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अद्भुत कलाकृतियों को संजोए है भागलपुर संग्रहालय, अनदेखी का हो रहा शिकार

अंग प्रदेश की अपनी विरासत मंजूषा चित्रकथा से जुड़ी हुई कई ऐतिहासिक वस्तुएं भागलपुर संग्रहालय में संरक्षित की गई है. लेकिन पर्यटकों के नहीं आने की वजह से धीरे-धीरे संग्रहालय कि महत्ता कम होने लगी है.

भागलपुर संग्रहालय
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Published : May 9, 2019, 11:46 PM IST

भागलपुर: पूरे भारत के इतिहास में कला संस्कृति और सभ्यता को लेकर भागलपुर की अपनी एक अलग पहचान रही है. आठवीं सदी के दौरान का विक्रमशिला प्राचीन भारत में शिक्षा का विकास केंद्र के रूप में जाना जाता था. विशेषताओं से भरा भागलपुर का संग्रहालय इन दिनों सरकारी उदासीनता की मार झेल रहा है. इस धरोहर को संजोए रखने के लिए प्रशासन उदासीन रवैया अपना रही है.

भागलपुर संग्रहालय में बहुत प्राचीन कलाकृतियां रखी हुई हैं. जो अपने आप में बेहद अद्वितीय है. अंग प्रदेश की अपनी विरासत मंजूषा चित्रकथा से जुड़ी हुई कई ऐतिहासिक वस्तुएं भागलपुर संग्रहालय में संरक्षित की गई है. लेकिन पर्यटकों के नहीं आने की वजह से धीरे धीरे भागलपुर संग्रहालय कि अपनी विशेषता और महत्ता कम होने लगी है. भागलपुर संग्रहालय में रखें अवशेषों को देख कर या भली-भांति अंदाजा लगाया जा सकता है की प्राचीन काल के दौरान भागलपुर की संस्कृति और सभ्यता कितनी विकसित रही होगी.

भागलपुर संग्रहालय

सरकार की अनदेखी
इतिहासकार शिव शंकर सिंह पारिजात कहते हैं भागलपुर संग्रहालय की मौजूदा स्थिति देख कर काफी तकलीफ होती है की सरकार की उदासीनता हमारे सभ्यता और संस्कृति की विरासत को लेकर क्यों है. यह काफी चिंता की बात है और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. म्यूजियम के जो अधिकारी हैं उनकी नियुक्ति नियमित तौर पर की जाए और अपनी सभ्यता विरासत और संस्कृति से जुड़ी हुई चीजों को दूसरों को जानने का अवसर देना चाहिए. इसके लिए कॉन्सर्ट का आयोजन करना चाहिए ताकि लोग इसके बारे में जान सकें.

भागलपुर: पूरे भारत के इतिहास में कला संस्कृति और सभ्यता को लेकर भागलपुर की अपनी एक अलग पहचान रही है. आठवीं सदी के दौरान का विक्रमशिला प्राचीन भारत में शिक्षा का विकास केंद्र के रूप में जाना जाता था. विशेषताओं से भरा भागलपुर का संग्रहालय इन दिनों सरकारी उदासीनता की मार झेल रहा है. इस धरोहर को संजोए रखने के लिए प्रशासन उदासीन रवैया अपना रही है.

भागलपुर संग्रहालय में बहुत प्राचीन कलाकृतियां रखी हुई हैं. जो अपने आप में बेहद अद्वितीय है. अंग प्रदेश की अपनी विरासत मंजूषा चित्रकथा से जुड़ी हुई कई ऐतिहासिक वस्तुएं भागलपुर संग्रहालय में संरक्षित की गई है. लेकिन पर्यटकों के नहीं आने की वजह से धीरे धीरे भागलपुर संग्रहालय कि अपनी विशेषता और महत्ता कम होने लगी है. भागलपुर संग्रहालय में रखें अवशेषों को देख कर या भली-भांति अंदाजा लगाया जा सकता है की प्राचीन काल के दौरान भागलपुर की संस्कृति और सभ्यता कितनी विकसित रही होगी.

भागलपुर संग्रहालय

सरकार की अनदेखी
इतिहासकार शिव शंकर सिंह पारिजात कहते हैं भागलपुर संग्रहालय की मौजूदा स्थिति देख कर काफी तकलीफ होती है की सरकार की उदासीनता हमारे सभ्यता और संस्कृति की विरासत को लेकर क्यों है. यह काफी चिंता की बात है और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. म्यूजियम के जो अधिकारी हैं उनकी नियुक्ति नियमित तौर पर की जाए और अपनी सभ्यता विरासत और संस्कृति से जुड़ी हुई चीजों को दूसरों को जानने का अवसर देना चाहिए. इसके लिए कॉन्सर्ट का आयोजन करना चाहिए ताकि लोग इसके बारे में जान सकें.

Intro:DEKHREKH AUR VIBHAGIYA UDASINATA KE AABHAW KA DANSH JHEL RAHA BHAGALPUR SNGRAHALAY
पूरे भारत के इतिहास में कला संस्कृति एवं सभ्यता को लेकर भागलपुर की अपनी एक अलग पहचान रही है आठवीं सदी के दौरान का विक्रमशिला प्राचीन भारत का शिक्षा का विकास केंद्र के रूप में जाना जाता था इतनी सारी विशेषताओं से भरा भागलपुर का संग्रहालय इन दिनों सरकारी उदासीनता की मार्च झेल रहा है संग्रहालय को जितना बेहतर बनाना चाहिए उतना बेहतर नहीं बनाया गया है खासकर जितने लोगों की तैनाती संग्रहालय में होनी चाहिए उतनी नहीं हो पाने की वजह से भी संग्रहालय का रखरखाव वैसे तरीके से नहीं हो पा रहा है।

बाइट: शिव शंकर सिंह पारिजात, इतिहासकार


Body:जबकि भागलपुर संग्रहालय में वैसी वैसी कलाकृतियां भरी हुई है जो कि बिल्कुल अद्वितीय है और काफी पौराणिक है जिनके देखने से लोगों को काफी ज्ञान एवं अपने संस्कृति सभ्यता को समझने का मौका मिलेगा अंग प्रदेश की अपनी विरासत मंजूषा चित्रकथा से जुड़ी हुई कई ऐतिहासिक वस्तुएं भागलपुर संग्रहालय में संरक्षित की गई है लेकिन पर्यटकों के नहीं आने की वजह से धीरे धीरे भागलपुर संग्रहालय कि अपनी विशेषता और महत्ता कम होने लगी है भागलपुर संग्रहालय में रखें अवशेषों को देख कर या भली-भांति अंदाजा लगाया जा सकता है की प्राचीन काल के दौरान भागलपुर की संस्कृति और सभ्यता कितने विकसित रही होगी।


Conclusion:ऐतिहासिक चीजों पर अध्ययन करने वाले एवं पूर्व में सरकार के सूचना जनसंपर्क अधिकारी रहे शिव शंकर सिंह पारिजात कहते हैं भागलपुर संग्रहालय की मौजूदा स्थिति देख कर काफी तकलीफ होती है की सरकार की उदासीनता हमारे सभ्यता और संस्कृति की विरासत को लेकर क्यों है यह काफी चिंता की बात है और सरकार को इस ओर अवश्य ध्यान देना चाहिए म्यूजियम के जो अधिकारी हैं उनकी नियुक्ति नियमित तौर पर की जाए और अपनी सभ्यता विरासत और संस्कृति से जुड़ी हुई चीजों को दूसरों को जानने का अवसर देना चाहिए शिव शंकर सिंह पारिजात कहते हैं की बौद्धिक स्तर की पत्ती बताएं और डिबेट कॉन्टेस्ट में ऐसे स्थानों पर करना चाहिए ताकि लोगों का आवागमन से भी संग्रहालय की रौनक बढ़ सकती है।
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