की अपनी विरासत मंजूषा चित्रकथा से जुड़ी हुई कई ऐतिहासिक वस्तुएं भागलपुर संग्रहालय में संरक्षित की गई है. लेकिन पर्यटकों के नहीं आने की वजह से धीरे धीरे भागलपुर संग्रहालय कि अपनी विशेषता और महत्ता कम होने लगी है. भागलपुर संग्रहालय में रखें अवशेषों को देख कर या भली-भांति अंदाजा लगाया जा सकता है की प्राचीन काल के दौरान भागलपुर की संस्कृति और सभ्यता कितनी विकसित रही होगी.
सरकार की अनदेखी
इतिहासकार शिव शंकर सिंह पारिजात कहते हैं भागलपुर संग्रहालय की मौजूदा स्थिति देख कर काफी तकलीफ होती है की सरकार की उदासीनता हमारे सभ्यता और संस्कृति की विरासत को लेकर क्यों है. यह काफी चिंता की बात है और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. म्यूजियम के जो अधिकारी हैं उनकी नियुक्ति नियमित तौर पर की जाए और अपनी सभ्यता विरासत और संस्कृति से जुड़ी हुई चीजों को दूसरों को जानने का अवसर देना चाहिए. इसके लिए कॉन्सर्ट का आयोजन करना चाहिए ताकि लोग इसके बारे में जान सकें.